By दीपक कुमार त्यागी | Aug 25, 2020
एक मध्यवर्गीय गैर राजनीतिक आम साधारण नौकरीपेशा व किसान परिवार की पृष्ठभूमि से आकर भारतीय राजनीति के राष्ट्रीय पटल पर बहुत ही कम समय में सकारात्मक राजनीति करते हुए छा जाना, देश के मौजूदा राजनीतिक माहौल में बेहद कठिन कार्य है। राजनीति में इस कार्य को बखूबी अंजाम देकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वर्गीय राजीव त्यागी ने आम जनमानस के इस सपने को साकार कर दिया था। अपनी वाकपटुता और सरलता से वो बहुत कम समय में देश के आम आदमी के सुख-दुख की बेहद सशक्त आवाज़ बन गये थे।
किसी एक राजनीतिक दल के समर्थकों की सीमाओं से ऊपर उठकर देश के आम जनमानस के बीच बेहद लोकप्रिय कांग्रेस के वाकपटु दमदार ओजस्वी राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव त्यागी का 12 अगस्त की शाम को हृदयाघात होने के कारण आकस्मिक निधन हो गया था। प्रभु की इस इच्छा पर मुझ जैसे उनके प्रशंसकों को अभी तक भी विश्वास नहीं हो पा रहा है। मेरा मन आज भी बार-बार यह सोच कर विचलित हो जाता हैं कि ताउम्र एक वह व्यक्ति जो कि किसी भी कार्य से अगर प्रातः 4 बजे भी घर से जब बाहर निकलता था, तो भी रोजमर्रा की तरह ही कम से कम तीन घंटे सर्वशक्तिमान ईश्वर की आराधना अवश्य करता था, उसके साथ ईश्वर ने ऐसा क्यों किया। राजीव जी के लिए हमेशा अपने गुरु की आज्ञा सर्वोपरि रही थी, वो उसका हर परिस्थिति में पालन अवश्य करते थे। मन यह सोचकर विचलित हो उठता है कि जिस व्यक्ति की दिनचर्या बेहद सादगी भरी सदाचार से परिपूर्ण धार्मिक व सात्विक रही हो, जो व्यक्ति शुद्ध शाकाहारी व हमेशा गरिष्ठ भोजन से दूर रहता हो, जिस व्यक्ति में जीवनपर्यंत किसी भी प्रकार का कोई व्यसन नहीं रहा हो, जिस व्यक्ति को ईश्वर ने शानदार निरोगी काया दे रखी हो, उस शानदार व्यक्तित्व के धनी राजीव त्यागी को ईश्वर ने आखिरकार एक पल में हमसे कैसे छीन लिया। वैसे तो ईश्वर की इच्छा के आगे किसी का भी कोई बस नहीं चलता है, लेकिन राजीव त्यागी के हर समय हंसते हुए चेहरे के यूं अचानक चले जाने ने झकझोर कर रख दिया है। उनके आकस्मिक निधन के बाद से ही देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया व सोशल मीडिया में राजीव त्यागी के सकारात्मक मिलनसार शानदार व्यवहार की लगातार चर्चा हो रही है। उनके धुर राजनीतिक विरोधी भी हमेशा प्यार भरे व्यवहार के चलते उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
आज हम राजीव त्यागी के जीवन से जुड़ी चंद बातें जानकर उनको अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मूल रूप से बिजनौर जनपद के नजीबाबाद तहसील के गांव हरेवली निवासी एक मध्यवर्गीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में 29 सितंबर 1967 को जनपद मेरठ में जन्मे राजीव त्यागी की प्रारंभिक से लेकर इंटरमीडिएट तक की शिक्षा पिता वाई.वी. त्यागी के सरकारी नौकरी में होने के चलते केन्द्रीय विद्यालय मेरठ व हरिद्वार में हुई थी, उन्होंने ग्रेजुएशन दो पार्ट में हरिद्वार व मेरठ के कॉलेज से किया था, वो हरिद्वार में कॉलेज के छात्रसंघ के सचिव भी रहे, इसके बाद राजीव पढ़ने के लिए गाजियाबाद आ गये और उन्होंने प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए किया और उस कॉलेज की छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उसके पश्चात उन्होंने देश की जानीमानी कम्पनियों में नौकरी करके परिवार का जीवनयापन करते हुए विभिन्न सामाजिक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन करना शुरू कर दिया था। राजीव त्यागी ने देश की राजधानी दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद को अपना स्थाई निवास व कर्मभूमि बनाते हुए कार्य करना शुरू कर दिया।
दिल्ली व गाजियाबाद में एक एमबीए पास युवा अपनी विशिष्ट भाषा शैली व मिलनसार व्यक्तित्व के चलते विभिन्न राजनीतिक लोगों व दलों का अपनी तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा था, जिसके चलते राजीव त्यागी को वर्ष 1997 में चौधरी अजीत सिंह की पार्टी "भारतीय किसान कामगार पार्टी" का जनपद गाजियाबाद का युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाया गया, जो पार्टी कुछ समय बाद "राष्ट्रीय लोकदल" के नाम से जाने जाने लगी थी, नयी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलते ही राजीव त्यागी अपनी मेहनत व हौसले के बलबूते लक्ष्य हासिल करने के लिए जीवन पथ पर तेजी से बढ़ चले। अपनी इस शुरुआत की राजनीतिक पारी में ही राजीव त्यागी ने दृढ़संकल्प ईमानदारी से आम लोगों के हक की लड़ाई व संघर्ष के बलबूते राजनीतिक सफलता की नित नई इबारत लिख डाली। उनके बेहद चर्चित राजनीतिक घटनाक्रमों में गाजियाबाद में आवास विकास परिषद की वसुंधरा योजना के अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के हक की लड़ाई लड़ना जिसके लिए वो जेल भी गये थे, उसके बाद उन्होंने महंगाई व किसानों के हक को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पिलखुवा के सिखेड़ा गांव में काला झंडा दिखाकर आम जनमानस की आवाज़ को बुलंद किया जिसके चलते प्रशासन ने उन्हें जेल भेज दिया था। किसानों व आम लोगों की समस्या को लेकर उन्होंने तत्कालीन मंत्री लालजी टंडन का वसुंधरा गेस्ट हाउस में जबरदस्त घेराव किया था जहां पर प्रशासन ने उन्हें व उनके सहयोगियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। उन्होंने एमएमएच कॉलेज में छात्रों की विभिन्न समस्याओं व एलएलबी की सीट कम होने के कारण एक बड़ा आंदोलन चलाया और 47 लोगों के साथ जेल गये थे।
राजीव त्यागी ने गाजियाबाद के डासना में स्थित हिंडन रीवर मिल में मजदूरों के हक की आवाज़ को दमदार ढंग से उठाते हुए आंदोलन चलाया, इस आंदोलन के दौरान पुलिस को बल प्रयोग व गोली तक चलानी पड़ी थी लेकिन फिर भी मौके पर निडरता व निर्भीकता के साथ राजीव त्यागी अडिग रहे। दिल्ली में एक बार संसद के घेराव कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पुलिस के द्वारा की गयी तीन स्तरीय बैरिकेटिंग को तोड़कर संसद के घेराव का प्रयास किया था जहां पर जमकर लाठीचार्ज हुआ और उनको दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। यही नहीं उन्होंने धौलाना क्षेत्र के रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के हक की लड़ाई बहुत लम्बे समय तक धरातल पर आंदोलन करके सर्वोच्च न्यायालय तक लड़कर किसानों को उनकी जमीन वापस दिलाई, राजीव त्यागी के द्वारा किये गये आंदोलनों की लम्बी सूची है।
राजीव त्यागी अपने जीवनकाल में पांच बार आम जनमानस के हक की लड़ाई लड़ते हुए जेल गये थे। प्रधानमंत्री को काला झंडा दिखाने के बाद वर्ष 1999 में राजीव त्यागी अपनी हिम्मत व हौसले के बल पर गाजियाबाद से निकल कर एकाएक राष्ट्रीय पटल पर छा गये थे, अचानक उन्होंने खुद को मेहनत के बलबूते भारतीय राजनीति में जबरदस्त चर्चा में ला दिया था, इसी वर्ष उन्होंने "राष्ट्रीय लोकदल" को अलविदा कह कर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सलमान खुर्शीद के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और अपनी नयी ऐतिहासिक राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर दी। कांग्रेस पार्टी में उन्होंने वर्ष 2004 के चुनाव से पहले सोनिया गाँधी के "सघन जनसम्पर्क अभियान" रोड शो का उत्तर प्रदेश में सफलतापूर्वक कोआर्डिनेशन किया। वर्ष 2005 में कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों में पीआरओ के साथ अटैच होकर चुनाव कराने के लिए पूरे प्रदेश का दौरा किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के खिलाफ उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा आयोजित की गयी यात्रा "आखिर क्यों" में उत्तर प्रदेश के 48 जनपदों का भ्रमण किया जिसमें उन्होंने 4500 किलोमीटर की यात्रा करके कांग्रेस की नीतियों का प्रचार-प्रसार किया।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 में हुए विधान सभा के चुनाव से पहले राजीव त्यागी ने राहुल गाँधी के प्रथम रोड शो "सघन जनसम्पर्क अभियान" को कोआर्डिनेट किया। वह तीन बार उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे। वर्ष 2009 के लोक सभा चुनाव में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी द्वारा चुनाव पर्यवेक्षक बनाकर अलवर भेजा गया। वर्ष 2012 से राजीव त्यागी कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में पार्टी की निरंतर सेवा कर रहे थे और निरंतर एक योद्धा की तरह न्यूज़ डिबेट्स में पार्टी व आम लोगों का पक्ष बेहद मजबूती से रख रहे थे। उनको उत्तराखंड विधानसभा चुनाव, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और वर्ष 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के द्वारा मीडिया कोऑर्डिनेटर भी नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने कांग्रेस के एक सच्चे सिपाही के रूप में पार्टी की तरफ से अपनी ज़िम्मेदारी निष्ठा व ईमानदारी से निभाई। राजीव त्यागी अक्सर लोगों से कहा करते थे कि पार्टी मेरी माँ है और माँ को कभी धोखा नहीं दिया जाता बल्कि उसका हमेशा ध्यान रखा जाता है, उनके आचरण में यह बात आखिरी सांस तक नजर आती थी, उन्होंने देश सेवा व कांग्रेस पार्टी को अपना तन मन धन व अंत में जीवन भी समर्पित कर दिया। वो देश की एकता व अखंडता बरकरार रखने के लिए हमेशा बेहद चिंतित रहते थे, वो देश में व्याप्त हो चुके हिन्दू-मुसलमान के बीच खाई के जहरीले वातावरण को समाप्त करके आपसी भाईचारे को हमेशा मजबूत करना चाहते थे, वो हमेशा इंसान व इंसानियत की रक्षा की बात करते थे, वो देश में आम लोगों के हक की सशक्त आवाज़ बनकर उभर रहे थे, देश व देशवासियों के उज्ज्वल भविष्य की दिल में चिंता लिए और कांग्रेस पार्टी के सिद्धांतों की रक्षा के लिए अंत में वो शहीद हो गये। उन्होंने देश सेवा व पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, अब लोगों व विशेषकर कांग्रेस पार्टी का दायित्व बनता है कि वो आजीवन उनको जन्मदिवस व पुण्यतिथि पर याद रखें और हमेशा उनके परिवार का हर तरह से ध्यान रखें, यही भारत माता के लाड़ले सपूत और सिद्धांतवादी व शानदार व्यक्तित्व के धनी पुण्यात्मा राजीव त्यागी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
-दीपक कुमार त्यागी
(स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार)