By अंकित सिंह | Feb 02, 2024
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि ने लोगों को सीएनजी वाहनों सहित लागत प्रभावी गतिशीलता विकल्पों को चुनने के लिए मजबूर कर दिया है। भारत में सीएनजी कारों की मांग पिछले वर्ष में काफी बढ़ी है और इसने टाटा मोटर्स को सीएनजी बैंडवैगन पर कूदने के लिए प्रोत्साहित किया है। मारुति सुजुकी और हुंडई पहले ही इस मार्केट में मौजूद है। हालांकि, आज सीएनजी गाड़ियों के अलावा आईसीएनजी गाड़ी भी मार्केट में उपलब्ध है। ऐसे में ग्राहकों को खूब कंफ्यूजन हो रहा है। समझ नहीं आ रहा है कि कौन सी कार लिया जाए और कौन सा नहीं। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर सीएनजी कर और आईसीएनजी में क्या अंतर है?
सीएनजी और आईसीएनजी की कारो में सिर्फ इतना फर्क है कि सीएनजी कार का इंजन पेट्रोल और सीएनजी दोनों पर चलता है जबकि आईसीएनजी कारों में इंजन के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर भी होता है। इस इलेक्ट्रिक मोटर की वजह से कार को एक्स्ट्रा पावर मिलती है जिससे कि कार की स्पीड और माइलेज दोनों में बढ़ोतरी होती है। आसान शब्दों में समझाएं तो आई सीएनजी कार की माइलेज नॉर्मल सीएनजी कार के मुकाबले 10 से 15% ज्यादा होताी है।
अगर आपकी सीएनजी कार प्रति किग्रा सीएनजी 20 किलोमीटर का माइलेज देती है तो आई सीएनजी कार प्रति किलोग्राम आईसीएनजी पर 22 से 23 किलोमीटर का माइलेज दे सकती है। हालांकि दोनों कारों की कीमतों में भी अंतर देखा जाता है। सीएनजी कारों की कीमत थोड़ी कम होती है जबकि आई सीएनजी कार महंगी होती है। आईसीएनजी कार को चलाने का खर्च कम है। आईसीएनजी कार नॉर्मल सीएनजी कार की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचता है। यह ज्यादा पावरफुल होता है।