कोरोना ठीक हो सकता है, इससे संक्रमित होने का मतलब मौत नहीं है

By योगेश कुमार गोयल | Mar 05, 2020

दिसम्बर माह में चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस का आतंक अब एक-एक कर दुनिया के 70 से भी अधिक देशों में पैर पसार चुका है और दर्जन भर देशों में इसके चलते मौतें भी हो चुकी हैं। चीन में कोरोना संक्रमण के 80 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और तीन हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। संक्रमण के मामले में चीन, ईरान, इटली, कोरिया तथा सिंगापुर की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। दूसरी ओर कुछ दिनों पहले भारत में मिले तीन कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद अब दो दिनों के भीतर 11 राज्यों में कोरोना के कई संदिग्ध मरीजों के मिलने से हड़कंप मचा है। इनमें से लगभग सभी दूसरे देशों की यात्रा करके भारत लौटे थे। यही कारण है कि सरकार द्वारा आनन-फानन में सक्रियता दिखाते हुए इटली, ईरान, कोरिया और जापान के वीजा निलंबित कर 12 से भी अधिक देशों से आने वाले यात्रियों की जांच का निर्णय लिया गया है।

 

चीन के बाहर भी करीब नौ गुना तेजी से फैल रहे कोरोना के बढ़ते खतरे को लेकर लोगों की चिंता बढ़ना तो स्वाभाविक है लेकिन इससे घबराने की बजाय इससे बचने के लिए विशेष सतर्कता और एहतियात बरतना सबसे जरूरी है। संतोषजनक स्थिति यह है कि भारत में कोरोना के नए मामले सामने आने के बाद भारत में भी चीन जैसे हालात न बनने पाएं, इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य तंत्र तुरंत सतर्क हो गए हैं और इस वायरस का प्रसार रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अगर कोरोना का आतंक हमारे यहां अब तक इस कदर नहीं गहराया तो इसका सबसे बड़ा कारण यही रहा कि जहां चीन ने इस संक्रमण के सामने आने के बाद खबर को दबाने में काफी समय गंवा दिया, वहीं भारत ने समय रहते संक्रमण से बचाव के तरीकों पर कार्य करना शुरू कर दिया था। केरल में कोरोना संक्रमण के तीन मामले सामने आने के बाद ही सरकार द्वारा तमाम एहतियाती कदम उठाए गए थे और भारतीय नागरिकों को चीन न जाने की सलाह देते हुए वहां से आने वाले व्यक्तियों को ई-वीजा नहीं देने का निर्णय लिया गया था। दरअसल भारत व्यापार, कांफ्रेंस, पर्यटन, स्वास्थ्य और मरीजों के सहयोगी के लिए ई-वीजा जारी करता है।

 

दुनियाभर में कोरोना के आतंक को देखें तो इसने मौतों के मामले में वर्ष 2003 में कहर बनकर बरपे ‘सार्स’ (गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम) को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। कोरोना वायरस के संबंध में चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग का मानना है कि कोरोना वायरस का करीब 17 साल पहले चीन में आतंक मचा चुके सार्स से जुड़ाव खतरनाक है। कुछ वर्षों पहले सार्स नामक खतरनाक बीमारी का संबंध भी चीन से ही था, जिसके चलते करीब आठ सौ लोगों की मौत हुई थी। कोरोना संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया में दहशत के माहौल को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पहले ही वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया गया था और संगठन द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण को आतंकवाद से भी गंभीर बताया जा चुका है। दरअसल कोई नहीं जानता कि कोरोना संक्रमण से विश्वव्यापी दहशत और हो रही मौतों का यह सिलसिला कहां जाकर थमेगा? विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को ‘कोविड-19’ (सीओवीआईडी-19) नाम दिया है, जिसका अर्थ है कोरोना वायरस डिजीज। चिंताजनक स्थिति यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वयं यह स्वीकार कर रहा है कि विश्वभर में संक्रामक रोग अब पहले से कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं और 1970 के दशक से प्रतिवर्ष नए-नए रोगों के बारे में जानकारी मिल रही है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक छह प्रकार के कोरोना वायरस की ही जानकारी थी लेकिन वुहान में नए प्रकार के कोरोना वायरस का पता चलने के बाद इनकी संख्या बढ़कर सात हो चुकी है। कोरोना वास्तव में वायरसों का एक बड़ा समूह है, जो कुछ जंगली जानवरों में पाया जाना एक आम बात है। कोरोना वायरस वैसे तो कई किस्म के होते हैं लेकिन अभी तक कुल छह किस्म के इन वायरसों को ही इंसानों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता रहा था। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीएस) के मुताबिक यह वायरस जानवरों से मनुष्यों तक पहुंच जाता है लेकिन इसके मनुष्य से मनुष्य में फैलने की नई प्रवृत्ति ने इसे अत्यंत घातक बना दिया है। इस वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर यह आसानी से फैल सकता है। एक अध्ययन से यह तथ्य भी सामने आया है कि नया कोरोना वायरस औसतन एक मरीज से दस लोगों में फैल रहा है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के संक्रमण रोग विशेषज्ञ नील फर्ग्यूसन का कहना है कि नया कोरोना वायरस इतना खतरनाक है कि संक्रमण के 60 फीसदी मामलों में सफलता पाकर ही इसे मंद किया जा सकेगा। नए कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं है क्योंकि अब तक इसकी कोई वैक्सीन या दवा नहीं बनी है।

 

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनियाभर में निवेशकों की चिंता भी बढ़ी है। इस वायरस के खौफ के चलते चीन के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, जिसका असर आने वाले समय में लंबे समय तक देखा जाता रहेगा। जनवरी माह से लेकर अभी तक 11 लाख करोड़ रुपये डूबने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारत में चीन से आने वाले कच्चे माल की उपलब्धता न होने के कारण उद्योगों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग और विमानन क्षेत्र को भी काफी घाटा हो रहा है। भारत में रोजगार के क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र का करीब दस फीसदी योगदान है और जीडीपी में इसकी करीब सात फीसदी हिस्सेदारी है। क्वार्ट्ज इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में 1.09 करोड़ विदेशी पर्यटक आए थे लेकिन कोरोना के वैश्विक आतंक के चलते पर्यटकों की संख्या में इस साल बहुत बड़ी गिरावट आना तय है। पिछले साल विदेशी पर्यटकों से भारत को करीब 28 अरब डॉलर की आय हुई थी लेकिन कोरोना के कारण इस वर्ष पर्यटन क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

 

कोरोना इतना संक्रामक है कि खांसी, छींक अथवा हाथ मिलाना भी इसके जोखिम का कारण बन सकते हैं। किसी संक्रमित व्यक्ति के छूने और फिर अपने मुंह, नाक अथवा आंखों को छूने से भी इस वायरस का संक्रमण हो सकता है। इसके संक्रमण के बाद सामने आने वाले लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश, कभी-कभी सिरदर्द इत्यादि प्रमुख हैं। निमोनिया, फेफड़ों में सूजन, छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना भी इसके लक्षण हैं। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण के बाद भी कई दिनों तक कोई लक्षण नजर नहीं आए। ऐसे मामले काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। बुजुर्ग और बच्चे इसके आसान शिकार हैं तथा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए तो यह काफी घातक है। किसी बीमार, जुकाम या निमोनिया से ग्रसित व्यक्ति के सीधे सम्पर्क में आने से बचें, मास्क पहनें, अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुएं तथा हाथों को बार-बार अच्छी तरह से साबुन से धोएं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने अथवा उसे कम करने के लिए जो सावधानियां बरतने की सलाह दी है और इस वायरस के संक्रमण के खतरे को कम करने के जो उपाय बताए हैं, उनके अनुसार अपने हाथ साबुन और पानी या अल्कोहल युक्त हैंड रब से साफ करें, खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को टिश्यू या मुड़ी हुई कोहनी से ढंकें। जिन व्यक्तियों को सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण हों, उनके साथ करीबी सम्पर्क बनाने से बचें। जंगल और खेतों में रहने वाले जानवरों के साथ असुरक्षित सम्पर्क न बनाएं और मीट तथा अंडों को अच्छे से पका कर ही खाएं।

 

कोरोना को लेकर भले ही पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कोरोना का संक्रमण हो जाने का सीधा अर्थ मौत ही है। अगर कोरोना से संक्रमित हुए लोगों के मामले देखें तो जहां भारत में केरल में मिले तीनों मरीज उपचार के बाद ठीक हो गए, वहीं चीन में अभी तक काफी लोगों को इलाज के बाद ठीक किया जा चुका है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं है क्योंकि अब तक इसकी कोई वैक्सीन या टीका नहीं बना है। कोरोना से बचने का एकमात्र तरीका इससे बचने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त उपाय अपनाया जाना ही है। बहरहाल, कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए बेहद जरूरी है कि भारत में अब कोरोना की दस्तक को हल्के में न लिया जाए और हर व्यक्ति को इससे बचने के तौर-तरीकों और उपायों की पूरी जानकारी हो ताकि भारत में चीन या इससे प्रभावित दूसरे देशों जैसे हालात बनने से बचा जा सके।

 

-योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा तीन दशकों से समसामयिक विषयों पर लिख रहे हैं।)

 

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