By प्रज्ञा पाण्डेय | May 23, 2018
दादी अम्मा-दादी अम्मा मान जाओ, गाने की धुन बच्चों को बहुत पसंद आती है। मां के बाद बच्चों को नानी या दादी से बहुत लगाव होता है। दादी-नानी ममता, प्यार की देवी होती है। संस्कार और संस्कृति से जोड़ती हैं। बच्चों के संतुलित विकास में ग्रैंडपैरेंट्स की भूमिका जरूरी है। बच्चा अपने संस्कार जाने इसके लिए दोनों पीढ़ियों का साथ में रहना आवश्यक है। कामकाजी मांओं के लिए दादी-नानी का परिवार में साथ होना वरदान होता है। लेकिन जब हालात ऐसे हों कि मां ना हो तो तब दादी-नानी की जिम्मेदारियां और दायित्व बढ़ जाते हैं।
पालने में परेशानी
कभी-कभी ऐसे हालात होते हैं कि माएं अपने बच्चों को छोड़ दुनिया को अलविदा कह देती हैं। ऐसी विकट परिस्थिति में मां के न रहने पर दादी-नानी जब बच्चों को पालती हैं तो कई तरह की परेशानियां आती है। अगर बुजुर्ग दादी-नानी विधवा हैं तो यह परेशानी दुगुनी हो जाती है। बुजुर्ग महिलाओं को जिन्होंने अपने जीवन में घर की चारदीवारी लांघ कर काम नहीं किया है बुढ़ापे में पैसे कमाना और भी मुश्किल होता है। ऐसी हालत में पैसों की परेशानी इन मुश्किलों को और भी बढ़ा देती है।
साथ ही सेहत से जुड़ी परेशानियां भी कुछ कम नहीं होती है। हड्डियों का दर्द हो या दिल की बीमारी बुजुर्ग महिलाओं को अधिक काम करने में समस्या उत्पन्न करते हैं। यही नहीं बच्चों को पालने जैसी जिम्मेदारियां मानसिक तनाव भी पैदा करती हैं। इसके अलावा समाज से अलगाव, परिवार के मुद्दे, पढ़ाई में मुश्किल भी ऐसी परेशानियां हैं जिनका समाधान कठिन है। दादी-नानी बच्चों को प्यार तो देती ही हैं लेकिन वह अनुशासन भी सीखती हैं।
नाती-पोतों को पालते समय ग्रैंडपैरेंट्स बरतें सावधानियां
अपने नाती-पोतों को पालन कोई आसान काम नहीं है। छोटे बच्चों को पालने में दादी-नानी कुछ खास तरह की नियमों का पालन कर सकती हैं। बच्चों को अधिक उपदेश न दें बल्कि उनके साथ दोस्ताना बर्ताव करें। बच्चे अपनी मां की तुलना में दादी-नानी से अधिक लगाव महसूस करते हैं, ऐसे में उन्हें सही-गलत बातों में फर्क बताएं। जीवन में अनुशासन की भूमिका समझाएं। बच्चों के ऊपर अपने विचारों को न थोपें। उनके सामने आदर्श बनें लेकिन व्यावहारिकता से दूर न करें। उनके साथ उनकी उम्र का बनकर परवरिश करें।
जनरेशन गैप करें कम
बच्चे अपने दादी-नानी से उनका अमूल्य अनुभव लेते हैं। नाती-पोते ग्रैंडपैरेंट्स से रीति-रिवाज और संस्कृति सीखते हैं। लेकिन सब कुछ सीखने के बावजूद दादी-नानी और बच्चों के बीच जनरेशन गैप भी एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। अगर यह जनरेशन गैप खत्म न हो तो बच्चों और ग्रैंडपैरेंट्स के बीच दूरी बन जाती है जो दोनों के बीच रिश्तों की मजबूती को कम करती हैं। इस गैप को कम करने के लिए दादी-नानी बहुत से उपाय अपना सकती हैं। सबसे पहले कोशिश कर के तकनीकी गैप को कम करें। आजकल बच्चों की पसंदीदा चीजें जैसे फेसबुक, स्काइपी का इस्तेमाल भी सीखें। इससे बच्चे आपके अधिक करीब आएंगे। बच्चों के संगीत के प्रति सहनशील हों और उन्हें पसंद करें। साथ ही अपनी सामाजिक सहनशीलता को भी बढ़ाएं। इसके अलावा दिखावे को भी बढ़ावा न दें।
-प्रज्ञा पाण्डेय