By अनन्या मिश्रा | Nov 16, 2024
एक्सपर्ट की मानें, तो कई बार पीड़ित व्यक्तियों में इस बीमारी का सही कारण पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है। कुछ लोगों को गंभीर बीमारी के बाद मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। तो वहीं कुछ लोगों के दिमाग पर गहरी चोट लगने या फिर चोट के निशान पड़ने पर भी दौरे पड़ सकते हैं। हार्ट से जुड़ी बीमारियां होने पर भी व्यक्ति को मिर्गी की बीमारी हो सकती है। ऐसे में आज हम आपको इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
डॉक्टर्स की मानें तो कई बार रोगियों में मिर्गी के सही कारणों का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। कुछ लोगों को किसी गंभीर बीमारी के बाद मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। दिमाग में गंभीर चोट लगने या चोट के निशान रह जाने पर भी लोगों को मिर्गी का दौरे पड़ने लगते है। कार्डियोवस्क्युलर डिसीज यानि हार्ट से जुड़ी बीमारियां होने पर भी इंसान को मिर्गी की बीमारी हो सकती है। कुछ मामलों में तेज बुखार भी दिमाग पर असर डाल सकता है।
क्या हैं मिर्गी के लक्षण
मिर्गी से दो तरह के दौरे पड़ते हैं। जिनमें से एक जनरलाइज्ड एपिलेप्सी होता है। इस कंडीशन में व्यक्ति के पूरे दिमाग में दौरा पड़ता है। यह दौरा तब तक होता है, जब तक की पीड़ित बेहोश न हो जाए। तो वहीं दूसरा फोकल एप्लेकिसी होता है। इस कंडीशन में दिमाग के कुछ हिस्से में इलेक्ट्रिकल तरंगे दौड़ती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति के सूंघने या चखने की शक्ति में बदलाव होता है और शरीर में मरोड़ आने लगता है। इसमें देखने, सुनने या फिर फील करने की क्षमता खो जाती है।
मिर्गी के कारण
ब्रेन स्ट्रोक होने पर व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ने का खतरा होता है।
जब ब्रेन में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है, तब भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर या दिमाग में फोड़ा होने पर भी मिर्गी का खतरा हो सकता है।
उम्र बढ़ने पर जिन लोगों को अल्जाइमर या डेमेंशिया जैसी बीमारियां हो जाती हैं, उनको भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।
एड्स या मैनिंजाइटिस की समस्या से पीड़ित व्यक्ति भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है।
कई बार नशीली दवाओं का अधिक सेवन करने और जेनेटिक कारणों से भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
मिर्गी की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करते रहें।
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
रोजाना व्यायाम करें।
तनाव और चिंता कम करें।
पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है।
संतुलित और पौष्टिक खाना खाएं।
शराब और नशीली चीजों से दूरी बनाएं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।