By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 17, 2023
राजस्थान में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट और मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के तीखे हमले के बाद जलदाय मंत्री महेश जोशी ने गहलोत सरकार का बचाव करते हुए इस बात पर आश्चर्य व निराशा जताई कि कुछ जिम्मेदार लोग सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। राजस्थान कांग्रेस में गहलोत-पायलट की खींचतान के बीच, मुख्यमंत्री के वफादार जोशी और डीडवाना के विधायक चेतन डूडी ने सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने वालों पर निशाना साधा और पायलट पर अपनी मांगों के जरिए युवाओं को गुमराह करने का भी आरोप लगाया।
इन नेताओं की टिप्पणी पायलट और सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा द्वारा भ्रष्टाचार व कई मुद्दों को लेकर अपनी ही सरकार पर निशाना साधे जाने के बाद आई है। पायलट ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा था, ‘‘जनसंघर्ष सभा में हमने तीन मांगें रखी हैं : वसुंधरा (राजे नीत) सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन हो। भ्रष्टाचार और पेपर लीक की लगातार घटनाओं के कारण वर्तमान आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग) का पुनर्गठन और चयन प्रक्रिया के लिए स्पष्ट संस्थात्मक मापदण्ड एवं पारदर्शिता सुनिश्चित हो। पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को उचित आर्थिक मुआवजा।’’
पायलट के अनुसार, ‘‘उनको इस महीने के अंत तक प्रदेश की जनता से जुड़ी इन महत्वपूर्ण मांगों पर उचित कदम उठाए जाने का इंतजार रहेगा।’’ उल्लेखनीय है कि सैनिक कल्याण मंत्री गुढ़ा ने सोमवार को यहां सचिन पायलट की एक सभा में आरोप लगाया था कि ‘‘इस सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं।’’ इसके जवाब में जोशी ने कहा, ‘‘अपनी ही सरकार पर आरोप लगाने से पहले उन्हें यह सोचना चाहिए था कि वे ये आरोप खुद पर भी लगा रहे हैं।’’
जोशी ने कल रात एक बयान में कहा कि अत्यंत आश्चर्यजनक और खेदजनक है कि कुछ जिम्मेदार लोग अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आरोप लगाने वालों को यह अच्छे से पता है कि जब कभी भी भ्रष्टाचार की बात सामने आई है तो मुख्यमंत्री जी ने भ्रष्टाचार पर बिल्कुल न बर्दाश्त करने की (जीरो टॉलरेंस) नीति अपनाते हुए सशक्त चोट की है। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाइयां इस बात का प्रमाण हैं कि भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी बड़ा शख्स हो, एसीबी द्वारा बेहिचक और बड़ी सख्ती से कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया।’’
इसी तरह डीडवाना से विधायक डूडी ने कहा कि पायलट द्वारा उठाई गई तीन मांगें अव्यावहारिक हैं। डूडी को कभी पायलट का करीबी माना जाता था लेकिन 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान वह सरकार के साथ खड़े हुए। डूडी ने ट्वीट किया, ‘‘सचिन पायलट ने जिन तीन मुद्दों को उठाया है, वे अव्यावहारिक एवं पूरी तरह समझ से परे हैं। क्या आपको पता नहीं कि आरपीएससी स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है जो कभी भंग नहीं की जा सकती। आरपीएससी सदस्य का तो इस्तीफा भी राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किया जाता है। आप क्यों युवाओं को भ्रमित कर रहे हैं?’’
हालांकि पायलट के एक समर्थक ने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पुनर्गठन की मांग यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हो ताकि ताकि यह युवाओं में विश्वास पैदा कर सके कि चयन निष्पक्ष होगा। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले पर डूडी ने कहा, ‘‘पायलट साहब बताएं कि वसुंधरा सरकार के कौन-से मामले अब भी लंबित हैं जिनकी वो जांच करवाना चाह रहे हैं क्योंकि सरकार आते ही सबसे पहले उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय से इन मामलों का निस्तारण हो चुका है।’’
अपनी जनसंघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर जयपुर में आयोजित सभा में पायलट ने सरकार के सामने तीन मांग रखीं... जिनमें राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को बंद कर इसका पुनर्गठन करना, परीक्षा पत्र लीक होने से प्रभावित प्रत्येक नौजवान को उचित आर्थिक मुआवजा देना और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना शामिल हैं।
डूडी ने लिखा, ‘‘परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने पर मुआवजा देने की मांग सिर्फ अपनी झूठी वाहवाही के लिए है क्योंकि ऐसा किसी राज्य में नहीं होता। आज तक इतिहास में किसी नेता ने ऐसी मांग नहीं की। जितनी कड़ी कार्रवाइयां परीक्षा पत्र लीक होने पर राजस्थान में हुई है वह दूसरे किसी राज्य में नहीं हुई है। यह बात युवा अच्छे से जानते हैं।’’ इसका प्रतिवाद करते हुए पायलट के अन्य वफादार ने मंगलवार को कहा कि नियुक्तियां राजनीतिक संपर्कों पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि किसी योग्य वैज्ञानिक या शिक्षाविद को नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि इस संस्थान की विश्वसनीयता को पुनर्जीवित किया जा सके।
आरपीएससी के एक सदस्य बाबूलाल कटारा की पेपरलीक मामले में हालिया गिरफ्तारी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, नियुक्ति का मानदंड राजनीतिक संबंध नहीं होना चाहिए और नियुक्ति से पहले उम्मीदवार की पूरी पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए ताकि आरपीएससी में कोई अगला बाबूलाल कटारा न हो। डूडी ने इससे पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा पायलट की रैली की तस्वीर और वीडियो ट्विटर पर साझा किए जाने पर भी कटाक्ष किया।
डूडी ने कहा, ‘‘राजस्थान में सबसे बड़ा संजीवनी घोटाला है जिसमें लाखों लोगों के घर लूटे गए लेकिन आज रैली में संजीवनी घोटाले के प्रमुख आरोपी का नाम भी नहीं लिया गया और रैली के बाद प्रमुख आरोपी ने पायलट साहब की तारीफ में ट्वीट किया। यही आज की रैली की सच्चाई है क्योंकि दोस्ती तो मानेसर के समय से ही है।’’ उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगाावत करने वाले पायलट और उनके समर्थक विधायक गुरुग्राम के पास मानेसर के होटलों में रुके थे।