By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 23, 2019
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या वह राष्ट्रीय राजधानी में वनभूमि पर अतिक्रमणों को नियमित करने जा रही है।अदालत के सामने न्यायमित्र ने आशंका प्रकट की थी कि 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के दौरान सरकार वनभूमि के अतिक्रमणों को भी नियमित कर सकती है जो नहीं हो सकता है। अदालत जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसका उसने दिल्ली की वायु गुणवत्ता के मुद्दे के रूप में 2015 में स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी की पीठ ने सरकार के वन विभाग को इस संबंध में हलफनामा देने को कहा और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 23 जनवरी तय की।
इसे भी पढ़ें: दिल्ली में प्रदूषण से हाल बेहाल, लगातार सातवें दिन वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’
वायु प्रदूषण के मुद्दे पर अदालत की मदद के लिए न्यायमित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ वकील कैलाश वासुदेव ने कहा कि केंद्र सरकार शहर में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए कानून ला रही है और उन्हें आशंका है कि वह वनभूमि के अतिक्रमण को भी नियमित करेगी। वासुदेव ने अदालत से कहा, ‘‘ अतिक्रमण तो अतिक्रमण ही होता है। ... वन भूमि पर अतिक्रमण को नियमित नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह वन कानून के विरूद्ध होगा।’’ वन एवं वन्यजीव विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ईश्वर सिंह ने अदालत से कहा कि वनभूमि पर अतिक्रमण को नियमित नहीं किया जाएगा और वन भूमि को नियमित नहीं किया जा सकता है। इस पर अदालत ने वन विभाग को इस मुद्दे पर अपना रूख रिकार्ड कराने को कहा।