By Anoop Prajapati | Dec 24, 2024
दिल्ली फतह की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी की राह में विधानसभा की 11 सीटें रोड़ा बनी हुई हैं। 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली की इन 11 सीटों पर पार्टी अब तक खाता तक नहीं खोल पाई है। 11 में से 5 सीटें तो दलित बहुल है। इन सीटों की वजह से ही 2013 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से दूर हो गई थी। बीजेपी दिल्ली की सत्ता में 2013 में सिर्फ 4 सीटों की वजह से नहीं आ पाई थी। ऐसे माहौल में राजधानी दिल्ली की 11 सीटें पार्टी के लिए काफी अहम हैं। जिसमें 4 सीट मुस्लिम बहुल और दो सीट सामान्य कैटेगरी की है।
इन 11 सीटों पर कभी नहीं खिला कमल
1. ओखला- मुस्लिम बहुल ओखला सीट पर भी बीजेपी कभी नहीं जीत पाई है। ओखला साउथ-ईस्ट दिल्ली की विधानसभा सीट है। 1993 में यहां भी विधानसभा का पहला चुनाव कराया गया था। ओखला सीट पर जनता दल, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी को जीत मिल चुकी है। बीजेपी 2015 और 2020 में यहां दूसरे नंबर रही थी।
2. अंबेडकर नगर- दलितों के लिए रिजर्व अंबेडकर नगर सीट पर भी बीजेपी अब तक खाता नहीं खोल पाई है। अंबेडकर नगर सीट भी 1993 में अस्तित्व में आई थी। कांग्रेस 2013 तक इस सीट से जीत हासिल करती रही। 2013, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी को यहां जीत मिली। विधानसभा के हर चुनाव में बीजेपी यहां पर दूसरे नंबर पर रहती है।
3. बल्लीमारन- मशहूर शायर मिर्जा गालिब से जुड़ी बल्लीमारन की सीट भी बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण ही रही है। इस सीट पर भी बीजेपी अब तक जीत नहीं पाई है। 1993 से अब तक यहां या तो कांग्रेस या आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। बल्लीमारन की सीट मुस्लिम बहुल है।
4. मटिया महल- सेंट्रल दिल्ली की मटिया महल सीट पर भी बीजेपी अब तक चुनाव नहीं जीत पाई है। मटिया महल भी मुस्लिम बहुल सीट है। 1993 से लेकर अब तक इस सीट पर आम आदमी पार्टी, जनता दल सेक्युलर, जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी ने ही जीत हासिल की है।
5. सुल्तानपुर माजरा- नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा सीट दलितों के लिए आरक्षित है। विधानसभा की इस सीट पर भी बीजेपी अब तक जीत नहीं दर्ज कर पाई है। 1993 में पहली बार यहां चुनाव कराए गए थे। 2013 तक यहां कांग्रेस और 2015 से 2020 तक आप ने जीत दर्ज की।
6. मंगोलपुरी- नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली की मंगोलपुरी सीट भी दलितों के लिए रिजर्व सीट है। यहां भी बीजेपी का खाता अब तक नहीं खुला है। 1993 से 2008 तक यहां कांग्रेस और 2013 से 2020 तक आप ने जीत दर्ज की।
7. सीलमपुर- नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की सीलमपुर सीट मुस्लिम बहुल है। 1993 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा के चुनाव कराए गए थे। तब से अब तक यहां बीजेपी जीत नहीं पाई है। सीलमपुर में एक बार जनता दल, एक बार निर्दलीय, 3 बार कांग्रेस और 2 बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। दिलचस्प बात है कि जीत यहां किसी को भी मिले, लेकिन दूसरे नंबर पर हर बार बीजेपी ही रहती है।
8. कोंडली- पूर्वी दिल्ली की यह सीट दलित समुदाय के लिए रिजर्व है। 2008 में यहां पर पहली बार चुनाव कराए गए थे। तब से अब तक यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ही जीतती रही है। यहां अब तक के सभी चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है। हालिया लोकसभा चुनाव में कोंडली सीट पर बीजेपी को बढ़त मिली थी।
9. देवली- दक्षिणी दिल्ली की देवली सीट पर भी बीजेपी अब तक जीत नहीं पाई है। 2008 में देवली सीट पर पहली बार परिसीमन के बाद चुनाव कराए गए थे। 2008 में यहां कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2013 से यहां आम आदमी पार्टी जीत रही है। देवली सीट दलितों के लिए आरक्षित है।
10. जंगपुरा- दक्षिण पूर्व दिल्ली की जंगपुरा सीट पर भी बीजेपी अब तक चुनाव नहीं जीत पाई है। जंगपुरा सीट पर मुस्लिम, पंजाबी और दलित एक्स फैक्टर हैं। 1993 में यहां पहली बार विधानसभा के चुनाव हुए थे। 1993 से 2008 तक यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 2013 से 2020 तक आप को इस सीट पर जीत मिली। आप ने इस बार यहां से मनीष सिसोदिया को मैदान में उतारा है।
11. विकासपुरी- पश्चिमी दिल्ली की विकासपुरी सीट पर भी अब तक बीजेपी खाता नहीं खोल पाई है। विकासपुरी सीट पर 2008 में पहली बार विधानसभा के चुनाव कराए गए थे। 2008 में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी। 2013 से आम आदमी पार्टी इस सीट पर जीत रही है। दिलचस्प बात है कि इस सीट पर भी बीजेपी 2008 से दूसरे नंबर पर रह रही है।