संसद में कांग्रेस का हिंदू व संविधान विरोधी चेहरा बेनकाब हुआ

By मृत्युंजय दीक्षित | Jul 04, 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग गठबंधन सरकार के तीसरे कार्यकाल के प्रथम संक्षिप्त संसद सत्र का समापन हो चुका है। नियमानुसार इस सत्र में माननीय राष्ट्रपति जी ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। ये सत्र विपक्ष और मुख्यतः कांग्रेस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। दस वर्षों के बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष बनने का अवसर मिला है। संसदीय परम्परा में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद एक बहुत ही जिम्मेदरी का पद होता है और कांग्रेस ने ये जिम्मेदारी अपने नेता राहुल गांधी को दी। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि अब राहुल गांधी एक सदन के अंदर और बाहर एक परिपक्व राजनेता की तरह व्यहार करेंगे विभिन्न मुद्दों पर गम्भीरता के साथ बहस करेंगे, समस्याओं के उचित समाधान की बात करेंगे किंतु दस वर्षों के बाद भी 99 सीट लेकर नेता प्रतिपक्ष बने राहुल गांधी ने अपने पहले ही भाषण और पहले ही सत्र के आचरण से न केवल देश को निराश किया अपितु कांग्रेस के वास्तविक शुभ चिंतकों में भी निराशा दिखी।


सर्वप्रथम राहुल गांधी और उनके नये मित्र सपा नेता सांसद अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण के दौरान क्रमशः लाल व नीले रंग के कवर वाली संविधान की प्रति हाथ में लेकर बता दिया कि आगामी दिनों में वह झूठे नैरेटिव वाली राजनीति करने जा रहे हैं। बाद में उनके सांसदों ने भी उनकी नीति का अनुसरण किया।वरिष्ठ और पढ़े लिखे माने जाने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी जय संविधान का नारा लगाया।

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लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चुनावी मोड में ही रहे और बिना तथ्यों का वही भाषण दिया जो वो अपनी चुनावी रैलियों में दिया करते थे। अंतर इतना ही हुआ कि सदन के अन्दर भाषण देते हुए वो इतने उत्तेजित हो गए कि भाजपा व संघ पर हमला करने के प्रयास में संपर्ण हिंदू समाज को ही हिंसक कह बैठे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुत ही उन्मादी तरीके से कहा कि जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं वह लोग चौबीसों घंटे केवल हिंसा करते  हैं, नफरत फैलाते हैं और झूठी बाते करते हैं। यही नहीं राहुल गांधी अपने भाषण के दौरान भगवान शिव जी की एक तस्वीर को बार -बार सदन के अंदर दिखाते थे और फिर उसे उल्टा रख देते थे ऐसा उन्होंने संसद में कई बार किया। इतना ही नहीं उन्होंने शिव जी और उनकी अभय मुद्रा की अद्भुत व्याख्या तक कर डाली, ऐसा करके राहुल गांधी ने न सिर्फ भगवान शिव का अपमान किया अपितु भारत की मूल आत्मा व संविधान के सभी नियमों का भी घोर उल्लंघन करते हुए अपने 18 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक को प्रसन्न करने के लिए 100 करोड़ से अधिक हिन्दू जनमानस व उनकी आस्था का घोर अपमान कर डाला।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविलम्ब संज्ञान लेकर इसका विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है। संसद में ही किसी धर्म को हिंसक कहना एक बहुत बड़ा अपराध है और संविधान विरोधी कृत्य है।


राहुल गांधी का यह हिन्दू विरोधी बयान सामने आते ही संपूर्ण भारत के हिंदू समाज में आक्रोष की स्वाभाविक लहर दौड़ गई। संपूर्ण भारत में राहुल गांधी व कांग्रेस के विरोध में प्रदर्शन हुए। राहुल गांधी के पोस्टरों पर कालिख पोती गई। राहुल गांधी भगवान शिव का चित्र लहराते समय यह भूल गये कि भगवान शिव के प्रति हिंदू जनमानस में गहरी आस्था है । भगवान शिव का दर्शन  किया जाता है उनका प्रदर्शन नहीं किया जाता है। 


ऐसा प्रतीत होता है राहुल गांधी का भाषण कांग्रेस के भीतर गहरे तक जड़ जमाए हिंन्दू घृणा का प्रस्फुटन था। 


राहुल गांधी का यह भाषण हिन्दुओं के विरुद्ध बड़े षड्यंत्र का संकेत दे रहा है जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इसका कड़ा प्रतिकार करते हुए किया और यह भी कहा कि कहा यह देश इन बातों को लम्बे समय तक भूलने वाला नही है। वस्तुतः राहुल गांधी का भाषण कहीं न कहीं चर्च से प्रेंरित लगता है क्योंकि चर्च व उसकी प्रार्थना सभाओं में भी हिन्दुओं को सनातन से दूर ले जाने के लिए इसी प्रकार की हरकतें की जाती हैं। कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं ने लोकसभा चुनावों के दौरान व उसके पूर्व से ही हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा भरा अभियान चलाया था। कांग्रेस सहयोगी द्रमुक ने हिन्दुओं की तुलना डेंगू, मलेरिया से की थी और हिन्दुओं के पूरी तरह उन्मूलन करने की बात कही थी और कांग्रेस व गांधी परिवार द्रमुक नेताओं के पीछे खड़ा होकर उन्हें शक्ति दे रहा था ।द्रमुक नेता लोकसभा चुनावों के पहले जो बयान दे रहे थे उसके लिए उन्हें कांग्रेस के गांधी परिवार का ही संरक्षण प्राप्त था। राहुल गांधी के हिन्दू विरोधी बयानों का बिहार के तेजस्वी यादव और महाराष्ट्र के उद्वव ठाकरे जैसे नेता समर्थन कर रहे हैं, इसमें तेजस्वी यादव के साथ राहुल गांधी सावन के महीने में मछली –मटन की दावत का प्रदर्शन करके हिन्दू समाज को चिढ़ाने  का कार्य करते हैं।


राहुल गांधी को समझना चाहिए कि हिंदू समाज हिंसक होता तो वो सदन में खड़े होकर ऐसे अपशब्द नहीं बोल पाते। हिंदू समाज सदा से सहिष्णु रहा है और यही कारण रहा है कि आज भी भारत में लोकतांत्रिक परम्परायें और मूल्य जीवित हैं। यह हिन्दू समाज का धैर्य है कि राहुल गांधी सदन में खडे होकर समस्त हिंदू समाज को हिंसक कहने का साहस जुटा पा रहे हैं और हिन्दुओं के आराध्य भगवान शिव का अनादर कर रहे हैं। राहुल गांधी की हरकतों से आज संपूर्णं हिंदू समाज उसी प्रकार आहत है जैसे कांग्रेस के भगवान राम काल्पनिक कहने के समय था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना बिल्कुल सत्य है कि हिन्दू जनमानस को यह देखना होगा कि यह एक संयोग  है या फिर कोई खतरनाक प्रयोग किया गया है।


हिन्दुओं से घृणा ही कांग्रेस का इतिहास है। वो सदा ही हिंदुओं को द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानती रही है। वर्ष 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था, वहीं 2013 में उस समय के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसी बात को दोहराया था। राहुल गांधी ने 2021 में कहा था कि हिंदुत्ववादियों को देश से बाहर निकाल देना चाहिए। मुंबई हमलों में तो कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम ही कर डाला था। कांग्रेस के एक और पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने एक बार गीता पर बयान देते हुए कहा था कि यह पुस्तक हिंसा और नफरत सिखाती है। राहुल गांधी ने तो समस्त धार्मिक हिन्दुओं पर लांछन लगाते हुए कहा था कि लोग मंदिरों में लड़कियां छेड़ने के लिए जाते हैं।


संकर मजहब वाले राहुल गांधी को संभवतः यह पता नहीं है कि हिन्दुत्व भारत की आत्मा है। हिन्दुत्व विश्व बंधुत्व का पोषक है। हिन्दुओं को हिंसक कहना कांग्रेस की हिन्दुओं के प्रति घृणा का साक्ष्य है। हिंदू समाज पूरे विश्व में अपनी सहनशीलता और सज्जनता के लिए जाना जाता है। हिंदुओं ने हमेशा शांति का पाठ पढ़ा और पढ़ाया है। हिंदू धर्म ने अपने प्रचार प्रसार के लिए कभी भी कहीं भी किसी ने हिंसा, घृणा और असत्य का सहारा नहीं लिया है। हिंदू धर्म तो प्रत्येक जीव में समान ईश्वरीय चेतना देखता है, यहां तक कि पेड़–पौधों नदी पर्वत की भी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में सदा धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण होका उद्घोष किया जाता है। ऐसा धर्म हिंसक कैसे हो सकता है?


राहुल गांधी एक बड़े षड्यंत्र के तहत हिंदुओ को हिंसक सिद्ध करने का आधार तैयार कर रहा है। राहुल गांधी ने संसद के अंदर और वह भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिंदू समाज को हिंसक कहा है जो पूर्णतया अक्षम्य है। राहुल गांधी परोक्ष रूप से गजवा-ए-हिंद के लिए जमीन तैयार कर रहा है। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि केरल में पीएफआई कांग्रेस का समर्थन कर रही है और वायनाड में पीएफआई ने राहुल गांधी का समर्थन किया था। द्रमुक और कांग्रेस साथी हैं। पश्चिम बंगाल में जगह जगह शरिया कोर्ट लगवाने वाली ममता कांग्रेस के साथ हैं। राहुल गांधी का यह बयान हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा के इरादे की घोषणा है। चुनाव परिणाम आने से पूर्व ही राहुल गांधी ने देश में आग लगाने की बात कही थी और एक बार फिर अपने सदन के संबोधन के माध्यम से एक प्रकार फिर हिंदू विरोधी ताकतों को एकत्र करने का प्रयास किया है। हिंदुत्व के पुरोधा नरेन्द्र मोदी जी ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार पराजित किया है यह बात गांधी परिवार स्वीकार नहीं कर पा रहा है।

  

- मृत्युंजय दीक्षित

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