पहली बार धूमधाम से नहीं मनेगी बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती

By कमल सिंघी | Apr 13, 2020

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल को हर साल धूमधाम से मनाई जाती है। यह पहली बार होगा जब बाबा साहेब की जयंती कार्यक्रम लॉकडाउन के चलते फीका रहने वाला है। इस बार बाबा साहेब की 129वीं जयंती है। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू में बाबा साहेब ने जन्म लिया था, यहां बाबा साहेब का विश्वस्तरीय स्मारक बना हुआ है। यहां हर साल बाबा साहेब की जंयती कार्यक्रम बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। स्मारक पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़ी हस्तियां आ चुकी हैं। 14 अप्रैल को बाबा साहेब की जयंती कार्यक्रम में देशभर की कई जगहों से करीब दो लाख से ज्यादा लोग एकत्र होते हैं। समारोह को लेकर सरकार विशेष तैयारियां करती हैं, वहीं रेलवे भी तीन से चार स्पेशल ट्रेन चलाता है। लेकिन इस बार यह समारोह कोरोना वायरस के चलते रद्द कर दिया गया है। सभी अपने-अपने घर में रहकर बाबा साहेब को नमन करेंगे। सोशल मीडिया पर बाबा साहेब को याद करके अपनी भावनाएं व्यक्त करेंगे।

 

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लॉकडाउन के चलते समारोह रद्द

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की जंयती समारोह इस बार लॉकडाउन और कोरोना वायरस के जलते रद्द किया गया है। बाबा साहेब की जयंती इस बार बेहद सादे कार्यक्रम में मनाई जाएगी। बाबा साहेब की स्मारक की ओर से भी अनुयायियों से अपील की है कि घर में रहकर ही बाबा साहेब को नमन करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर देश को आगे ले जाएं। 


संविधान निर्माता को ऐसे करते हैं याद

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती समारोह पर अनुयायी उन्हें नमन करने के लिए देशभर से पहुंचते हैं। यहां जय भीम के जयकारे लगाते हुए बाबा साहेब की प्रतिमा पर मत्था टेककर खुद को लोग धन्य मानते हैं। अनुयायी बाबा साहेब की प्रतिमा के सामने मोमबत्तियां जलाकर फूल माला चढ़ाते हैं। समारोह के दौरान बाबा साहेब के अस्थि कलश की यात्रा भी निकाली जाती है। समारोह में बाबा साहेब को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाता है। 

 

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एक माह पहले से होती हैं तैयारियां

बाबा साहेब की जन्मस्थली पर उनकी जयंती मनाने की एक माह पहले से ही तैयारियां शुरु हो जाती है। प्रदेश सरकार की और से तैयारियों की निगरानी की जाती है। कलेक्टर-कमिश्नर के साथ सीएम जयंती समारोह को लेकर बैठक करते है। यहां देशभर से दो लाख से अधिक लोगों के पहुंचने का इंतजाम किया जाता है। साथ ही उनके भोजन की व्यवस्था भी की जाती है। इसके चलते एक माह पहले से तैयारियां शुरु हो जाती है। जयंती महोत्सव के लिए अनुयायियों का तीन दिन पहले से ही आना शुरु हो जाता है।


- कमल सिंघी

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