देशव्यापी लॉकडाउन (सार्वजनिक पाबंदी) से को-वर्किंग क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ा है। पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र ने तेज प्रगति की है। को-वर्किंग परिसर का परिचालन करने वाली कंपनियों को किराये समझौतों के रद्द होने या किराये में छूट की मांग का सामना करना पड़ रहा है। को-वर्किंग क्षेत्र कार्यालयी परिसरों को किराये पर देने का नया बाजार है। इसके तहत को-वर्किंग परिचालन कंपनी कार्यालय की मांग रखने वालों को उनकी जरूरत के आधार पर कर्मचारियों के बैठने के स्थान उपलब्ध कराती है।
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इसमें एक ही कार्यालय परिसर में कई कंपनी केकार्यालय हो सकते हैं। देश में स्टार्टअप अवधारणा के तेजी से बढ़ने के बाद इस क्षेत्र ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभाव लघु अवधि में ही रहेगा। संपत्ति सलाहकार कंपनी सीबीआरई के मुताबिक 2019 में को-वर्किंग परिचालन कंपनियों ने 1.08 करोड़ वर्गफुट कार्यालयी परिसर को किराये पर उठाया। यह 2018 के मुकाबले 26 प्रतिशत अधिक था।
CBRE के भारत, दक्षिण पूर्वी एशिया, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका क्षेत्र के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुमन मैगजीन ने कहा, ‘‘ कोरोना वायरस संकट का भारत पर प्रभाव थोड़े समय ही रहने के आसार हैं क्योंकि हम इसके फैलाव को सीमित रखे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अच्छी बात यह है कि अधिकांश कॉरपोरेट कंपनियों का मुख्य ध्यान स्वास्थ्य और सफाई कर्मचारियों की ओर बढ़ सकता है। वह कार्यालयी स्थान की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देंगे। घर से काम करने की नीति को बढ़ावा देंगे। साथ ही आरामदायक व्यवस्थाएं रखने वाले कार्यालयी स्थानों की मांग बढ़ेगी।’’
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ऑफिस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित रमानी ने कहा कि हम अपने कार्यालयी संपत्ति के मालिकों और किरायेदारों के बीच संतुलन बना रहे हैं। परिचालन लागत में आए उतार-चढ़ाव को हम अपनी बचत से पूरा कर रहे हैं और किरायेदारों को मासिक किराये में छूट दे रहे हैं। स्मार्टवर्क्स के संस्थापक नीतिश सारदा ने कहा कि अभी हमें हमारे किरायेदारों से किराये में छूट के लिए बहुत ज्यादा अनुरोध नहीं मिले हैं। हमारी अधिकतर ग्राहक बड़ी कंपनियां है और उनके लिए कारोबार को जारी रखना अहम है।