Bangladesh को फूल के जरिए Fool बनाने का चीनी तरीका, जिनपिंग और जमात की जोड़ी ने बढ़ाई भारत की टेंशन

By अभिनय आकाश | Sep 04, 2024

भारत के खिलाफ दुश्मन तैयार करना चीन का पुराना फॉर्मूला रहा है। नेपाल में चीन समर्थन केपी शर्मा ओली ने गद्दी संभालते ही एक बार फिर से अपना भारत विरोधी एजेंडा जारी कर दिया है। चीन के इशारे पर चलने वाले नेपाली पीएम ने नोट के जरिए भारत के साथ दुश्मनी वाला कदम उठाया है। भारत के खिलाफ जो भी होता है चीन उसके साथ खड़ा हो जाता है। पाकिस्तान और म्यांमार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। बांग्लादेश में जिस कट्टरपंथी संगठन का हाथ शेख हसीना के तख्तापलट में बताया जा रहा है। जिस कट्टरपंथी संगठन का हाथ बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले में हो रहा है। बांग्लादेश के उस कट्टरपंथी संगठन का नाम जमात-ए-इस्लामी है। चीन ने उससे हाथ मिला लिया है। 

इसे भी पढ़ें: Teesta Dispute: भारत के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहता है बांग्लादेश, अतंरिम सरकार को भी स्वीकार नहीं तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप

चीन ने बांग्लादेश के धार्मिक कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी की तारीफ की है और उससे हाथ मिलाया है। ढाका में चीनी राजदूत याओ वेन जमात-ए-इस्लामी के दफ्तर पहुंच गए। जहां चीनी राजदूत ने जमात के अमीर शफीकुर से मुलाकात की। उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। बांग्लादेश में चीनी राजदूत ने जमात की तारीफ में ऐसे ऐसे कसीदे पढ़े जितना उसने कभी उईगर मुसलमानों के लिए भी नहीं पढ़े। ढाका में चीनी राजदूत याओ वेन और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश (जेआईबी) क्षेत्रीय गतिशीलता में बदलाव का संकेत  जिसे भारत नजरअंदाज नहीं कर सकता।

इसे भी पढ़ें: Bangladesh की पत्रकार को भारी पड़ गया सोनिया-राहुल के खिलाफ फर्जी खबर फैलाना, कांग्रेस ने लिया एक्शन, FIR दर्ज

बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान ने एक इंटरव्यू में भारत के साथ स्थिर संबंधों की इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन स्पष्ट किया कि नई दिल्ली को बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। रहमान ने इस बात पर जोर दिया कि जहां जमात नई दिल्ली और ढाका के बीच घनिष्ठ संबंधों का समर्थन करता है। वहीं बांग्लादेश को भी अतीत के बोझ"को पीछे छोड़कर अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मजबूत और संतुलित रिश्ते बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, ब्रिटिश भारत में 1941 में स्थापित व्यापक जमात-ए-इस्लामी आंदोलन में गहरी जड़ें रखने वाली पार्टी, बांग्लादेश के इतिहास में एक विवादास्पद इकाई रही है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी के विरोध और मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ सहयोग ने इसकी प्रतिष्ठा पर एक अमिट दाग लगा दिया है। 


प्रमुख खबरें

मुंबई: इमारत में आग लगने से बुजुर्ग झुलसा

Vaikuntha Chaturdashi 2024: बैकुंठ चतुर्दशी पर श्रीहरि की पूजा करने से बैकुंठ में मिलता है स्थान, जानिए पूजन विधि

‘अंतरिक्ष अभ्यास’ भारत की अंतरिक्ष-आधारित परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने में अहम कदम:रक्षा मंत्रालय

सरकारी निविदाओं में मुसलमानों को चार फीसदी आरक्षण पर नहीं लिया गया कोई निर्णय: सिद्धरमैया