By निधि अविनाश | Aug 04, 2020
देश और दुनिया में कारखानों और फैक्ट्री से निकलते धुएं से पहले ही पर्यावरण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसी बीच अब हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले रोजाना के सामान जैसे रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर भी अब पर्यावरण के साथ-साथ पृथ्वी की छतरी कहलाने वाली ओजोन लेयर को भी काफी नुकासान पहुंचा रही है।जानकारी के मुताबिक एसी और फ्रिज में क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस का इस्तेमाल होता है जोकि ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। एक खबर के मुताबिक घरों में उपयोग होने वाले यह उपकरण आने वाले 30 सालों में बढ़कर चार गुना हो जाएंगे। अगर इस गैस के रिसाव को कम करने के लिए केवल फ्रिज के इस्तेमाल को बढ़ने से रोक लिया जाता है तो इससे तापमान को 0.4 फीसदी बढ़ने से रोका जा सकता है।
यूएनईपी और अंतराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक रिसर्च के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में ठंडा करने वाली उपकरण जैसे एसी, फ्रिज का इस्तेमाल 360 करोड़ है जिसका उपयोग आने वाले 30 सालों में बढ़कर 1400 करोड़ हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक एसी से निकलने वाली कार्बन डायऑक्साइड, ब्लैक कार्बन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन जैसे हानिकारक गैंसें धरती के ओजोन लेयर को काफी नुकसान पहुंचा रही है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि पर्यावरण अनुकूल कूलिंग उपकरणों में भरी कटौती की जा सकती है। बता दें कि अगर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन उपकरण जैसे फ्रीज के इस्तेमाल में कटौती कर दी जाए तो इससे तापमान में बढ़ रही 0.4 फीसदी तापमान की बढ़ोतरी को अंत किया जा सकता है।
क्या होगा इससे लाभ?
रिपोर्ट कहता है कि बेहतर एसी के काफी लाभ होंगे जैसे, जीवन रक्षक दवाओं और टीकों के लिए बेहतर कूलिंग सिस्टम, हवा की गुणवत्ता में सुधार आएगा वहीं खानें और कई जरूरी सामानों को खराब होने से भी बचाया जा सकेगा। अगर ऐसा होता है तो वैश्विक तापमान में हो रही तेजी को 1.5 डिग्री तक सीमित किया जा सकेगा।