महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को Chandrapur से बड़ी उम्मीद, 2019 के चुनावों में भी मतदाताओं ने पार्टी की डूबती नैया को लगाया था पार

By Anoop Prajapati | Aug 18, 2024

चंद्रपुर लोकसभा सीट महाराष्ट्र की एक प्रमुख लोकसभा सीट है। जहां कांग्रेस पार्टी की प्रतिभा धानोरकर हाल ही में हुए चुनावों को जीतकर संसद पहुंची हैं। यह क्षेत्र वर्धा नदी की सहायक नदी इरई और झरपट के किनारे बसा हुआ है। चंद्रपुर गोंड कालीन प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र लंबे समय तक बौद्ध और हिंदू राजाओं का शासन क्षेत्र भी रहा है। 12वीं से 18वीं शताब्दी तक चंद्रपुर गोंडवाना राजवंश की राजधानी था। यहां के महाकाली देवी और अंचलेश्वर मंदिर प्रमुख रूप से धार्मिक प्रचलित स्थल है। गोंड राजाओं द्वारा 550 वर्ष पूर्व बनवाया गया किला भी यहाँ का एक प्रमुख केंद्र है। इस क्षेत्र का टोबा टाइगर रिजर्व पार्क लोगों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।


चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र वाणी, अर्नी, राजुरा, चंद्रपुर, बल्लारपुर और वरोरा विधानसभाओं से मिलकर बना हुआ है। जहां भारतीय जनता पार्टी के पास तीन सीट और कांग्रेस के पास दो विधायक हैं। तो वहीं, चंद्रपुर की सीट निर्दलीय प्रत्याशी ने जीती थी। देश के पहले आम चुनाव से ही अस्तित्व में आयी वाणी विधानसभा क्षेत्र पर हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले लगातार दो चुनावों से भारतीय जनता पार्टी के संजीवरेड्डी बोदकुरवार लगातार विधायक हैं। उनके पहले यह सीट कांग्रेस के पास थी, जहां पार्टी के कसवर वामनराव बापूराव विधायक थे। इससे पहले भी कसवर 1990 से 2004 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 


अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित अर्नी केलापुर विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से यवतमाल जिले के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र के मतदाताओं ने अब तक शिवसेना और एनसीपी को एक भी बार अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के संदीप प्रभाकर धुर्वे विधायक हैं। उनसे पहले भी उन्हीं के पार्टी के राजू तोड़सम के पास यह सीट थी। जिन्होंने कांग्रेस के शिवाजीराव मोघे को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था। शिवाजीराव मोघे को इस क्षेत्र का सबसे प्रभावशाली नेता माना जाता है। जिसकी प्रमुख वजह उनका इस सीट पर पांच बार चुनाव जीतना है। 


चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र की राजुरा विधानसभा सीट चंद्रपुर जिले के अंतर्गत ही आती है। जहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुभाष धोटे वर्तमान में विधायक हैं। धोटे इससे पहले 2009 में भी इस सीट से विधानसभा पहुंच चुके हैं, लेकिन 2014 में भारतीय जनता पार्टी के संजय धोटे ने उनसे यह सीट छीनकर अपने नाम कर ली थी। इस लोक सभा क्षेत्र की एक अन्य आरक्षित सीट चंद्रपुर भी है, जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। यह सीट चंद्रपुर जिले के तहत ही आती है। जहां पिछले चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार किशोर गजानन जोरगेवार ने बीजेपी के नानाजी शामकुले को हराकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। जोरगेवार से पहले यह सीट 1995 से लेकर 2019 तक बीजेपी के कब्जे में ही रही है। जहां नानाजी के पहले सुधीर सच्चिदानंद मुनगंटीवार ने जीत की हैट्रिक लगाई थी। वर्तमान विधायक किशोर जोरगेवार ने अपना राजनीतिक सफर शिवसेना के सदस्य के रूप में शुरू किया था।


महाराष्ट्र में 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आयी बल्लारपुर विधानसभा सीट पर अब तक पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी का ही नियंत्रण रहा है। जिसके कद्दावर नेता सुधीर मुनगंटीवार लगातार तीन बार इस क्षेत्र से विधानसभा पहुंच चुके हैं। सुधीर लगातार छह बार विधानसभा पहुंचने का भी रिकॉर्ड दर्ज कर चुके हैं। बल्लारपुर से पहले वे लगातार तीन बार चंद्रपुर सीट से भी विधानसभा तक पहुंचे थे। मुनगंटीवार को एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में वन मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी भी सौंप गई है। इसके पहले भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में भी कई मंत्रालयों में वे बतौर मंत्री अपना दायित्व निभा चुके हैं।


महाराष्ट्र विधानसभा में 75 नंबर से जाने जानी वाली वरोरा विधानसभा सीट वर्तमान में खाली है, क्योंकि यहां की विधायक प्रतिभा प्रतिभा धानोरकर ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर ली है। वे शिवसेना के गद्दार नेता सुरेश धानोरकर की पत्नी है। वरोरा विधानसभा क्षेत्र भी पूरी तरह से चंद्रपुर जिले के तहत ही आता है। प्रतिभा धानोरकर से पहले उनके पति सुरेश धानोरकर इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यह सीट उन्होंने शिवसेना के टिकट पर जीती थी। जिस पर 1995 से 2014 तक कांग्रेस के संजय वामनराव देवताले लगातार चार बार चुनाव जीत चुके थे।


चंद्रपुर को काले सोने का शहर कहा जाता है, जहां 30 से अधिक कोयला खदाने हैं। ताडोबा टाइगर रिजर्व, सीमेंट कारखाना और देश में सर्वाधिक 2340 मेगावॉट क्षमता वाला सबसे बड़ा विद्युत स्टेशन भी है, जो राज्य की 40 फीसदी बिजली जरूरतों को पूरा करता है। वहीं, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज कागज का सबसे बड़ा कारखाना है। अयोध्या के राम मंदिर और नए संसद भवन में चंद्रपुर व गढ़चिरोली के घने जंगलों की सागौन की लकड़ी भेजी गई थी। कुछ माह पहले मराठा आरक्षण आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार ने मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया, तब इसका मुखर विरोध चंद्रपुर में हुआ था, क्योंकि विदर्भ में पहले से ही कुनबी को ओबीसी दर्जा प्राप्त है।

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