By दिनेश शुक्ल | Dec 13, 2020
हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। जबकि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में अधिक सुविधाएं दी जाती हैं। इसके बाबजूद भी विद्यार्थीयों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इस दौरान राज्य सरकार द्वारा हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा सरकारी स्तर पर दर्ज संख्या बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किए जाते हैं। लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है।
प्रदेश के हरदा जिले की बात करें तो यहाँ सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के सत्र 2018-19 के आंकड़े में 2019-20 की तुलना में 1476 की गिरावट आई है। तो कक्षा 1 से 8 तक 2018-2019 में दर्ज संख्या 51,523 थी जो सत्र 2019-20 में घटकर 5299 संख्या रह गई। जबकि हरदा, जिले की ही टिमरनी और खिरकिया ब्लॉक के अलग-अलग आंकड़ों को देखा जाए तो गिरावट निरंतर नज़र आ रही है। हरदा विकासखंड में सत्र 2018-19 में प्राथमिक शाला में 10,665 और माध्यमिक शाला में 7,712 कुल 18,377 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या थी। तो सत्र 2019-20 में प्राथमिक शाला में 10,280 माध्यमिक शाला में 7050 इस प्रकार 17,330 विद्यार्थियों की संख्या हो गई, अगले सत्र में 1047 गिरावट हुई।
इसी तरह टिमरनी ब्लॉक में 2018-19 में 10,319 प्राथमिक शाला में 6203 माध्यमिक शाला में विद्यार्थियों की संख्या दर्ज थी। सत्र 2019-20 में प्राथमिक में 9895 और माध्यमिक शाला में 6444 कुल 16,339 विद्यार्थियों की संख्या दर्ज हो गई। 17 विद्यार्थियों की संख्या की गिरावट हुई। वही खिरकिया ब्लॉक में प्राथमिक शाला में 11,168 माध्यमिक शाला में 7132 कुल 18,300 विद्यार्थियों की संख्या, 2019-20 में माध्यमिक शाला में 10,878 और कुल 17,854 विद्यार्थियों की संख्या दर्ज हो गई कुल 446 की कमी हुई। दोनों वर्ष में संख्या का अंतर 1476 है।
इन आंकडों को देखा जाए तो सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक और हाईस्कूल में दर्ज संख्या बढ़ाने के तमाम प्रयास बोने सिद्ध हो रहे हैं। गणवेश, छात्रवृत्ति, मध्यान भोजन, पाठ्य पुस्तक आदि योजनाओं के बाद भी दर्ज संख्या में आशानुकूल वृद्धि नहीं हो पा रही है। पिछली सरकार के दौरान सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के थोक तबादले हुए। इसके कारण अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई। जिसके चलते कई स्कूलों में शिक्षको की कमी हो गई। तो कहीं कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाएं एक ही शिक्षक के भरोसे चल रही हैं। एक ओर जहाँ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी केजी1 और केजी 2 नर्सरी क्लास की सुविधा ना होना आदि कारण उभर कर सामने आ रहा है।
जिला शिक्षा केंद्र हरदा के डीपीसी, सी.एस. मरावी कहते है कि अभिभावकों की मानसिकता बन चुकी है कि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूल में पढ़ाई और सुविधा नहीं मिलती। इस सोच को बदलना होगा शासन की योजनाओं का लाभ उठाते हुए दर्ज संख्या में बढ़ोतरी की कोशिश की जाएगी। अंग्रेजी स्कूल भी सरकारी स्तर पर खोले जा रहे हैं।
वही जानकारों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में लगातार दर्ज संख्या में आ रही गिरावट की समीक्षा कर उल्लेखनीय प्रयास किए जाने की जरूरत है। स्कूलों की समस्याओं को प्राथमिकता प्रमुखता से हल कर अभिभावकों की मानसिकता को बदलने के लिए पुरजोर प्रयास किये जाने चाहिए। वर्तमान में फीस देने में सक्षम ना होने वाले मजदूरों के ही बच्चे पढ़ रहे हैं, जिसके जिम्मेदार कारणों पर मंथन कर के कारण जानकर उसे दूर करने की दिशा में कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।