चीन में कोरोना कैसे तोड़ रहा है सारे रिकॉर्ड, पाबंदियों में छूट के बीच क्या ये है भारत के लिए खतरे की घंटी?

By अभिनय आकाश | Apr 07, 2022

शंघाई और शेनजेंग चीन के दो बड़े शहर हैं जिसके बंद होने से 64 बिलियन डॉलर प्रति माह का चीन को नुकसान होता है। लेकिन आज बात पैसे की नहीं बल्कि जिंदगी की करेंगे। 6 अप्रैल को चीन में 20 हजार कोरोना के केस रिपोर्ट किए गए हैं। ये महामारी की शुरुआत से लेकर अबतक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। अधिकारियों का कहना है कि चीन में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का एक म्यूटेशन पाया गया है। देश के 80 प्रतिशत केस शंघाई से हैं जो देश का सबसे बड़ा शहर है। हालांकि इनमें से अधिकतर केस ए सिंटोमैटिक हैं। स्टेट ब्रॉडकास्टर टीम ने रिपोर्ट किया है कि शंघाई के सभी लोगों के नये सिरे से कोविड जांच का आदेश हैं। इन बढ़ते केस के चलते चीन की जीरो कोविड पॉलिसी की भी खूब आलोचना हो रही है।, भोजन की भी भारी कमी चीन के कई इलाकों में दिखाई पड़ रही है। ऐसे में बताते हैं कि आखिर चीन में कोरोना के केस अचानक क्यों बढ़ने लगे? आखिर चीन की जीरो कोविड पॉलिसी क्यों धराशायी हो गई?  लाखों लोगों पर क्यों छा गया भोजन संकट और सबसे महत्वपूर्ण बंदिशों में छूट के बाद भारत को डरने की कितना डरने की जरूरत है?

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पहली लहर के बाद सबसे बुरी स्थिति

कोरोना की शुरुआत में चीन ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश इसके चपेट में आए थे। लेकिन इसके तीन साल बाद ही स्थिति फिर से बदतर होने लगी है। चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई की आबादी करीब 2.6 करोड़ की है। बीते कुछ दिनों में कोरोना के सबसे ज्यादा केस यहीं से मिले हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने यहां लॉकडाउन लगा दिया है। लेकिन इससे भी कुछ खास असर दिखता नजर नहीं आ रहा है। मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शंघाई में रोजाना मिलने वाले पॉजिटिव केस चीन में 2019 के अंत में कोरोना के पहले चरण की पीक वाले केस के बाद सबसे अधिक हैं। शंघाई में स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां के सभी अस्पताल फुल हो गए हैं। किसी भी अस्पताल में संक्रमित मरीजों के भर्ती के लिए जगह नहीं बची है। लेकिन फिर भी चीन दावा कर रहा है कि शंघाई में कोरोना से अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। 

अजीबो-गरीब पाबंदियों से शहरवासियों का जीना दूभर 

 स्वास्थ्यकर्मी सड़कों पर माइक पर लोगों को आगाह कर रहे हैं कि रात को जोड़ा साथ में न सोएं, हो सके तो किस करने से बचें और खाना भी अलग-अलग ही खाएं। सरकार की ओर इन अजीबो-गरीब पाबंदियों से शहरवासियों का जीना दूभर होने लगा है। लोगों से कमरे की खिड़की न खोलने, गाना न गाने और घर के अंदर ही रहने की सख्त हिदायद दी गई है। सके तहत रात को जोड़ों को अलग सोने, एक-दूसरे को किस न करने और गले न लगाने के आदेश दिए गए हैं। इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल भी हो रहे हैं।

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सेना को मैदान में उतरना पड़ा

चीन ने जांच का बड़ा अभियान छेड़ दिया है। जांच के लिए सेना के जवानों व डॉक्यरों को बड़ी संख्या में मैदान में उतारा गया है। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 2 हजार से अधिक डॉक्टरों को शंघाई भेजा गया। जिससे वो कोरोना जांच में नागरिक प्रशासन की मदद कर सके। जियांग्सू, जेजियांग और बीजिंग समेत कई प्रांतों से भी डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों को वहां भेजा गया है। इस तरह करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों की टीम जांच अभियान में जुटी है। 

चीन में भोजन की कमी क्यों हो रही है?

ओमिक्रॉन के मामलों की शुरुआत एक महीने पहले शंघाई में जब सामने आई तो शहर के केवल कुछ इलाकों को ही क्वारंटाइन किया गया था। फिर जैसे ही वायरस का प्रसार तेजी से होने लगा तो अधिकारियों ने पिछले हफ्ते अचानक से लॉकडाउन लगाने का फैसला कर दिया। सोमवार को ढाई करोड़ की आबादी वाले पूरे शहर को कवर करने के लिए लॉकडाउन को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया। सख्त नियमों का मतलब है कि ज्यादातर लोगों को भोजन और पानी का ऑर्डर देना पड़ रहा है व  सब्जियों, मांस और अंडों के सरकारी ड्रॉप-ऑफ का इंतजार करना पड़ रहा है। लेकिन लॉकडाउन के विस्तार ने डिलीवरी सेवाओं, किराने की दुकान की वेबसाइटों और यहां तक ​​कि सरकारी आपूर्ति के वितरण को भी प्रभावित किया है। कई डिलीवरी कर्मी भी लॉक-डाउन क्षेत्रों में हैं, जिससे डिलीवरी क्षमता में कमी आई है। शहर के कुछ इलाकों में स्थानीय लोगों का कहना है कि वे सभी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह से कट गए हैं। एक उपयोगकर्ता ने शहर के अधिकारियों के वीडियो संदेश के जवाब में सोशल मीडिया साइट वीबो पर लिखा कृपया अपर्याप्त वितरण क्षमता की समस्या को जल्द से जल्द हल करें। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि यह "मेरे जीवन में पहली बार था कि मैं भूखा रह गया। लेकिन बुजुर्ग या टेक्नॉलाजी से अच्छी तरह से फ्रेडली नहीं होने वाले लोगों को तो और भी परेशानी हो रही है। शहर के अधिकारियों ने खाने-पीने के संकट को स्वीकार करते हुए कहा कि शंघाई में चावल, नूडल्स, अनाज, तेल और मांस की पर्याप्त आपूर्ति थी लेकिन उन्हें वितरित करने में देरी हुई। शंघाई म्युनिसिपल कमिशन ऑफ कॉमर्स के उप निदेशक लियू मिन ने कहा, "यह सच है कि दैनिक आवश्यकताओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने में कुछ कठिनाइयां हो रही हैं। शंघाई के उप महापौर ने कहा कि शहर कुछ थोक बाजारों और खाद्य भंडारों को फिर से खोलने की कोशिश की जाएगी। 

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भारत को कितना डरने की जरूरत

भारत में कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट जारी है। इन सब के बीच देश में मॉस गैदरिंग, मास्क की अनिवार्यता जैसी पाबंदियों को हटा दिया गया है। लेकिन भारत से इतर विश्व के कई देश ऐसे भी हैं जहां कोरोना अपनी रफ्तार बढ़ा रहा है। फ्रांस, इटली, जर्मनी,साउथ कोरिया, अमेरिका, इंग्लैंड, डेनमार्क, रूस आदि देशओं में हजारों की संख्या में रोजाना संक्रमण के केस आ रहे हैं। ये सभी केस ओमिक्रॉन के साथ ही डेल्टा वेरिएंट के भी हैं और दोनों वायरल के मिलकर बने वेरिएंट भी हैं। विश्व में चारो ओर कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल भारत के लिए डरने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन अगर चीन में कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो भारत के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है। चीन में हुआ आउटब्रेक भारत को भी अफेक्ट कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसलिए कम से कम एक से दो महीने तक कोविड से निपटने के लिए चीन की नीति पर बारीक नजर रखने की जरूरत है। हालांकि ओमिक्रोन की तीसरी लहर में लोगों का ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्या में संक्रमित होने की वजह से भारत के लोगों में हाइब्रिड इम्‍यूनिटी विकसित होने की वजह से भारत पर इसके प्रभाव को लेकर ज्यादा असर नहीं होने की बात कही जा रही है। 

-अभिनय आकाश 

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