By कमलेश पांडे | Jun 29, 2024
अगर आपको रूपए-पैसे की तत्काल जरूरत पड़ती है तो गोल्ड लोन, एफडी लोन, म्यूचुअल-फंड लोन या पर्सनल लोन जैसे विकल्पों पर ही गौर करना चाहिए। क्योंकि इनसे ही आपको फायदे होंगे। कहना न होगा कि मनी मैनेजमेंट यानी रूपए-पैसे का समुचित प्रबंधन एक व्यक्तिगत कला है, जो प्रोफेशनल टच पाकर और संवर जाती है। हालांकि यह सबमें एक जैसी नहीं होती है।
इसलिए कोई सकारात्मक कर्ज लेकर भी आगे बढ़ता रहता है, जबकि कोई नकारात्मक कर्ज लेकर उसके बोझ तले दब जाता है और अंत में भुगतान संकट के कारण अपना सिबिल भी खराब कर लेता है। इसलिए कोई भी लोन लेने से पहले उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचना-विचारना चाहिए और सस्ते व सुरक्षित कर्ज को तुलनात्मक रूप से प्राथमिकता देनी चाहिए।
देखा जाए तो उद्यम यानी अनवरत श्रम करते रहने की प्रवृत्ति और किफायती खर्च के साथ बचत करते रहने वाली मनोदशा ही किसी व्यक्ति को मनी मैनेजमेंट में माहिर बनाती है। ऐसा व्यक्ति न केवल कमाता है, बल्कि रुपये-पैसे की बचत करके उसका यथोचित निवेश और सम्पत्ति सृजन भी करते रहता है। वहीं, कामचोर और खर्चीले प्रवृत्ति का व्यक्ति कर्ज के लेन-देन में निरंतर उलझा रहता है। वहीं, कुछ वैसे लोग भी होते हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य के खर्चे या आवश्यक उपभोग की वस्तुओं पर व्यय के लिए अचानक लोन लेते हैं।
ऐसे सभी व्यक्तियों के लिए लोन लेने के कई विकल्प मौजूद हैं। आप फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन, गोल्ड पर लोन या फिर म्यूचुअल फंड पर लोन ले सकते हैं। वहीं, पर्सनल लोन भी एक शानदार विकल्प है। यह बात दीगर है कि सभी तरह के लोन की अपनी अपनी खूबियां और खामियां हैं, जिन्हें कोई भी बैंकिंग या इन्वेस्टमेंट प्रोफेशनल आपको अच्छी तरह से समझा सकता है। आम तौर पर ब्याज दर, तत्काल कर्ज मिलने की सहूलियत और कम दस्तावेज की जरूरत आदि ब्याज दर के कम या अधिक होने पैमाने हैं। इस आधार पर शॉर्ट-टर्म लोन का कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है, उसे समझने की कोशिश करते हैं।
यदि आप म्यूचुअल फंड लोन लेने पर विचार करते हैं तो आपको इसके दृष्टिगत बाजार से जुड़े जोखिम पर ध्यान रखने की जरूरत है। क्योंकि ऐसे लोन के लिए सिक्युरिटी के तौर पर म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसकी ब्याज दर अभी 12-14 प्रतिशत है। खास बात यह कि इसमें लंबी अवधि का निवेश भी बना रहता है और जरूरी कैश भी मिल जाता है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहता है। इसलिए यदि कर्ज (लोन) चुकाने से पहले म्यूचुअल फंड यूनिट्स की कीमत गिर जाती है, तो आपको लोन का अनुपात बनाए रखने के लिए अतिरिक्त यूनिट्स बेचने पड़ सकते हैं। ऐसे में आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए म्यूचुअल फंड लोन लेने के वक्त ऐसे पहलू का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इससे आपको क्षति की गुंजाइश ही नहीं रहेगी।
वहीं, यदि आप पर्सनल लोन लेने पर विचार कर रहे हैं तो इनकी ऊंची ब्याज दरों पर भी गौर कीजिए। क्योंकि आजकल पर्सनल लोन पर 17-18 प्रतिशत तक ब्याज चुकाना पड़ रहा है। वैसे तो ये पैसे की तत्काल जरूरत पूरी करने के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक हैं, बशर्ते कि इन्हें जल्द चुका दिया जाए। वहीं, किसी भी तरह के क्रेडिट कार्ड पर कर्ज लेने से हमेशा बचने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि इन पर पर्सनल लोन से ज्यादा ब्याज देना पड़ता है जो सालाना 30 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा होता है। इसलिए ब्याज दर के मामले में अन्य विकल्प बेहतर हैं और जब वो ना मिल पाए, तभी इस पर विचार किया जाना चाहिए।
वहीं, यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर लोन लेना चाहते हैं तो कर्ज के साथ बचत भी बरकरार रह सकती है। क्योंकि आप अपनी बैंक एफडी को तोड़े बगैर उस पर कर्ज (लोन) ले सकते हैं। इस तरह से आपके बैंक में जमा बचत को बरकरार रखने के फायदे के साथ साथ जरूरी नकदी भी मिल जाती है। वहीं, एफडी लोन पर लागू ब्याज दरें भी महज 12-15 प्रतिशत के बीच हैं, जो पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम हैं। खास बात यह कि आपको ये लोन भी आसानी से तत्काल मिल जाता है। क्योंकि इसके लिए बैंक के पास ज्यादा दस्तावेज जमा करने की जरूरत भी नहीं होती है।
वहीं, गोल्ड लोन लेना भी एक आकर्षक विकल्प है, क्योंकि ऐसे लोन पर ब्याज दरें भी कुछ कम होती हैं। बहरहाल सोने की कीमतें 75,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने के चलते अब गोल्ड लोन बेहद आकर्षक हो गए हैं। कहने का आशय यह कि आपको अपने गहने गिरवी रखने पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा लोन मिलेगा। इस लोन की एक खासियत यह है कि पर्सनल लोन की तुलना में इस पर कम ब्याज लगता है, जो 10-12 प्रतिशत होता है। हालांकि यदि आप लोन चुकाने में चूक जाते हैं तो आपका सोना जब्त किया जा सकता है। साथ ही अतिरिक्त शुल्क भी लग सकते हैं। वहीं, सामाजिक दृष्टिकोण से भी औरतों के गहने को बेचना या उसे गिरवी रखना अच्छा नहीं समझा जाता है, फिर भी कम ब्याज के चलते जरूरत पड़ने पर आप ऐसा कर सकते हैं। बस इस बात की सावधानी रखें कि वह बदला नहीं जाए। मतलब प्रतिष्ठित संस्थाओं से ही ऐसी डील करें।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार