By अनुराग गुप्ता | May 07, 2022
भोपाल। मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में विपक्षी पार्टी कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार रणनीतियों पर काम कर रही है। इसी बीच पार्टी ने आशुतोष चौकसे को मध्य प्रदेश नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूई) का नया अध्यक्ष बनाया गया है। बताया जा रहा है कि आशुतोष चौकसे पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह गुट के आदमी हैं। जबकि तीन महीने पहले मध्य प्रदेश एनएसयूआई के अध्यक्ष बनाए गए मंजू त्रिपाठी को पद से हटा दिया गया है।
आपको बता दें कि मंजू त्रिपाठी को कमलनाथ खेमे का बताया जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि एक बार फिर से मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह का कद बढ़ाया जा रहा है और हाल ही में तो सभी ने देखा ही है कि पार्टी का आलानेतृत्व कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए 10 जनपथ पर लगातार बैठकें कर रहा था और उन बैठकों में काफी समय बाद दिग्विजय सिंह भी दिखाई दिए थे।
कौन हैं आशुतोष चौकसे ?
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मध्य प्रदेश एनएसयूआई का अध्यक्ष आशुतोष चौकसे को बनाया गया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह आदेश जारी किया है। बताया जा रहा है कि मंजू त्रिपाठी को इस पद से हटाए जाने के पीछे प्रदेश नेताओं की नाराजगी है और विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलानेतृत्व पार्टी नेताओं की नाराजगी को नहीं मोल लेना चाहते हैं। आपको बता दें कि आशुतोष चौकसे एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष और भोपाल जिला अध्यक्ष रह चुके हैं।
डॉ. गोविंद सिंह को बनाया गया था नेता प्रतिपक्ष
कांग्रेस की एक व्यक्ति एक पद नीति के तहत कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया था। जिसके बाद लहार विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे डॉ. गोविंद सिंह को पार्टी ने विधायक दल का नेता चुना और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिसके बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का दबदबा बढ़ गया क्योंकि डॉ. गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह खेमे के बताए जाते हैं और तो और कुछ दिन पहले महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दिग्विजय सिंह गुट की विभा पटेल की नियुक्ती हुई थी।
सिंधिया ने गिराई थी कमलनाथ सरकार
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और उनके वफादारों ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जिसके प्रदेश में एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान की सरकार बन गई थी। जबकि विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी लेकिन जोड़तोड़ की राजनीति के दम पर भाजपा ने 14 महीने के भीतर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया।