समाज की भलाई पर केंद्रित विषय चुनें पीएचडी शोधार्थी

By उमाशंकर मिश्र | Nov 18, 2019

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान के पास देश की हर अनसुलझी समस्या का समाधान है। लेकिन अर्थपूर्ण वैज्ञानिक शोध के लिए जरूरी है कि पीएचडी विषय का चयन करते समय उसमें निहित समाज की भलाई और कुछ नया करने की संभावना का ध्यान रखा जाए। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने ये बातें बुधवार को वैज्ञानिक और नवीकृत अनुसंधान अकादमी (एसीआईआर) के उत्कृष्ट पीएचडी शोध प्रबंध पुरस्कार और पदारोहण समारोह के दौरान कही हैं।

 

एसीआईआर राष्ट्रीय महत्व की एक मेटा-यूनिवर्सिटी है, जिसके अध्ययन केंद्र भारत के 23 शहरों में फैली वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 37 प्रयोगशालाओं और छह इकाइयों में स्थित हैं। इस संस्थान का उद्देश्य भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नवीन पाठ्यक्रम, बेहतर शिक्षण-प्रशिक्षण और मूल्यांकन के जरिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व क्षमता का विकास करना है।

 

नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर मुख्यालय में आयोजित समारोह में दस विज्ञान शोधार्थियों को उत्कृष्ट शोध प्रबंध के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके साथ ही, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान देने वाले छह अन्य लोगों को भी अकादमी प्रोफेसर की उपाधि से नवाजा गया है।

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बायोलॉजिकल साइंस विषय के पीएचडी शोधार्थी भारतीय रासायनकि जीवविज्ञान संस्थान, कोलकाता के सास्वात महापात्रा, जीनोमिक्स और एकीकृत जीवविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के मयूरेश अनंत सारंगधर और केन्द्रीय नमक व समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान, भावनगर के कौमील एस. चोकशी को इस मौके पर पुरस्कृत किया गया है।

 

केमिकल साइंसेज में पुरस्कृत पीएचडी शोधार्थियों में राष्ट्रीय रासायनिकी प्रयोगशाला, पुणे की विनीता सोनी, केंद्रीय विद्युतरसायन संस्थान, करईकुडी  के सरवाणन केआर और राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के सम्राट घोष शामिल थे। राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, नई दिल्ली की विजेता सिंह और केंद्रीय विद्युतरसायन संस्थान, करईकुडी  के बालाकुमार के. को फिजिकल साइंसेज में उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए पुरस्कार दिया गया है। इंजीनियरिंग साइंसेज में संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र, चेन्नई के प्रवीण जे. और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला की शोधार्थी इंदु एलिजाबेथ को यह पुरस्कार मिला है।

 

जिन लोगों को अकादमी प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई है, उनमें सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर गिरीश साहनी, मौलिक एवं प्रयोगात्मक रक्षा अनुसंधान में योगदान देने वाले इंजीनियर विजय कुमार सारस्वत, प्रसिद्ध अंतर्विषयी शोध वैज्ञानिक प्रोफेसर सुरेश भार्गव, जमीनी नवाचारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले प्रोफेसर अनिल गुप्ता, शिक्षाविद एवं प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक तथा कंप्यूटर इंजीनियर प्रोफेसर कृष्ण किशोर अग्रवाल और सूचना तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एन.आर. नारायण मूर्ति शामिल थे।

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डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि “सीएसआईआर ने कई ऐतिहासिक काम किए हैं और दुनिया के 1200  संस्थानों में यह दसवें स्थान पर है। प्लास्टिक से डीजल और बायोमास से एथेनॉल बनाने में भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान से सब संभव है। लेकिन अब इस यात्रा को शीर्ष पर ले जाने की जरूरत है। इसके लिए हमें हर स्तर पर मेहनत और लगन से काम करना होगा। अगर शोध प्रबंध लिखने वाले शोधार्थी छोटे-छोटे विषयों पर काम करें तो देश की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।” 

 

(इंडिया साइंस वायर)

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