By नीरज कुमार दुबे | Jul 15, 2022
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा आज केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की यात्रा पर पहुँचे जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उनका यहां एक महीने तक रुकने और कई आयोजनों में भाग लेने का कार्यक्रम है। दलाई लामा के लद्दाख में हो रहे स्वागत को देखकर चीन को मिर्ची लग गयी है और उसने तिब्बती आध्यात्मिक नेता की इस यात्रा पर आपत्ति जता दी है लेकिन भारत ने कहा है कि यह यात्रा ‘‘पूरी तरह से धार्मिक’’ है और किसी को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि दलाई लामा सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं क्योंकि वह पहले भी कई बार लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। सरकारी पदाधिकारी ने कहा, ‘‘दलाई लामा एक आध्यात्मिक नेता हैं और उनकी लद्दाख यात्रा पूरी तरह से धार्मिक है। उनके दौरे पर किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए।’’
बताया जा रहा है कि पूर्वी लद्दाख में टकराव के कई बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सैन्य गतिरोध के बीच आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की लद्दाख यात्रा से चीन नाराज हो गया है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि इस महीने की शुरुआत में चीन ने दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। वहीं भारत ने चीन की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि दलाई लामा देश के सम्मानित अतिथि हैं। गौरतलब है कि 1959 में तिब्बत से पलायन के बाद से दलाई लामा भारत में रह रहे हैं। दलाई लामा का असली नाम तेंज़िन ग्यात्सो है और उन्हें 1989 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था।
देखा जाये तो पिछले दो वर्षों में हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के बाहर दलाई लामा की यह पहली यात्रा है। एक दिन पहले वह जम्मू में थे जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उनके अनुयायी भारी बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए। इस दौरान 87 वर्षीय आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने पत्रकारों से कहा, ''चीन के कुछ कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी और सुधार का विरोधी समझते हैं और हमेशा मेरी आलोचना करते हैं। लेकिन अब अधिक संख्या में चीन के लोगों को यह अहसास हो रहा है कि दलाई लामा स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं और उनकी इच्छा सिर्फ इतनी है कि चीन (तिब्बत को) सार्थक स्वायत्तता दे और तिब्बती बौद्ध संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित करे।” उनकी यात्रा को लेकर चीन की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर दलाई लामा ने कहा, ''यह सामान्य है। चीन के लोग ऐतराज़ नहीं कर रहे हैं.... अधिक संख्या में लोग तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि चीन के कुछ विद्वानों को अहसास हो रहा है कि तिब्बती बौद्ध धर्म बहुत वैज्ञानिक है। चीज़ें बदल रही हैं।” भारत और चीन के बीच विवादों पर उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को बातचीत से मुद्दे का हल निकालना चाहिए।