By नीरज कुमार दुबे | Feb 19, 2024
कश्मीर में तांबे के बर्तनों का खूब उपयोग किया जाता है। कोई अमीर हो या गरीब, इससे फर्क नहीं पड़ता, तांबे के बर्तन यहां हर घर की शोभा हैं। हालांकि नई पीढ़ी की रुचि इसकी ओर कम हो रही है लेकिन फिर भी आपको हर घर में तांबे के बर्तन जरूर मिलेंगे। यह बर्तन दिखने में इतने आकर्षक होते हैं कि हर पर्यटक की भी चाह होती है कि कश्मीरी संस्कृति और परम्परा के इस अमूल्य हिस्से को अपने यहां ले जाये। हम आपको बता दें कि तांबे के बर्तनों में हाथ से कलाई कोटिंग की जाती है जिससे उनकी सुंदरता बढ़ जाती है। वैसे दशकों पुरानी कलाई कोटिंग के शिल्पकार अब कम ही बचे हैं। कलाई कोटिंग के शिल्पकारों को आज भी पुराने तरीके से ही अपने काम को करना पड़ता है जोकि काफी मेहनत भरा है। प्रभासाक्षी संवाददाता ने कश्मीर में 40 वर्षों से कलाई कोटिंग कर रहे गुलाम मुहम्मद से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि विरासत को बचाये रखने और इस शिल्प कौशल से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए हम इस कला से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बर्तनों में कलाई कोटिंग कराना इसलिए भी लाभकारी होता है क्योंकि यह फूड पॉइजनिंग और तांबे की वस्तुओं को काला होने से बचाता है। उन्होंने कहा कि अब इस कला के जानकार कम ही बचे हैं और उनका परिवार ही श्रीनगर में सदियों पुरानी इस परम्परा को बचाये हुए है। उन्होंने कहा कि चार दशकों से अधिक के समय में हमने कई युवाओं को इस कला के बारे में सिखाया लेकिन चूंकि इसमें मेहनत बहुत है इसलिए अधिकांश लोग इससे जुड़े नहीं रहे। उन्होंने कहा कि उनका परिवार सभी प्रकार के तांबे के बर्तनों और सजावटी वस्तुओं पर कलाई कोटिंग करता है।