By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 17, 2020
बेंगलुरु। संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का विरोध करने वाली पार्टियों पर जनता के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को कहा कि यह सत्तारूढ़ पार्टी का दायित्व है कि वह स्थिति स्पष्ट करे। संघ के महासचिव सुरेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राजनीतिक पार्टियों से सीएए को ‘समझने’ की बार बार अपील की लेकिन इसका कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया। जोशी ने राष्ट्रीय हित में सभी राजनीतिक पार्टियों से एक साथ आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “ दुर्भाग्य से राष्ट्रीय मुद्दा राजनीतिक हो गया है।”
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जोशी ने कहा, “कोई भी देश अपने राष्ट्रीय हित में- अपने नागरिकों का ध्यान रखती है, अपने नागरिकों की सूची तैयार करती है, और एक निश्चित समय के बाद किसी भी बाहरी को रहने की अनुमति नहीं होती है, सीमाएं होती हैं... लेकिन दुर्भाग्य से राष्ट्रीय हित के मुद्दों को राजनीतिक कारणों से- राजनीतिक दलों के नेता समाज में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।” यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने राजनीतिक पार्टियों से सीएए को समझने की अपील की है, लेकिन जो लोग देश में भ्रम औरअव्यवस्था फैलाना चाहते हैं, वे लोगों को बहका रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को इस बारे में ईमानदारी से विचार करना चाहिए और सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए तथा अपनी दुविधा दूर करनी चाहिए। जोशी ने कहा, “(अगर) देश के लिए कुछ सही नहीं है तो सबको विरोध करने और यह कहने का अधिकार है कि इसे लागू नहीं करना चाहिए, लेकिन जो भी देश हित में है, सबको उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए और इसका समर्थन करना चाहिए।” जोशी यहां 14 मार्च को हुए अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक की पृष्ठभूमि में प्रेस को संबोधित कर रहे थे। संघ की निर्णय करने वाली शीर्ष इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की यहां 15-17 मार्च को होने वाली बैठक को कोविड-19 की वजह से रद्द कर दिया गया।
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सीएए और एनआरसी के विरोध में किए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ संघ के सीधे तौर पर शामिल होने के सवाल पर जोशी ने कहा कि संघ इसमें सीधे शामिल नहीं होगा, लेकिन कई संगठन हैं जो इसके पक्ष में आंदोलन का समर्थन करते हैं और स्वभाविक तौर पर स्वयंसेवक उनका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएए का समर्थन करने वाली शक्तियां बड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को इस संबंध में बातचीत के लिए साथ आना चाहिए। संघ के महासचिव ने कहा, “भाजपा को सत्तारूढ़ पार्टी के तौर पर बातचीत शुरू करने के लिए कुछ पहल करनी चाहिए... गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने राजनीतिक पार्टियों से इसे समझने की कोशिश की है, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इसपर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।’’
बिहार की भाजपा की हिस्सेदारी वाली गठबंधन सरकार द्वारा एनआरसी और एनपीआर को लागू करने के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के सवाल पर जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार को भ्रम दूर करने चाहिए। उन्होंने कहा, “यह उनका काम है, हमारा नहीं। केंद्र सरकार ने यह निर्णय किया है। सभी पक्षकारों को समझाना उनका दायित्व है।” उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा की जरूरत है जो पहले ही कई स्थानों पर शुरू हो चुकी है। संघ ने कार्यकारी मंडल की बैठक के दौरान एक प्रस्ताव को पारित करके सीएए को ‘ भारत का नैतिक और संवैधानिक दायित्व’ बताया है और कानून पारित करने के लिए संसद तथा केंद्र सरकार को बधाई दी है।
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प्रस्ताव यह रेखांकित करता है कि सीएए किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि लोगों के एक वर्ग के बीच काल्पनिक भय और भ्रम का माहौल बनाकर जेहादी-वाम गठबंधन, सांप्रदायिक राजनीति में शामिल स्वार्थी राजनीतिक पार्टियों और कुछ विदेशी ताकतों के साथ मिलकर देश भर में हिंसा और अराजकता फैलाने के लिए नापाक कोशिशें कर रह रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है, “अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल ऐसी गतिविधियों की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि संबंधित सरकारें सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय अखंडता को नष्ट करने की कोशिश करने वाली इन ताकतों की अच्छे से जांच करें और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करें।”जोशी ने कहा कि कार्यकारी मंडल ने राम मंदिर पर भी एक प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को लेकर भी एक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसमें संसद के कदम का स्वागत किया गया है।
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