By अंकित सिंह | Jul 12, 2023
अजित पवार के एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल होने के 10 दिन बाद भी महाराष्ट्र के सियासी हलचल जारी है। एक ओर जहां महाराष्ट्र में अजित पवार के आने से सरकार और भी मजबूत नजर आ रही है। तो वहीं दूसरी ओर सरकार के भीतर रस्साकशी का दौर भी जारी है। महाराष्ट्र में बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार होना बाकी है। इसके अलावा अजित पवार गुट के जिन विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी, उन्हें भी विभागों का बंटवारा नहीं किया गया है। विभागों के बंटवारे को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। लेकिन यह गुत्थी सुलझी हुई दिखाई नहीं दे रही है।
वर्तमान के राजनीतिक हालात को देखें तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए यह इतना आसान नहीं रहने वाला है। अजित पवार गुट अहम मंत्रालयों की मांग पर अड़ा हुआ है जिसमें वित्त, गृह और सहकारिता मंत्रालय भी शामिल है। वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर अजित पवार गुट और शिंदे गुट में खींचतान है। शिंदे गुट सहकारिता मंत्रालय किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहता है। एनसीपी गुट इस मंत्रालय को लेने पर अड़ा हुआ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि दर्जन भर से अधिक एनसीपी नेता सहकारी या निजी चीनी कारखाने चला रहे हैं। उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है। वहीं शिंदे गुट अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत रखने की वजह से इस मंत्रालय को देना नहीं चाहता है। वहीं, वित्त और गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस के पास है। अगर इनमें से कोई भी मंत्रालय इधर उधर जाता है तो कहीं ना कहीं सरकार में फडणवीस का कद कमजोर पड़ सकता है। सवाल यह भी है कि अभी यह मंत्रालय जिन नेताओं के पास है, उनसे इसे छीनकर दूसरे खेमे को देना जोखिम भरा कदम हो सकता है। बीजेपी फिलहाल पूरे मामले को लेकर थोड़ी खामोश नजर आ रही है।
उद्धव ठाकरे से बगावत कर एकनाथ शिंदे के साथ खड़े रहने वाले शिवसेना के विधायकों को मुख्यमंत्री से काफी उम्मीदें हैं। मुख्यमंत्री भी लगातार उन्हें आश्वासन देते रहे हैं। लेकिन एनसीपी के सरकार में शामिल हो जाने के बाद कहीं ना कहीं शिवसेना के विधायकों के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो गया है। महा विकास आघाडी की सरकार में अजित पवार राज्य के उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ वित्त मंत्री भी थे। बगावत के दौरान शिवसेना के विधायकों ने अजित पवार पर जानबूझकर फंड नहीं देने का आरोप लगाया था। शिवसेना के विधायक का साफ तौर पर कहना था कि वह एनसीपी के साथ सत्ता में साझीदार नहीं बन सकते। ऐसे में अजित पवार को लेकर अभी भी शिवसेना के विधायकों में शंका है। भाजपा के कई नेता भी मंत्री बनने की कतार में है। भाजपा उन्हें किसी भी कीमत पर नाराज नहीं करना चाहती।
बड़ी खबर यह है कि अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं। दिल्ली में उनकी मुलाकात भाजपा के बड़े नेताओं के साथ होगी। माना जा रहा है कि इसके बाद महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर कुछ रास्ता निकल सकता है। अजित पवार और उनके गुट को तीन से चार बड़े मंत्रालय मिल सकते हैं। हालांकि यह मंत्रालय कौन से होंगे, इसको लेकर पेच फंसा हुआ है। शिवसेना के कुछ विधायकों को लेकर अयोग्यता का मामला अटका हुआ है। पिछले दिनों विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अयोग्यता मामले में 54 विधायकों को नोटिस जारी किया था। इन्हें 1 हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा गया था। माना जा रहा है कि इसके बाद कई विधायकों की विधायकी पर भी फैसला हो सकता है। शायद इसलिए कैबिनेट विस्तार को लेकर वेट एंड वॉच का फार्मूला अपनाया जा रहा है। 17 से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में उसके पहले यह गुत्थी सुलझ जानी चाहिए।
राजनीति में आने वाला हर नेता यह कहता है कि वह तो जनता की सेवा के लिए आया है। लेकिन जब तक उसे सत्ता की मलाई हाथ नहीं लगती, तब तक उसकी बेचैनी जारी रहती है। सत्ता का विकल्प मिलते ही वह उसमें साक्षीदार हो जाता है। जनता के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करते हुए वह अपनी राजनीति चमकाता है। जनता भी उसकी ओर उम्मीदों से देखती भी है और उन उम्मीदों को पूरा नहीं होने के बाद अपना फैसला भी लेती है। यही तो प्रजातंत्र है।