By अनुराग गुप्ता | Apr 18, 2022
नयी दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के एक दिन बाद पूर्व राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय पार्टी के भीतर लड़ रही है। पूर्व राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने कांग्रेस से अपने चार दशक पुराने रिश्ते तोड़ दिए और रविवार को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए।
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में रिपुन बोरा ने बताया कि मैं लगभग 40 वर्षों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा था लेकिन बहुत भारी मन से मुझे कांग्रेस से इस्तीफा देना पड़ा। मुझे पार्टी और उसके नेताओं के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। मैंने कुछ नीतिगत और वैचारिक मामलों के चलते इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस के भीतर चल रही है लड़ाई
उन्होंने बताया कि जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक के कांग्रेसी नेता आपस में लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से भाजपा पूरे देश में बढ़ रही है और संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को नष्ट कर रही है, उसने हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने और अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल दिया है। कांग्रेस को सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते भाजपा से लड़ना चाहिए था लेकिन पार्टी के भीतर ही लड़ाई चल रही है।
रिपुन बोरा ने बताया कि उन्हें विश्वास था कि केवल तृणमूल कांग्रेस ही भाजपा से लड़ सकती है। उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय पार्टी के भीतर लड़ रही है। इसीलिए भाजपा सभी चुनाव जीतने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने जिस तरह से भाजपा के खिलाफ इतनी आक्रामक और सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी, मुझे विश्वास था कि केवल तृणमूल कांग्रेस ही भाजपा से लड़ सकती है।
असम में शून्य है तृणमूल असम
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि असम में तृणमूल कांग्रेस की ताकत शून्य है और वह इसे मजबूत करने और भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं सत्ता के लिए लालायित नहीं हूं। मैं सत्ता का मोहताज नहीं हूं। अगर मुझे सत्ता चाहिए होती तो मैं भाजपा में जाता। मैं भाजपा में नहीं गया। उन्होंने कहा कि तृणमूल वह पार्टी है जिसकी ताकत असम में शून्य है। इसीलिए मैं पार्टी को मजबूत करने और भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए तृणमूल में आया हूं।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस द्वारा उन्हें सांसद, विधायक और प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इस पर उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को संवैधानिक पद देने के लिए बहुत आभारी हूं। मैंने भी अपना पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित कर दिया था और अपनी जान की कीमत पर पार्टी को इतनी सेवाएं दी हैं।