कोरोना के बाद मुंह सूखने के साथ अन्य लक्षण डायबिटीज जैसे हों, तो अनदेखी न करें

By कंचन सिंह | May 15, 2021

कोरोना महामारी का कहर लगातार जारी है। खासतौर पर भारत में तो इसने कोहराम मचा रखा है और हर दिन इसके मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं तो बुरी तरह प्रभावित हुई ही हैं। साथ ही लोगों में डर का माहौल भी बनने लगा है। कोरोना से जुड़ी बहुती सी बातें अब भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई है और म्यूटेशन के कारण यह और उलझ गया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स कोरोना से उबर चुके लोगों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से भी चिंतित हैं। मानसिक बीमारी, थकान और कमजोरी के अलावा कोरोना से स्वस्थ होने के बाद मरीजों में डायबिटीज के लक्षण भी देखे जा रहे हैं। आखिर क्यों हो रहा है ऐसा? आइए, जानते हैं।

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नवंबर 2020 में जर्नल डायबिटीज, ओबेसिटी और मेटाबॉलिज्म में छपी ग्लोबल एनालिसिस के मुताबिक, कोविड-19 के गंभीर मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, उनमें से करीब 14.4% को बाद में डायबिटीज की शिकायत हो गई। ऐसा क्यों हुआ इस बारे में अभी को स्पष्ट और सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है।


हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोविड-19 न सिर्फ आपके इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है, बल्कि शरीर के कई अंगों पर इसका असर रिकवरी के बाद भी दिखता है। कोरोना से ठीक हो चुके कई मरीजों पर किए अध्ययन के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 14 प्रतिशत लोगों में ठीक होने के बाद डायबिटीज के लक्षण दिखें। ऐसे में न सिर्फ डायबिटीज पेशेंट को बल्कि सामान्य मरीजों को भी बेहद सतर्क करने की जरूरत है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड-19 से रिकवरी के बाद यदि कुछ इस तरह के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें-


- बार-बार मुंह सूखना और भूख बढ़ जाना

- बिना काम किए थक जाना

- बार-बार पेशाब आना

- घाव या चोट जल्दी ठीक न होना

- धुंधला दिखना

- अचानक से हाथ पैर का सुन्न होना 

 

स्वस्थ लोग हो रहें डायबिटीज का शिकार

हेल्द एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई ऐसे मामले सामाने आए हैं जिसमें मरीज को पहले से डायबिटीज नहीं था, लेकिन कोविड-19 से ठीक होने के कुछ समय बाद हो गया। यही नहीं कुछ मामले में तो मरीज की डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री भी नहीं थी।

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क्यों हो रहा है ऐसा?

कोरोना मरीज बाद में डायबिटीज का शिकार क्यों हो रहे हैं इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स भी स्पष्ट रूप से कुछ कह पाने की स्थिति में अभी नहीं है, लेकिन वह इसके लिए कुछ वजहों को जिम्मेदार मान रहे हैं। जैसे कोविड-19 उनका मानना है कि ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया की वजह से ऐसा हो रहा है। अन्य वायरल इंफेक्शन वाली बीमारियों में शरीर में एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया होती है जो डायबिटीज को ट्रिगर करती है यानी विकसित करती है। कोविड-19 भी वायरस से होने वाली बीमारी है, तो हो सकता है कि इसके बाद शरीर में डायबिटीज को ट्रिगर करने वाली ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया होती है।


इसके अलावा कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का भी हाथ हो सकता है। चूकि कोरोना की अभी तक कोई दवा विकसित नहीं हो पाई है, तो सारी दवाएं बस एक्सपेरिमेंट के रूप में ही कोरोना के लक्षणों को ठीक करने के लिए दी जाती है। कुछ मरीजों को स्टेरॉयड भी दिया जाता है, जो डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।


कोरोना के बाद हार्ट अटैक और डायबिटीज का खतरा बढ़ना चिंता की बात है। ऐसे में मरीजों को ठीक होने के बाद भी अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है।


- कंचन सिंह

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