मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की मंशा और मेहनत पर अधिकारी फेर रहे पानी

By दिनेश शुक्ल | Apr 08, 2020

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जहां इंदौर, मुम्बई के बाद देश का ऐसा दूसरा शहर बन गया है जहां सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए है। तो वहीं राजधानी भोपाल में एक दम से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों-कर्मचारीयों सहित पुलिसकर्मी और उनका परिवार भी अब शामिल हो गया है। कोरोना संक्रमण को रोकने युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन मंत्रालय में अधिकारियों के साथ कर रहे है। प्रदेश के किस जिले में कोरोना संक्रमण को रोकने क्या काम किया जा रहा है, यह मुख्यमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिला अधिकारियों से रिपोर्ट ले रहे है। इस दौरान मंत्रालय में मुख्यमंत्री के साथ काम करने वाले कई आईएएस अधिकारियों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है, जिसके बाद उन्हें क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए कह दिया गया है तो कुछ को अस्पताल इलाज के लिए भी भेजा गया है।  


राज्य में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का तख्ता पटल होने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान वन मैन आर्मी की दर्ज पर लगातार काम में जुटे हुए है। मंत्रालय में अधिकारियों के साथ कोरोना संक्रमण को लेकर बैठके हो या फिर राजधानी में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हो रहे राहत कार्यों, कानून व्यवस्था की समीक्षा या फिर गरीबों, मजदूरों और निराश्रित वर्ग के लोगों के भोजन व्यवस्था का मामला हो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद ही हर पहलू से जुड़कर मानव सेवा में लगे नज़र आते है। लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज से लौटे लोगों पर जहां पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं। बीते पिछले एक सप्ताह में जिस तरह से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है उसे देखते हुए प्रशासन स्तर पर किए जा रहे कार्यों को लेकर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। 

 

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अगर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की जाए तो हकीकत कुछ और ही बयां करती है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 24 मार्च को कोरोना का एक मरीज चिहिंत हुआ था जिसके बाद यह संख्या तीन पर पहुंची लेकिन बीते दो सप्ताह में यह आंकड़ा 91 कोरोना संक्रमितों तक पहुँच गया है जिसमें से सिर्फ अभी दो लोग ही स्वस्थ होकर घर लौट सके है जबकि एक मृतक कोरोना पॉजिटिव पाया गया। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन और हेल्थ डॉयरेक्टर डॉ. वीणा सिन्हा भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी भी कोरोन संक्रमित हो गए है। मंगलवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य शाखा में आईटी एक्सपर्ट के रूप में काम करने वाले कोरोना संक्रमित पाए गए राजकुमार पाण्डे की पत्नी ने आरोप लगाया है कि एम्स में भर्ती उनके पति को लेकर वहाँ के स्टॉफ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का रवैया गैर जिम्मेदाराना है। सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित राजकुमार पाण्डे की पत्नी श्रीमती प्रीति पाण्डे का यह वीडियों खूब वायरल हो रहा है। जबकि एम्स डायरेक्टर की तरफ से एक पत्र जारी कर इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए मामले की लीपापोती करने की कोशिश की गई है। कुछ इसी तरह का हाल जिला प्रशासन का है कोरोना संक्रमित पाए गए क्षेत्रों में जहां एक किलोमीटर में कंटेनमेंट एरिया बनाए जाने की बात कही जा रही है तो वही तीन किलोमीटर तक क्षेत्र को सेनेटाइज करने की बात बार-बार प्रशासन की तरफ से की जा रही है लेकिन वही ढाक के तीन पात, प्रशासन कहता कुछ नज़र आता है करता कुछ। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एनएचएम जिन्हें सही से ट्रेनिंग तक नहीं दी गई उन्हें सेल्फ क्वॉटाइन हुए लोगों के मोबाइल नंबर देकर उनसे संपर्क साधने को कहा गया है। जिन्हें सही से पता और यह जानकारी ही नहीं है कि वह किस व्यक्ति से बात कर रहे हैं और क्या सूचना लेना है, उनके घर जाकर क्या कहना है। ऐसे लोगों को जमीनी स्तर पर कोरोना वारियर्स के रूप में काम पर लगाया गया है। वही कलेक्टर से लेकर नीचे तक के अधिकारीयों के मोबाइल नंबर जो प्रशासन ने जारी किए है वह लगाते ही नहीं है। वही राज्य शासन द्वारा जारी किया गया टोल फ्री नंबर तो मजाक बनकर रह गया है। 


प्रदेश के बाहर मुसीबत में फंसे राज्य के लोगों की सुध ही नहीं ली जा रही बल्कि विदेशों में फंसे विद्यार्थियों के वापसी की बात सरकार द्वारा कर रही है। यही नहीं दूसरे राज्यों से पैदल वापस लौटे मजदूर वर्ग के लिए भी समुचित व्यवस्थाएं करने की बात तो की गई लेकिन जमीन पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया। प्रदेश की राजधानी भोपाल को टोटल लॉक डाउन करने के फैसले के बाद जहाँ प्रशासन ने लोगों की सहायता के लिए नगर निगम अधिकारीयों कर्मचारियों के जो मोबाइल नंबर जारी किए वह या तो लगाने पर अवैध नंबर बता रहे है या फिर बंद है। एक शहरवासी ने बताया कि नगर निगम द्वारा सब्जी और किराना पार्सल के लिए जो मोबाइल नंबर जारी किए गए उनमें से आधे से अधिक बंद और अवैध है जिसके चलते उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वही जो स्वयंसेवी संगठन गरीब बस्तियों में भोजन के पैकेज बांट रहे थे उन पर भी रोक लगाने की खबरें आ रही है। पहले प्रशासन ने कुछ स्वयंसेवी संगठनों को पास जारी कर बस्तियों में भोजने बांटने की अनुमति दी थी लेकिन अब सिर्फ नगर निगम द्वारा ही भोजन व्यवस्था किए जाने की बात सामने आ रही है। नगर निगम भोपाल द्वारा जारी एक आदेश में हर वार्ड के लिए 20 भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाए गए थे जो ऊंट के मुंह में जीरे के सामने नज़र आते है। 

 

इसी बीच पुलिस व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मीयों के भी कोरोना संक्रमित होने की खबरें सामने आ रही है। लेकिन यहां पुलिस विभाग की तारीफ करनी होगी कि यह विभाग अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से कर रहा है कुछ एक अप्रिय घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो पुलिस विभाग का अब तक का काम संतोषजनक ही माना जाएगा क्योंकि लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से पुलिस ने व्यवस्थाएं सम्हाली है वह काबिले तारीफ है। सोशल मीडिया पर इंदौर के एक थाना क्षेत्र के थाना प्रभारी की वायरल हुए फोटो ने पुलिस की देशभक्ति जनसेवा की भावना को एक बार फिर लोगों के सामने पेश किया है। 


वही कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रही लगातार बढोत्तरी के लिए जहां जमात और निजामुद्दीन मरकज से लौटे उन लोगों को जिम्मेदार माना जा रहा है जिन्होनें प्रशासन को बिना सूचना दिए रोग को पनपने दिया और दूसरी ओर वह लोग है जिनके परिजन विदेशों से लौटे और उन्होनें प्रशासन को सूचना न देकर कोरोना संक्रमण को बढ़ने दिया जिसमें राज्य के स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती पल्लवी जैन का नाम भी सामने आ रहा है जिन्होनें अपने विदेश से लौटे बेटे की सूचना प्रशासन को देना उचित नहीं समझा और कई सरकारी बैठकों में शिरकत करती रही जिसमें मुख्यमंत्री के साथ हुए कई बैठके भी शामिल है। जबकि दूसरी ओर नाम न छापने की शर्त पर एक मेडिकल सप्लायर ने बताया कि चूंकि प्रदेश में नई सरकार बनी है और सरकार सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा संचालित की जा रही है इसके चलते कमीशन का खेल जो हमेशा से होता आ रहा है उस पर विराम सा लग गया है। अगर कैबिनेट होती और इसके मंत्री होते तो कोरोना को रोकने के लिए उपकरणों के साथ दवाइयां, टेस्टिंग किट, मास्क, सेनेटाइजर आदि विभाग को खरीदने में जायदा दिक्कत न होती लेकिन कमीशन के खेल की वजह से इस सबका असर भी पड़ रहा है। वही नगर निगम द्वारा कोरोना संक्रमित क्षेत्र में सेनेटाइज करने के लिए उपयोग की जा रही दवाई की बात करें तो यह स्पष्ट नहीं है कि नगर निगम सेनेटाइजर के रूप में क्या उपयोग कर रही है जिससे कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा। वही ऐसी कई तरह की दिक्कतों का सामना प्रशासनिक स्तर पर लोगों को करना पड़ रहा है। एम्स जैसे विश्वस्तरीय संस्थान की बात करें तो यहां प्राइवेट बने मेडिकल स्टोर से जायदातर दवाइयां मरीज खऱीदता है, एम्स में भी दवाइयों की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते कोरोना मरीजों की देखभाल नहीं हो पा रही। जबकि राजधानी स्थित भोपाल मेमोरियल को राज्य स्तरीय कोरोना सेंटर बनाए जाने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव साफ देखा जा सकता है। 

 

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कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगाता बढोत्तरी हो रही है जहां इंदौर में यह आंकड़ा 173 तक पहुँच गया है तो भोपाल में 91 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले है। इंदौर में अभी तक 15 लोगों की मौत हुई है तो भोपाल में यह संख्या अभी 02 तक ही सीमित है। कोरोना संक्रमण को रोक पाने में ऐसे ही कई वजह है जिनकी तरफ वन मैन आर्मी की तरह दिन रात काम कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके सलाहकारों को ध्यान देना होगा। हालंकि मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमितों की संख्या देखते हुए लॉक डाउन में राहत न देने की मंशा जाहिर की है तो वही एस्मा भी लगा दिया है ताकि इस महामारी से बचाव के समुचित उपाय कारगर साबित हो।


- दिनेश शुक्ल


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