By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 25, 2020
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को नाराजगी जतायी कि केंद्र और आप सरकार के अधिकारी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे हैं कि राष्ट्रीय राजधानी के अस्पताल बेड की उपलब्धता की वास्तविक जानकारी दे रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही अदालत ने दोनों सरकारों को अपने प्रशासन को मजबूत बनाने और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की जब इस मामले में सहायक (एमिकस क्यूरी) के रूप में नियुक्त वकील ने सूचित किया कि चार अस्पताल- आरएमएल अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, अपोलो अस्पताल और सरोज अस्पताल, बेड की उपलब्धता की जानकारी को अद्यतन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा रिपोर्टों के अनुसार उनमें से एक अस्पताल ने एक मरीज को भर्ती करने से भी इनकार कर दिया।
इसे भी पढ़ें: केजरीवाल सरकार ने HC से कहा, पांच दिन संस्थागत पृथकवास में रखने का आदेश बदला गया
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने एमिकस क्यूरी ओम प्रकाश द्वारा उजागर की गयी खामियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति में अस्पतालों के साथ इन अधिकारियों की बहुत दोस्ती अच्छी बात नहीं है। पीठ ने कहा कि आपके (केंद्र और दिल्ली सरकार) अधिकारी को सख्त होना चाहिए। आप अपने अधिकारियों को बदल दीजिए अगर उनकी अस्पतालों के साथ बहुत अधिक दोस्ती है। या तो आप अपने अधिकारी को बदल दीजिए या हम ऐसा करेंगे। एमिकस क्यूरी ने जो दिखाया है, आपके अधिकारी देखने में असमर्थ हैं। यह क्या है?’’ नाराज पीठ ने कहा कि आपके लोगों को जाकर (अस्पतालों द्वारा दिए गए) आंकड़ों की जांच करनी चाहिए और सत्यापित करना चाहिए। आप बहुत सारे कदम उठा रहे हैं। सरकार - केंद्र और राज्य - दोनों ही पैसे दे रही हैं। लोगों का मेहनत से अर्जित सार्वजनिक धन इन सब में जा रहा है...।
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक घंटे से अधिक समय तक हुयी सुनवाई के दौरान कहा कि यदि अस्पताल अड़ियल रूख जारी रखते हैं तो आप अधिकार विहीन प्राधिकार नहीं हैं। पीठ ने सरकारों से ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा। पीठ ने निर्देश दिया कि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए जो वास्तविक जानकारी ठीक से अपडेट नहीं करते हैं। अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस के 3,788 नए मामले दर्ज किए गए और कुल मामलों की संख्या 70,000 से अधिक हो गई। वहीं मृतकों की संख्या बढ़कर 2,365 हो गई है। पीठ ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 जुलाई तय की है।