किसान परिवार में जन्में थे 14वें दलाई लामा, जानिए तिब्‍बती धर्मगुरु के बारे में रोचक बातें

By निधि अविनाश | Jul 06, 2022

दुनिया आज दलाई लामा का 87वां जन्मदिन मना रही है।14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई, 1935 को पूर्वी तिब्बत में हुआ था। चीन सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते उन्हें तिब्बत छोड़ना पड़ा था और 31 मार्च, 1959 को वह चीन से भागकर भारत आ गए थे। तब से दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मैक्लोडगंज में रहकर तिब्बत की संप्रभुता के लिए अहिंसात्मक संघर्ष कर रहे हैं। दुनिया भर में घूमने वाले तिब्बती आध्यात्मिक नेता, तिब्बती निर्वासन आंदोलन का वैश्विक चेहरा उनकी प्रेम और करुणा में उनके विश्वास और भारत के प्रति उनके लगाव के लिए जाने जाते हैं।बता दें कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के जन्मदिन के अवसर पर स्कूली छात्रों और विदेशी समर्थकों सहित सैकड़ों तिब्बती मुख्य बौद्ध मंदिर, त्सुगलगखांग में एकत्रित हुए। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

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जानकारी के लिए बता दें कि अपने पूरे जीवन में दलाई लामा ने शांति, सद्भाव और अहिंसा के प्रतीक के रूप में दुनिया के राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक नेताओं के बीच प्रमुखता हासिल की है।इसके अलावा वह चीन के अलोकतांत्रिक, धर्म-विरोधी और मानव-विरोधी रवैये और चीनी प्रशासन के तहत तिब्बतियों की अनकही पीड़ाओं को उजागर करने में भी सफल रहे हैं।चीन ने हमेशा तिब्बत के मामलों में दखल दिया है और लोगों को उनकी साधना करने से रोकने की कोशिश की है। दलाई लामा ने तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल किया है।

14वें दलाई लामा के बारे में कुछ अज्ञात और रोचक बातें

1) 14वें दलाई लामा अपने सभी पूर्ववर्तियों में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले और सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले हैं

2) दलाई लामा के कुछ दिलचस्प शौक पुरानी घड़ियों की मरम्मत करना है। उन्हें विज्ञान में गहरी रुचि के लिए जाना जाता है।

3) रिपोर्टों के अनुसार, 14वें दलाई लामा छह साल की उम्र में साधु बन गए।

4) जब दलाई लामा युवा थे, तो ऑस्ट्रियाई पर्वतारोही और खोजकर्ता हेनरिक हैरर के साथ उनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई, जिनकी पुस्तक 'सेवन इयर्स इन तिब्बत' इसी दोस्ती से प्रेरित है।

5) दिलचस्प बात यह है कि 14वें दलाई लामा का परिवार तिब्बत से होने के बावजूद तिब्बती भाषा नहीं बोलता था। उन्होंने चीनी बोली जो चीन के पश्चिमी प्रांतों में मौजूद थी।

6) -दलाई लामा रोज सुबह 3 बजे उठते हैं और सुबह 5 बजे तक ध्यान करते हैं। 

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