By दिनेश शुक्ल | Dec 08, 2020
हैदराबाद। कांग्रेस का जहाज डूब रहा है और इसलिए वह किसानों को भ्रमित करके अपनी राजनीति चमकाने का घृणित प्रयास कर रही है। उक्त बात मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैदराबाद स्थिति भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पत्रकारों से ये बात कही। मुख्यमंत्री शिवराज जी ने 2011 में लिखा गया श्रीमान शरद पवार जी के पत्र दिखाते हुए कहा कि मैं उस समय मध्यप्रदेश का चीफ मिनिस्टर था, शरद पवार जी कृषि मंत्री थे, श्रीमान मनमोहन सिंह जी भारत के प्रधानमंत्री थे और मैडम सोनिया गांधी जी यूपीए की चेयरपर्सन थी। उस समय शरद पवार जी ने बार-बार मॉडल एपीएमसी एक्ट को लागू करने और स्टेट एपीएमसी एक्ट्स में संशोधन के लिए कहा था। मैडम सोनिया गांधी जी ने एपीएमसी मॉडल का समर्थन किया था। तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन जी की भी इसमें सहमति थी। कांग्रेस ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट में संशोधन का वादा किया था। 2019 के चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस ने 11वें पॉइंट में स्पष्ट लिखा है कि कांग्रेस Agricultural Produce Market Committees Act को निरस्त कर देगी। जिसमें निर्यात और अंतर्राज्यीय व्यापार भी शामिल होगा। जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में Essential Commodities Act (ECA) को नए कानून मे लाने की बात कही थी। इसे भी उनके मेनीफेस्टो में देखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 दिसंबर 2013 का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने जिनको ये पता नहीं होता है कि प्याज जमीन के नीचे उगती है कि ऊपर उगती है। उन्होंने ये कहा था कि फलों और सब्जियों को APMC एक्ट से बाहर करने का ऐलान किया था ताकि किसान अपनी पैदावार जहां चाहें बेच सकें। लेकिन जब आज हमारी सरकार वही काम कर रही है तो कांग्रेस किसानों को भड़काने में लगी है। एपीएमसी एक्ट मॉडल में जो लिखा गया है उसका भी उल्लेख करते हुए सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को मंडी के बाहर अपनी फसल को बेचने का प्रावधान किया है यही बात मोदी जी ने अभी किया है लेकिन कांग्रेस यही बात आज नहीं बरसों से कहती रही है इसमें व्यापारी को पूरे प्रदेश में कहीं भी फसल खरीदने के लिए एक लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान है। जो बात बरसों से कांग्रेस कहती रही है मनमोहन सिंह जी, सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी, शरद पवार जी भी कहते रहे हैं कि प्राइवेट मंडी खोलेंगे। ये प्रावधान करने की बात शरद पवार जी हम से चिट्ठी में कहते रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब प्राइवेट मंडी खोलने का प्रावधान है किसान को उनकी उपज बेचने के एक से ज्यादा विकल्प होने चाहिए। वह चाहे तो मंडी में बेचे, चाहे तो मंडी के बाहर बेचे वह किसी एक्सपोर्टर को बेचे वह किसी फूड प्रोसेसर को बेचे। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर डायरेक्ट परचेस सेंटर पर घर में खेत में कहीं भी बेचे यह मॉडल शरद पवार जी लागू करने के लिए हमसे कहते थे और यही बात एनडीए की सरकार ने की तो कांग्रेस विरोध कर रही है। एक राज्य से दूसरे राज्य में फसल ले जाने पर मंडी शुल्क न लगे ये एपीएमसी मॉडल एक्ट में प्रावधान था। जिसको हमें लागू करने की बात करते थे। अब ये लागू किया गया है तो पता नहीं कांग्रेस को क्या हो गया है। एकदम यू-टर्न ले लिया है। चौहान ने कहा कि हमारी मोदी जी की सरकार ने नए अधिनियमों में उपरोक्त प्रावधानों को सम्मिलित किया है। ये सभी प्रावधान किसानों के पक्ष में है। 2011 में आज से 10 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार के कृषि मंत्री शरद पवार जी द्वारा पत्र लिखा यहीं कह रहे थे।
दूसरा तथ्य बताते हुए चौहान ने कहा कि 2013 की यूपीए सरकार ने देश के सहकारिता मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी. महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री हर्षवर्धन पाटिल जी की अध्यक्षता में और इस कमेटी को कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए अपने सुझाव देने थे इस कमेटी ने भी और योजना आयोग के द्वारा भी 2011 में कृषि उत्पाद या फसल के अंतरराज्यीय व्यापार की अनुशंसा की गई थी और एक अधिनियम बनाए जाने की बात कही गई थी। 2014 में भी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले फल एवं सब्जी को एपीएमसी एक्ट या मंडी अधिनियम से डिनोटिफाई करने का निर्णय कांग्रेस शासित राज्यों ने लिया था।ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान योजना आयोग के प्रकाशित रिपोर्ट में मॉडल एपीएमसी एक्ट 2003 में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लागू करने का प्रावधान था। योजना आयोग के एग्रीकल्चर मार्केटिंग के वर्किंग ग्रुप ने वर्ष 2011 के प्रतिवेदक द्वारा एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के प्रावधानों को केवल आपातस्थिति में लागू करने की अनुशंसा की थी। ये सब वह बातें हैं जो आज तीनों किसान कानूनों के माध्यम से बीजेपी की सरकार ने एनडीए की सरकार ने की है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि श्रीमती सोनिया गांधी जी, मनमोहन सिंह जी, राहुल गांधी जी और शरद पवार जी से पूछना चाहता हूं। पहले एपीएमसी मॉडल एक्ट लागू करने के लिए जमीन और आसमान एक कर रहे थे, आज जब किसानों के हित में ये कानून बना दिए गए। तो आप जमीन को सिर पर उठा कर घूम रहे हैं। भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं। एकदम यू टर्न क्या ये पाखंड नहीं है। ये धोखा नहीं है। बेईमानी नहीं है। ये किसानों के नाम पर अपने आप को जीवित करने के प्रयास नहीं है क्या ? इसका जवाब मैडम सोनिया जी और शरद पवार जी को देना पड़ेगा। चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने साफ-साफ कहा कि एमएसपी किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होगी, यह जारी रहेगी। सोनिया-राहुल जी एमएसपी पर कितना खरीदते थे हम कितना खरीद रहे हैं आप यह भी जान लीजिए। यूपीए ने 2009 से 2014 तक धान खरीदी केवल 2.06 लाख करोड़ रुपए तक की और एनडीए ने खरीदी से 2014 से 2019 तक 4.95 लाख करोड़ रुपए कि 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यूपीए सरकार के समय गेहूं खरीदा गया 1.68 लाख करोड़ का, एनडीए ने खरीदा 2.97 लाख करोड़ रुपए की खरीदी गई थी। अब कांग्रेस एमएसपी के नाम पर किसानों को गुमराह कर रही है।
अरविंद केजरीवाल तो बिन पेंदी के लोटा है, कब कहां चले जाएं पता नहीं, केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर 2020 को कृषि सुधार कानून को दिल्ली में नोटिफाई किया था लेकिन आज विरोध कर रहे हैं। मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर योगेंद्र यादव के स्वराज अभियान ने सरकार पर एपीएमसी में सुधार से हाथ खींचने का आरोप लगाया था लेकिन जब ये संशोधन हुए हैं तो वे विरोध कर रहे हैं। आकाली दल, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, टीएमसी जैसी पार्टियां पहले समर्थन कर रही थी लेकिन अब विरोध कर रही हैं। कांग्रेस का काम तो आग लगाने, भ्रम फैलाने का काम है, कल भारत बंद का आह्वान किसानों ने किया है, किसानों ने इन दलों को नहीं बुलाया लेकिन फिर भी यह दल ओछी राजनीति कर रहे हैं। जो भी पॉलिटिकल पार्टी भारतबंद का समर्थन कर रही हैं वह समझ ले इस घृणित राजनीति से उन्हें फायदा नहीं होगा। भाजपा सरकार किसानों से बातचीत कर सभी समस्याओं का हल कर लेगी।