अटकलों के बीच अमित शाह से मिले चिराग पासवान, क्या दूरियां मिटाने की हो रही कोशिश?

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By अंकित सिंह | Aug 31, 2024

अटकलों के बीच अमित शाह से मिले चिराग पासवान, क्या दूरियां मिटाने की हो रही कोशिश?

बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनकी पार्टी एलजेपी (आर) को लेकर खासी चर्चा है। विपक्षी नेता अलग-अलग दावे कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि भाजपा एलजेपी (आर) को विभाजित करने का प्रयास कर रही है और जल्द ही, चिराग पासवान के सांसद भाजपा में शामिल होंगे। हालाँकि, पासवान ने इन दावों को गलत सूचना बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि उन्हें कमजोर करने की साजिशें लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन "मिट्टी के बर्तन को बार-बार आग पर नहीं रखा जा सकता है।" 

 

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इन घटनाक्रमों के बीच, चिराग पासवान ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और अपने विरोधियों को एनडीए एकता का एक मजबूत संदेश दिया। पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमने विभिन्न राजनीतिक बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। पासवान ने लिखा कि आज नई दिल्ली में देश के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात किया। इस दौरान कई राजनीतिक बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चाएं हुई। इस मुलाकात को लेकर भी अलग-अलग बाते कही जा रही है। 


इस सप्ताह की शुरुआत में उनने चाचा पशुपति कुमार पारस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक हुई थी। इसके बाद चिराग को लेकर अटकलों का दौर और शुरू हो गया था। हालांकि, तमाम अटकलों को खारिज करते हुए चिराग ने कहा कि उनके पास जनाधार ही कहां है, वह लोकसभा चुनाव से पहले भी सभी लोगों से मिल रहे थे लेकिन वह अभ्यास भी बेकार साबित हुआ था। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में विपक्ष के द्वारा जो ये भ्रम फैलाया जा रहा है, मेरी पार्टी और मेरे सांसदों को लेकर, वह उसी साजिश को हवा देने की सोच है जो 2021 में रची गई थी। उस वक्त भी इनलोगों को लगा था कि ये चिराग पासवान को समाप्त कर देंगे, लेकिन ना उस वक्त ये लोग चिराग पासवान को समाप्त कर पाए और ना आगे कर पाएंगे। 

 

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युवा नेता ने कहा कि आज की तारीख में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का हर  सांसद बिहार 'फर्स्ट- बिहारी फर्स्ट' की सोच को धरातल पर उतारने के लिए काम कर रहा है। अब हमलोग का ध्यान अगले साल, यानी 2025 में होनेवाले विधानसभा चुनाव पर है। जो लोग सोचते हैं कि लोजपा (रामविलास) में टूट हो, वो अपनी ख्वाहिशों को पर देने का काम कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि ऐसा हो। लेकिन, ऐसा कुछ होनेवाला नहीं है। 'काठ की हांडी' बार बार नहीं चढ़ती है। इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा। 

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