By अनुराग गुप्ता | Jan 12, 2022
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुत बज चुका है। इसी के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। इस चुनाव को लेकर ग्रैंड ओल्ड पार्टी नए−नए प्रयोग कर रही है ताकि उत्तर प्रदेश की सत्ता से चल रहा उनका सालों का वनवास समाप्त हो जाए। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने चुनावों में महिलाओं की 40 फीसदी भागीदारी का वादा किया था, लेकिन उन्हें महिला उम्मीदवार नहीं मिल रही हैं। ऐसे में पार्टी ने नई योजना तैयार की है। जिसके तहत सुर्खियां बटोरने वाली महिलाओं को चिह्नित किया जा रहा है।
उम्मीदवारों की तलाश जारी
कांग्रेस महासचिव ने पार्टी नेताओं को ऐसी महिलाओं को तलाशने का जिम्मा सौंपा है, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है लेकिन उन्होंने अलग−अलग कारणों से सुर्खियां बटोरी थी। ऐसी महिलाओं की एक सूची तैयार की जा रही है। प्रियंका गांधी ने पार्टी नेताओं को इन महिलाओं से और उनके परिवारों से मिलने और उनकी राय जानने का निर्देश दिया है।कांग्रेस उठाएगी सारा खर्चाकांग्रेस साधारण महिलाओं को तलाश कर उनको चुनावी मैदान पर उतारने की योजना तैयार कर ली है। आपको बता दें कि महिलाओं का सारा चुनावी खर्चा और प्रबंधन की जिम्मेदारी कांग्रेस उठाएगी। दरअसल, कांग्रेस आम लोगों को संदेश देना चाहती है कि हम आप लोगों के बीच की पार्टी हैं और हम महिलाओं का सम्मान करते हैं और समाज महिलाओं के बिना अधूरा है। इसीलिए तो पार्टी महासचिव ने महिला घोषणा पत्र जारी किया था और 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा दिया था।विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस पार्टी नेताओं की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में पद्म पुरस्कारों का जिक्र हुआ कि कैसे यह पुरस्कार गुमनाम चेहरों तक पहुंचकर एक नई मिसाल कायम की है। इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने राजनीति में भी गुमनाम चेहरों को आगे लाने का निर्णय लिया गया।साधारण सी और गुमनाम महिलाओं को टिकट दिए जाने को लेकर प्रियंका गांधी काफी उत्साहित बताई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका मानना है कि अगर यह महिलाएं चुनावों में जीत दर्ज नहीं करती हैं तो भी कोई समस्या नहीं है क्योंकि जिन दूसरे लोगों को टिकट दिए जा रहे हैं, उनकी जीत की भी कोई गारंटी नहीं है।साधारण महिलाओं को टिकट देना कांग्रेस का नई रणनीति है या फिर मजबूरी ? राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ओपिनियन पोल और सर्वे में पिछड़ रही कांग्रेस के पास नए विचारों को आजमाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। भले ही प्रियंका गांधी ने बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश की हो लेकिन फिजिकल रैलियों पर रोक लग जाने के बाद कांग्रेस को लोगों तक अपनी पहुंच बना पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। तमाम तरह के सर्वे और ओपीनियन पोल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। हालांकि 10 मार्च को ही स्पष्ट हो पाएगा कि किसकी रणनीति सफल हुई है।