1962 में भी गलवान से पीछे हटे थे चीनी और बाद में भरोसा तोड़ किया था युद्ध

By अनुराग गुप्ता | Jul 07, 2020

लद्दाख। भारत-चीन के बीच जारी कड़वाहट अब कम होने लगी है । जमीन हड़पने का प्रयास करने वाले ड्रैगन ने अब अपने कदम पीछे कर लिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसा वाली जगह से 2 किमी पीछे हट गए हैं। लेकिन क्या चीनी सैनिकों का पीछे हटना शांति का संदेशा है ? कहते हैं कि इतिहास से सीखने वाला ही आगे बढ़ता है। ऐसे में भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध को भला कैसे भूला जा सकता है।

गलवान घाटी से हुई थी शुरुआत

साल 1962 में भी चीन के साथ गलवान घाटी को लेकर ही विवाद हुआ था और अब भी गलवान घाटी ही सुर्खियों में है। उस वक्त भी जुलाई के महीने में सभी समाचार पत्रों ने लिखा था कि Chinese troops withdraw from Galwan post मगर कुछ महीने बाद ही भारत-चीन के बीच 1962 के युद्ध की शुरुआत हो गई जो करीब महीने भर से ज्यादा समय तक चली और फिर युद्ध विराम के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ। 

इसे भी पढ़ें: अजीत डोभाल ने संभाला मोर्चा, चीनी विदेश मंत्री से की बात, सैनिकों के पीछे हटने पर बनी सहमति 

1962 के समय से यह बात तो स्पष्ट हुई कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और यह बात सरकार और भारतीय सेना भलिभांति समझती हैं इसीलिए भारत ने हर मोर्चे पर अपनी तैयारी पुख्ता की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना में डीजीएमओ रह चुके रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया बताते हैं कि साल 1962 से पहले चीन ने पूरे अक्साई चीन पर अपना दावा जताया था। इसके बाद चीन ने वेस्टर्न हाईवे का काम शुरू कर दिया था और इसी बीच चीन ने गलवान घाटी पर अतिक्रमण करना भी शुरू कर दिया। उन दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) नहीं होती थी।

चीन ने मारी थी पलटी

चीन पर भरोसा करना महंगा पड़ सकता है। क्योंकि साल 1962 में पहले चीन ने गलवान पर भारत के दावे को मान लिया था लेकिन बाद में चीन अपनी बातों से पलट गया और चीन अपनी सैनिकों की टुकड़ियों को भेजने लगा था। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया से मिली जानकारी के मुताबिक 1962 में भारत-चीन युद्ध की शुरुआत गलवान घाटी से ही हुई थी। चीन ने गलवान पोस्ट पर हमला कर दिया था जिसमें भारतीय सेना के 33 जवान हो गए थे। हालांकि बाकी के जगह पर भी तनाव चल रहा था लेकिन गलवान ही मुख्य केंद्र था। 

इसे भी पढ़ें: तेजी से बदलते समय में विकासवाद है प्रासंगिक, PM मोदी बोले- विस्तारवाद का युग हो चुका है समाप्त 

हर मोर्चे पर चीन को जवाब देने में सक्षम भारत

1962 से मिले अनुभव के आधार पर भारत हर मोर्चे पर चीन को जवाब देने में सक्षम है। पूर्वी लद्दाख इलाके में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद से चीन के खिलाफ भारत में जनआक्रोश फैला हुआ है। जिसके बाद चीनी समानों के बहिष्कार को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हुए और बाद में भारत सरकार ने देश की सुरक्षा में खतरा बताते हुए चीन के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक की और टिक टॉम समेत 59 चीनी ऐपों को प्रतिबंधित कर दिया। भारत सरकार द्वारा चीनी ऐपों पर प्रतिबंध लगाने से चीन की टेक्नोलॉजी कम्पनियों को आने वाले समय में करीब 37 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान जताया गया है।

 इसे भी देखें: Ajit Doval ने China को पीछे हटने के लिए ऐसे मनाया

प्रमुख खबरें

सरकार के मंत्री के डायरेक्ट लिंक है, चुटकी में किसी बड़े पद पर आपकी पोस्टिंग करना दूंगा, यह कहकर चोरों ने Disha Patani के पिता से ठग लिए 25 लाख

Prabhasakshi NewsRoom: Oxford University में Kashmir मुद्दे को लेकर विवादित बहस, पाकिस्तानियों को भारतीय छात्रों ने दिया करारा जवाब

Epilepsy Symptoms: इन बीमारियों के होने पर पड़ सकते हैं मिर्गी के दौरे, जानिए कारण और लक्षण

Netflix Boxing Bout | Mike Tyson की 19 साल बाद बॉक्सिंग की रिंग में वापसी, लेकिन Jake Paul को नहीं आया तरस? खेल के दौरान जमकर पीटा