दक्षिण से आकर बॉलीवुड पर राज करने वाली छरहरी काया वाली अभिनेत्री श्रीदेवी अब इस दुनिया में नहीं हैं ये यकीन करना अब भी मुश्किल हो रहा है। अपने शोख अंदाज और चंचल आंखों से करोड़ों लोगों को दीवाना बना देने वाली श्रीदेवी सिर्फ 54 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह देंगी....इसका अंदाजा किसी को नहीं था।
80 के दशक में जब श्रीदेवी का जादू चलना शुरू हुआ उस समय मैं किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रख रहा था...1986 में जब श्रीदेवी की फिल्म नगीना आई थी उस समय मैं आठवीं में पढ़ता था....फिल्मों का शौकीन होने के नाते मैं किसी तरह फिल्म देखने थियेटर तो पहुंच गया...लेकिन पर्दे पर जब-जब वो नागिन का रूप धरती थीं...मैं डर के मारे आंखें मूंद लेता था....मेरे बगल में बैठे युवा दर्शक तालियां बजाते नहीं थक रहे थे...और मैं यही सोचता रहा कि कब फिल्म खत्म हो और मैं घर लौटूं।
थोड़े ही दिनों बाद उनकी फिल्म मिस्टर इंडिया पर्दे पर आई...लेकिन जब मैं फिल्म देखने पहुंचा तो मेरा ध्यान श्रीदेवी से ज्यादा अनिल कपूर पर था...अनिल कपूर जब भी घड़ी की मदद से गायब होकर विलेन की पिटाई करते थे तो मैं रोमांचित हो उठता था। ये बात अलग है कि जवानी में कदम रखने के बाद मुझे मिस्टर इंडिया में शिफॉन की साड़ी में बारिश में भींगती श्रीदेवी 'कामुकता' की देवी नजर आने लगीं थीं। दसवीं पास करने के बाद कॉलेज में जाते ही मैं श्रीदेवी का फैन हो गया...हिम्मतवाला, तोहफा, मवाली, आखिरी रास्ता, राम अवतार, कर्मा, चांदनी, लम्हे, खुदा गवाह...हर फिल्म के श्रीदेवी को लेकर दीवानगी बढ़ती गई। लेकिन पर्दे पर अपनी चंचल और शोख अदाओं से लोगों को रोमांचित करने वाली श्रीदेवी निजी जिंदगी में काफी शांत स्वभाव की थीं। श्रीदेवी को करीब से जानने वालों का कहना है कि वो बहुत कम बोलती थीं...और खुद को हमेशा विवादों से दूर रखना चाहती थीं। लेकिन जैसा हर अभिनेत्री के साथ होता है श्रीदेवी का भी अपने साथी कलाकारों के साथ लिंक जुड़ा...यहां तक कि मिथुन चक्रवर्ती के साथ उनकी गुपचुप शादी की खबरें भी सामने आईं...लेकिन श्रीदेवी पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
80 के दशक में श्रीदेवी की इस कदर तूती बोलती थी कि उन्हें लेडी अमिताभ कहा जाने लगा....जिस दौर में बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियां अमिताभ के साथ काम करने का सपना देखतीं थीं... उस समय श्रीदेवी अमिताभ के साथ काम करने के एवज में उनके बराबर फीस की डिमांड करने लगी थीं... फीस का मामला हो या फिर रोल की लंबाई का...श्रीदेवी ने एक समय पर अमिताभ के साथ कई फिल्में करने से मना कर दिया। वैसे बाद में श्रीदेवी ने अपनी सफाई में कहा कि वो अमिताभ की फिल्म में इसलिए काम नहीं करना चाहती थीं क्योंकि अमिताभ खुद ही सारा कुछ कर लेते थे। बॉलीवुड में ऐसा भी दौर आया जब किसी फिल्म में श्रीदेवी का होना उसके हिट होने की गारंटी माना जाता था। वैसे तो श्रीदेवी की कई फिल्में हैं जो मेरे दिल के करीब हैं...लेकिन मुझे सबसे ज्यादा उनकी फिल्म 'लम्हे' पसंद आई...यश चोपड़ा की फिल्म में पहले मां और फिर बेटी बनकर उन्होंने जो किरदार निभाया वो मेरे मन को छू गया। वैसे लम्हे पर्दे पर सुपरहिट साबित नहीं हो सकी लेकिन श्रीदेवी को उनकी बेहतरीन अभिनय के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।
श्रीदेवी दूसरी अभिनेत्रियों की तरह बहुत पढ़ी-लिखीं नहीं थीं....चांदनी से पहले तक उन्हें हिंदी नहीं आती थी...लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर बॉलीवुड में अपना मुकाम स्थापित कर लिया। तमिलनाडु के शिवकाशी में जन्मीं 4 साल की श्री अम्मा यंगर अयप्पन श्रीदेवी बनकर करीब 5 दशक तक लोगों के दिलों पर राज करती रहीं....और इस दौरान उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया...तमिल, तेलुगू, मलयाली और कन्नड़... माध्यम कोई भी हो श्रीदेवी का जलवा हर किसी ने देखा।
बोनी कपूर को जीवन साथी चुनने पर लोगों को हैरानी जरूर हुई...लेकिन खुद श्रीदेवी को पता था कि बोनी उनके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो सकते हैं....फिल्मी पार्टियों में या फिर अवॉर्ड समारोह में श्रीदेवी को बच्चों और बोनी कपूर के साथ हमेशा खुश देखा गया....यहां तक की अपनी मौत से पहले दुबई में भांजे की शादी में भी वो बोनी के साथ खुश दिखीं थीं....लेकिन थोड़ी ही देर बाद उनकी मौत की खबर ने उनके चाहने वालों को हिला कर रख दिया। श्रीदेवी की मौत कैसे हुई, किन परिस्थितियों में हुई इसे लेकर कई थ्योरी सामने आ रही हैं.. लेकिन मैं उस विषय पर नहीं जाना चाहता...मुझ जैसे श्रीदेवी के चाहने वालों को बस इसी बात का मलाल है और हमेशा रहेगा कि आखिर इतनी सुंदर अभिनेत्री का इतना दुखद अंत कैसे हो सकता है? सबसे अफसोस की बात तो ये है कि रुपहले पर्दे पर राज करने वाली श्रीदेवी की एक ख्वाहिश हमेशा के लिए अधूरी रह गई... वो अपनी बड़ी बेटी जाह्नवी को पर्दे पर नहीं देख सकीं।
मनोज झा
(लेखक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)