By नीरज कुमार दुबे | Mar 27, 2025
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि चीनी सेना ने नॉन-कॉम्बेट मामलों में डीपसीक एआई का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना एआई या आधुनिक तकनीक का कैसे और कितना उपयोग कर रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गैर-लड़ाकू कार्यों के लिए विशेष रूप से सैन्य अस्पतालों में चीनी AI उपकरण 'डीपसीक' का उपयोग करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि AI उपचार योजनाएँ विकसित करने में डॉक्टरों की सहायता करता है और इसका उपयोग अन्य नागरिक क्षेत्रों में भी किया जाता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक डीपसीक के ओपन-सोर्स लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) PLA अस्पतालों, पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (PAP) और राष्ट्रीय रक्षा जुटाव इकाइयों में उपयोग में लिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में PLA सेंट्रल थिएटर कमांड के जनरल अस्पताल ने डीपसीक के R1-70B LLM की "एम्बेडेड तैनाती" के बारे में बताया था। उन्होंने कहा कि साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल ने कहा कि AI डॉक्टरों की सहायता के लिए उपचार योजना सुझाव प्रदान करता है। इसने इस बात पर भी जोर दिया कि रोगी का डेटा सुरक्षित रहता है, सभी जानकारी स्थानीय सर्वर पर संग्रहित और संसाधित होती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बीजिंग में PLA जनरल अस्पताल सहित अन्य PLA अस्पतालों जिन्हें "301 अस्पताल" के रूप में जाना जाता है, ने भी डीपसीक को तैनात किया है। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल वरिष्ठ चीनी अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों का इलाज करता है और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को संभालता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पीएलए ने पहले कहा था कि एआई को सैन्य अभियानों में मानवीय निर्णय लेने में सहायता करनी चाहिए, लेकिन उसकी जगह नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनवरी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेली ने लिखा था, "जैसे-जैसे एआई विकसित होता है, इसे मानवीय निर्णय द्वारा निर्देशित एक उपकरण बने रहना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जवाबदेही, रचनात्मकता और रणनीतिक अनुकूलनशीलता सैन्य निर्णय लेने में सबसे आगे रहे।" उन्होंने कहा कि लेख में आगे कहा गया था कि एआई को मानव निर्णय-निर्माताओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि कमांड प्रभावशीलता को अनुकूलित किया जा सके और मानव एजेंसी को बदलने के बजाय उसे बढ़ाया जा सके।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि डीपसीक के नवीनतम एआई मॉडल ने चैटजीपीटी जैसे स्थापित मॉडल की तुलना में अपनी कम कम्प्यूटेशनल आवश्यकताओं के चलते ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि इस ऐप ने हाल ही में ऐप्पल के ऐप स्टोर पर शीर्ष रैंक वाले मुफ़्त ऐप के रूप में चैटजीपीटी को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उम्मीद जताई जा रही है कि इन एआई मॉडल का उपयोग भविष्य में चीनी सेना द्वारा युद्ध के मैदान की खुफिया जानकारी, निगरानी और निर्णय लेने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सैन्य अस्पतालों से परे चीन स्वास्थ्य सेवा, विनिर्माण और शहरी विकास में एआई के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। कुछ सरकारी एजेंसियों ने भी भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में डीपसीक मॉडल को अपनाया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के तहत काम करने वाली पीएपी की इकाइयों ने दैनिक शारीरिक प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए एआई का उपयोग करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हैनान के अर्धसैनिक बल के राजनीतिक कार्य विभाग ने बताया है कि सैनिकों ने चिंता को प्रबंधित करने और व्यायाम योजनाएँ बनाने के लिए डीपसीक का इस्तेमाल किया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पीएलए ने पहले भी सैन्य निर्णय लेने में एआई के इस्तेमाल का समर्थन किया है। उन्होंने कह कि पीएलए अपने संचालन में एआई सहित उच्च-स्तरीय तकनीक को एकीकृत करने के लिए काम कर रहा है। इसमें ड्रोन रणनीति, पायलट प्रशिक्षण और युद्ध के मैदान में निर्णय लेने में सहायता में सुधार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने एक रिपोर्ट में चीनी सरकारी अखबार गुआंगमिंग डेली ने कहा था कि डीपसीक "सैन्य बुद्धिमत्ता प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो सैन्य बुद्धिमत्ता के विकास में एक नया अध्याय शुरू कर रहा है।" उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि डीपसीक वास्तविक समय में बड़ी मात्रा में युद्ध के मैदान के डेटा को संसाधित कर सकता है, जिससे स्थितिजन्य जागरूकता में सुधार होता है। उन्होंने कहा कि वैसे चीन के रुख को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह भले नॉन-काम्बेट मामलों में एआई के उपयोग की बात कर रहा है लेकिन ऐसा हो नहीं सकता कि वह कॉम्बेट मामलों में एआई का उपयोग नहीं करे। उन्होंने कहा कि साइबर वार में तो चीन एआई का उपयोग कर ही रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारतीय सेना की ओर से एआई और अन्य आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल की बात है तो यह काम हम आज से नहीं बल्कि हाल के कुछ वर्षों से लगातार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे किसी भी स्तर पर दिये जा रहे प्रशिक्षण की बात हो, निगरानी की बात हो, ड्रोन तकनीक की बात हो, रोबोट की बात हो आपको हर जगह एआई का उपयोग नजर आयेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने तो बाकायदा एआई से संबंधित एक सेंटर भी बना रखा है। उन्होंने कहा कि वैसे यह सही है कि हम चीनी सेना के जितना एआई का उपयोग नहीं कर रहे हैं लेकिन हमारे वैज्ञानिक और रिसर्चर लगातार इस काम में लगे हुए हैं कि कैसे सेना को आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाये। उन्होंने कहा कि लेकिन एक चीज और है कि एआई जो भी काम करता है वह उसे मिल रहे या दिये गये डेटा के आधार पर करता है लेकिन युद्ध क्षेत्र में स्थितियां कभी भी बदल सकती हैं या आपने जो रणनीति बनाई हो उससे अलग स्थिति दुश्मन पैदा कर सकता है, ऐसे में एआई मदद नहीं कर पायेगा क्योंकि वह हर स्थिति के लिए तैयार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एआई मददगार है लेकिन मानव बल की जगह कभी नहीं ले सकता।