शहरों का नाम बदलने का खेल दरअसल आस्था कम और सियासत ज्यादा है

By अजय कुमार | Nov 14, 2018

भारत के शहरों का पुनर्नामकरण वर्ष 1947 में, अंग्रेजों के भारत छोड़ कर जाने के बाद आरंभ हुआ था, जो आज तक जारी है। कई पुनर्नामकरणों में राजनैतिक विवाद भी हुए हैं। सभी प्रस्ताव लागू भी नहीं हुए हैं।  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पुनर्नामांकित हुए, मुख्य शहरों में हैं− तिरुवनंतपुरम (पूर्व त्रिवेंद्रम), मुंबई (पूर्व बंबई, या बॉम्बे), चेन्नई (पूर्व मद्रास), कोलकाता (पूर्व कलकत्ता), पुणे (पूर्व पूना) एवं बेंगलुरु (पूर्व बंगलौर)। आजकल उत्तर प्रदेश में शहरों का नाम बदले जाने का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि शहरों का नाम बदलकर योगी सरकार हिन्दुओं के वोट हासिल करना चाहती है जबकि बीजेपी वालों को लगता है कि नाम बदल कर सिर्फ शहरों को उनकी पुरानी पहचान दिलाई जा रही है।

 

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन किए जाने के बाद हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद और फैजाबाद जिलों का नाम क्या बदलकर क्रमशः प्रयागराज और अयोध्या क्या किया, प्रदेश में जिलों के नाम बदले जाने की ही सियासत गरमा गई है। प्रदेश के कोने−कोने से कई जिलों के नाम बदलने की मांग उठने लगी है तो दूसरी तरफ शहरों का नाम बदले जाने का विरोध करने वाले भी मोर्चा संभाले हुए हैं। कोई आगरा का नामकरण अग्रवाल नगर या अग्रसेन के नाम पर करना चाहता है तो कोई मुजफ्फरनगर को लक्ष्मी नगर के रूप में नई पहचान देना चाहता है।

 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में डेढ़ दर्जन से अधिक ऐसे जिले हैं जिनके नाम हमेशा विवाद का कारण बने रहते हैं। यह वह जिले हैं या तो जिनका नाम मुगल शासनकाल में बदला गया था अथवा मुगलकाल में यह जिले विकसित हुए थे। आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, लखनऊ, आजमगढ़, फैजाबाद, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गाजीपुर, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुगलसराय, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शाहजहाँपुर, सुल्तानपुर जैसे जिले इसी श्रेणी में आते हैं। उक्त के अलावा कुछ जिलों के नाम अप्रभंश के चलते भी बदल गये हैं।

 

जिन जिलों के नामों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है उसमें आगरा प्रमुख जिला है। आगरा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसके प्रमाण यह अपने चारों ओर समेटे हुए है। वैसे तो आगरा का इतिहास मुख्य रूप से मुगल काल से जाना जाता है लेकिन इसका सम्बन्ध महर्षि अन्गिरा से है जो 1000 वर्ष ईसा पूर्व हुए थे। इतिहास में पहला जिक्र आगरा का महाभारत के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था। कहते हैं कि पहले यह नगर आयॅग्रह के नाम से भी जाना जाता था। तौलमी पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया।

 

मुजफ्फरनगर का नाम बदलने की सुगबुगाहट है। ये मांग भारतीय जनता पार्टी के मेरठ की सरधना सीट से विधायक संगीत सोम ने उठाई है। उन्होंने इलाहाबाद और फैजाबाद जिलों का नाम बदले जाने पर ट्वीट करते हुए कहा कि अभी तो बहुत से शहरों के नाम बदले जाने हैं। मुजफ्फरनगर का नाम बदला जाना है, मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर रखने की लोगों की पहले से ही मांग है। संगीत सोम यहीं नहीं रूके उन्होंने एक और ट्वीट में कहा− मुगलों ने यहां की संस्कृति को मिटाने का काम किया है। खासतौर पर हिंदुत्व को मिटाने का काम किया है, हम लोग उसी संस्कृति को बचाने का काम कर रहे हैं। बीजेपी उससे आगे बढ़ेगी।

 

लखनऊ का नाम बदले जाने की भी चर्चा कम नहीं है। अतीत में लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था। अतः इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। इलाहाबाद जिसका हाल में नाम बदल कर प्रयाग किया गया है अतीत में प्रयाग के नाम से जाना जाता था। प्राचीन काल में शहर को प्रयाग (बहु−यज्ञ स्थल) के नाम से जाना जाता था। ऐसा इसलिये क्योंकि सृष्टि कार्य पूर्ण होने पर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने प्रथम यज्ञ यहीं किया था, व उसके बाद यहां अनगिनत यज्ञ हुए।

 

प्रयागराज शहर का इलाहाबाद नाम अकबर द्वारा 1583 में रखा गया था। हिन्दी नाम इलाहाबाद का अर्थ अरबी शब्द इलाह (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन−ए−इलाही के सन्दर्भ से, अल्लाह के लिये) एवं फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) यानि ईश्वर द्वारा बसाया गया, या ईश्वर का शहर। बीते माह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका नाम इलाहाबाद से बदल कर प्रयागराज कर दिया था। अयोध्या भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक नगर है। करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक भगवान राम का यहीं जन्म हुआ था। पहले इसे साकेत नगर के नाम से जाना जाता था। प्रमु राम के अलावा समाजवादी चिंतक और नेता राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण, राम प्रकाश द्विवेदी आदि की यह जन्मभूमि रहा है, लेकिन मुगलकाल में इसका भी नाम फैजाबाद कर दिया गया था।

 

भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा मधुदानव द्वारा बसाई गयी थी और उसी के नाम पर इसका नाम मधुपुरी पड़ा। इसको मधुनगरी और मधुरा भी बोला जाता था। शत्रुघ्न ने जब राक्षस का वध कर दिया, यह क्षेत्र धीरे−धीरे मथुरा बन गया। विष्णु पुराण में 'मथुरा' का उल्लेख है, जिससे पता चलता है कि तब तक शहर का नाम बदल चुका था। शूरसेन के शासनकाल में इसको शूरसेन नगरी कहा जाता था।

 

भगवान् विश्वनाथ की नगरी का नाम 1956 से पहले बनारस था, लेकिन बाद में उसका नाम बदल कर वाराणसी रखा गया। वाराणसी दो नदियों के नाम से जुड़ कर बना हुआ है− वरुण और असी। बनारस इन्हीं नदियों के मुहाने पर बसा हुआ है। ऋगवेद में इस शहर का नाम काशी भी लिखा गया है। वजह जो भी हो, पर लोगों को यह नया नाम अपनाने में काफी समय लग गया। पचास से अधिक वर्ष हो जाने पर भी आपको 'बनारस' या 'काशी' सुनने को मिल जाए, तो चौंकिएगा नहीं। मुगलसराय स्टेशन का नाम बदले जाने के बाद मुगलसराय जिले का भी नाम दीनदयालनगर किए जाने की चर्चा तेज है।

 

सहारनपुर के देवबंद का नाम बदलने की मांग कई बार हो चुकी है। देवबंद के बीजेपी विधायक ने तो बाकायदा यूपी सरकार से नाम बदलने के सिफारिश भी की है और कुछ दिन पहले कई जगह नाम बदलने के बैनर तक टंगवा दिए थे। इसी प्रकार अन्य जिलों के नाम से छेड़छाड़ की बात कि जाये तो इस लिस्ट में कानपुर सहित कई जिले शामिल हैं। कानपुर का असली नाम कान्हापुर और कॉनपोर तो शामली का असली नाम श्यामली और आजमगढ़ का असली नाम आर्य गढ़ एवं बागपत का असली नाम बाग प्रस्थ तथा देवरिया का असली नाम देवपुरी वहीं अलीगढ़ का असली नाम हरीगढ़ हुआ करता था।

 

-अजय कुमार

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