सचिन पायलट के सब्र का जो बाँध टूटा है वह कांग्रेस को बहा कर सत्ता से बाहर कर सकता है

By नीरज कुमार दुबे | Apr 12, 2023

कांग्रेस ने पिछले साल उदयपुर में चिंतन किया, उसके बाद भारत जोड़ो यात्रा निकाली और इस साल रायपुर में महा अधिवेशन किया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने पार्टी में आमूल चूल सुधार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कहीं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। कांग्रेस नेताओं में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक पार्टी छोड़ने की जो होड़ लगी है वह दर्शा रही है कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाली यह पार्टी आजादी के अमृत काल में पतन की ओर बढ़ रही है।


दरअसल कांग्रेस को जिस तरीके से चलाया जा रहा है उससे खिन्न होकर सिर्फ अनुभवी और वरिष्ठ नेता ही नहीं बल्कि युवा भी पार्टी छोड़ रहे हैं। जो वरिष्ठ नेता और युवा अभी कांग्रेस में बचे हुए हैं वह पार्टी में अपना स्थान सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस ने सचिन पायलट का जो हाल किया है उसको देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और हिमंत बिस्व सरमा आदि नेता शुक्र मना रहे होंगे कि सही समय पर कांग्रेस छोड़ दी वरना उन्हें भी ऐसे ही अनशन पर बैठना पड़ रहा होता। सचिन पायलट जो मुद्दे उठा रहे हैं वह सही हैं या गलत, इसकी विवेचना की बजाय यह देखना चाहिए कि कांग्रेस में कैसे युवाओं का हक मारा जाता है।

इसे भी पढ़ें: Gehlot-Pilot, Baghel-Singh Deo, Siddaramaiah-Shivakumar की जंग से चुनावी वर्ष में बैकफुट पर Congress

पिछले विधानसभा चुनावों के समय सचिन पायलट राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे जबकि अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के पद पर काम कर रहे थे। सचिन पायलट ने तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ जनमत तैयार कर कांग्रेस को जीत दिलाई लेकिन उनका हक मारकर गहलोत को दिल्ली से जयपुर भेजकर मुख्यमंत्री बना दिया गया। सचिन पायलट ने लगातार अपमानित किये जाने के चलते आवाज उठाई तो उन्हें गद्दार और निकम्मा बता दिया गया। उन्हें बार-बार धैर्य रखने के लिए समझाया जाता रहा लेकिन सब्र का बांध एक दिन टूटता ही है। अब राजस्थान में यह जो बाँध टूटा है उससे इस वर्ष होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बह कर सत्ता से बाहर जा सकती है।

 

वैसे बात सिर्फ राजस्थान तक ही सीमित नहीं है, जिस तरह छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच जंग छिड़ी हुई है वह भी चुनावी वर्ष में कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है। यही नहीं, कर्नाटक में अपने को सत्ता के करीब देख रही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच की वो जंग भी ऐन चुनावों के समय जगजाहिर हो गयी है जिसे कांग्रेस अब तक दबाती आ रही थी। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को समझना होगा कि नेतृत्व की यह शिथिलता कांग्रेस को पूरी तरह ले डूबेगी।


-नीरज कुमार दुबे

प्रमुख खबरें

IPL 2025: इन खिलाड़ियों को नहीं मिला कोई खरीददार, मेगा ऑक्शन में रहे अनसोल्ड

जिम्बाब्वे ने बड़ा उलटफेर कर पाकिस्तान को दी शिकस्त, 80 रन से जीता पहला वनडे

IPL 2025: सस्ते में निपटे ग्लेन मैक्सवेल, पंजाब किंग्स ने महज 4.2 करोड़ में खरीदा

IPL 2025 Auction: सनराइजर्स हैदराबाद ने ईशान किशन पर लगाया बड़ा दांव, 11.25 करोड़ में खरीदा