By अभिनय आकाश | Nov 18, 2023
आप इंस्टाग्राम पर रील्स देखते होंगे। आपकी फीड पर क्या है ये आपके इंटरनेट और इंटरेस्ट पर निर्भर करता है। हो सकता है कि आपके पास भी एक वीडियो आया होगा जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी गाना गाते हुए नजर आते हैं। इन वीडियो में उनकी आवाजें सुनाई देती है तो कभी-कभी उनके फोटो नजर आते हैं। उनका गाना गाते हुए वीडियो भी दिखता है। एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना, काजोल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी डीप फेक वीडियो सामने आ चुका है। इसका जिक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। डीप फेक का इस्तेमाल सरकार के साथ ही साइबर एक्सपर्ट और सिक्योरिटी एक्सपर्ट की भी चिंता बढ़ा रहा है।
मोदी का गरबा करते हुए वीडियो वायरल
मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में भाजपा के 'दिवाली मिलन' कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में एक गरबा उत्सव में खुद को गाते हुए एक डीपफेक देखा। पीएम ने कहा कि मैंने अपना एक एक वीडियो देखा जिसमें मैं गरबा कर रहा हूं और यह बहुत वास्तविक लग रहा था जबकि मैंने बचपन से गरबा नहीं खेला है। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी का गरबा डांस बताकर एक वीडियो काफी वायरल हुआ। इसमें प्रधानमंत्री जैसा दिख रहा एक व्यक्ति कुछ महिलाओं के साथ गरबा करता नजर आ रहा है।
उभर रहा है नया संकट
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे जैसे विविधतापूर्ण समाज में, डीपफेक एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है और यहां तक कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकता है। लोग आम तौर पर मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं, जिस तरह से भगवा पहने किसी भी व्यक्ति पर भरोसा किया जाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से उत्पादित डीपफेक के कारण एक नया संकट उभर रहा है। समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसके पास पैरलल वेरिफिकेशन सिस्टम नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले कुछ विवादास्पद टिप्पणियों वाली फिल्म आती थी और चली जाती थी, लेकिन अब यह एक बड़ा मुद्दा बन गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्मों की स्क्रीनिंग भी इस आधार पर मुश्किल हो जाती है कि उन्होंने समाज के कुछ वर्ग का अपमान किया है, भले ही उन्हें बनाने में भारी मात्रा में पैसा खर्च किया गया हो।
क्या है डीप फेक वीडियो
सोशल मीडिया पर लोग अपनी फोटो या वीडियो शेयर करते हैं। फेसबुक हो या इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक आजकल हर कोई अपनी डिपी लगाता है। बस इसी बात का फायदा डीफ फेक वीडियो बनाने वाले करते हैं। डीप फेक वीडियो बनाने के लिए सिर्फ पांच या उससे ज्यादा तस्वीरों की जरूरत होती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन तस्वीरों की स्टडी करके सॉफ्टवेयर की शक्ल में स्टोर कर लेता है। ये काम इस तरह से किया जाता है कि जिसके चेहरे का इस्तेमाल किया गया है और जिसकी वीडियो पर लगाया गया है। उन दोनों को ही इसका पता नहीं चलता है। अगर कुछ छोटे कदम उठाए तो काफी हद तक आप डीप फेक से बच सकते हैं। कोशिश करें कि सोशल मीडिया पर आप अपनी एक तरह की कई फोटो या वीडियो न डालें। या फिर अपनी सोशल मीडिया सेटिंग पब्लिक न करके प्राइवेट रखें। ताकी केवल आपके दोस्त ही तस्वीरें या वीडियो देख सकें।
असल और डीप फेक वीडियो में कैसे करे पहचान
इसके लिए एक्सपर्ट ने कुछ तरीके बताए हैं, लेकिन इसके लिए आपको हर एक वीडियो को ध्यान से देखना होगा। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको डीप फेक वीडियो में दिखने वाले व्यक्ति के चेहरे, हाव-भाव और पलकें झपकने के पैटर्न में अंतर नजर आएगा। ध्यान से देखने पर आपको कुछ गड़बड़ी का अंदाज हो जाएगा। लिप्सि सिकिंग यानी होठों के हिलने और शब्दों के बीच फर्क दिखेगा। डीप फेक वीडियो में जो चेहरे दिखाई देते हैं उनके चेहरे की रंगत भी बदलती रहती है। यानी स्किन टोन भी लगातार बदलता रहता है। डीप फेक वीडियो में शरीर और चेहरे की बनावट में काफी अंतर नजर आएगा। यानी शरीर और चेहरे का कुदरती अनुपात बिगड़ा हुआ दिखाई देता है। डीप फेक वीडियो में बॉडी मूवमेंट यानी शरीर की चाल-ढाल में भी फर्क दिखाई देता है। व्यक्ति झटके लेते हुए चलता हुआ दिखाई देता है।
प्लेटफार्मों से निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पिछले हफ्ते कहा था कि डीपफेक एक बड़ा उल्लंघन है और विशेष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है। हमारे डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास हमारी अटूट प्रतिबद्धता और नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। चंद्रशेखर ने कहा कि गलत सूचना और डीपफेक से उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने पिछले छह महीनों के भीतर दूसरी सलाह जारी की है। इसमें ऑनलाइन प्लेटफार्मों से डीपफेक के प्रसार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास की जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेती है, और इससे भी अधिक हमारे बच्चों और महिलाओं के बारे में जिन्हें इस तरह की सामग्री द्वारा लक्षित किया जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 के तहत किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा गलत सूचना के प्रसार को रोकना ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक कानूनी दायित्व है। उन्हें किसी उपयोगकर्ता या सरकारी प्राधिकारी से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटों के भीतर ऐसी सामग्री को हटाने का भी आदेश दिया गया है। इस आवश्यकता का अनुपालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार देती है।
दूसरे देशों में हैं इससे जुड़े नियम?
विदेशों में तो ऐसे काफी नियम हैं। भारत में भी ऐसे नियम हैं। अगर किसी को फेस चेंज करे, तो आडेंटिटी थ्रेट का नियम है। तो उसको रिपोर्ट कर सकते हैं। कारण डाल सकते हैं कि मेरी फोटो का गलत इस्तेमाल हो रहा है। कानून तो हैं, लेकिन कानून होना और इसका इंप्लिमेंट होना दो बाते हैं। इसमें ज्यादा से ज्यादा अवेयरनेस की ही जरूरत है।