पूरी दुनिया को संकट में धकेल कर खुद नोट गिन रहा है चीन

By रजनीश कुमार शुक्ल | Apr 02, 2020

आज जो पूरी दुनिया में नोवेल कोरोना वायरस का घातक संक्रमण फैला हुआ है उसके लिए जिम्मेदार कौन है ? देखा जाये तो इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई है और इस समय कई देशों में अपने घातक रूप को दिखा रही है। एक बात समझ से परे होती जा रही है कि चीन का सबसे ज्यादा वुहान शहर ही प्रभावित रहा। वहीं बीजिंग, शंघाई और हांगकांग में इसका प्रकोप न के बराबर था। ऐसा कैसे हुआ क्योंकि इस समय देखा जाये तो किसी भी देश की यदि बात हम करें तो उसके सारे शहर इसकी चपेट में हैं। यह साजिश जैसा नज़र आ रहा है, क्योंकि वहाँ इस वायरस का खुलासा करने वाले पहले डॉक्टर ली विन्लियांग ने कोरोना के बारे में जाना और अपनी सरकार को इसके बारे में बताया लेकिन वहाँ उनकी बातों को दबाया गया। कुछ समय बाद ही उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।


जनवरी 2019 में चीन के अखबारों में ऐसी भी खबरें आयीं थीं कि किसी न्यूमोनिया जैसी बीमारी के फैलने की अफवाह फैलाने के आरोप में चीनी पुलिस नागरिकों को गिरफ्तार कर रही है। इतना ही नहीं 'द टाइम्स' के अनुसार भी दिसम्बर में चीनी पैथोलॉजिस्ट्स को सरकार ने मजबूर किया था कि वे कोरोना संक्रमण से जुड़े मामलों की जाँच रिपोर्ट और सैम्पल नष्ट कर दें। ऐसा क्या था जिसके चलते यह सब किया गया। कुछ खबरें ऐसी भी आयीं जिसमें चीन के जैविक हथियारों के परीक्षण की बात कही गयी थी, जिसमें यह कहा गया था कि किसी गलत परीक्षण होने के कारण ऐसा संक्रमण फैला है। इसका कोई साक्ष्य तो स्पष्ट नहीं हो पाया लेकिन जिस वुहान शहर में यह संक्रमण फैला वहीं पर दुनिया की सबसे बड़ी वायरस अनुसंधान प्रयोगशाला भी है। इसका पुख्ता सुबूत चीनी मीडिया खुद दे चुकी है। आये दिन चीनी मीडिया उस वायरस अनुसंधान की डींगे हांकता रहा है, जिसने इस बात को पूर्ण रूप से स्पष्ट कर दिया है कि बात कुछ और ही है।

 

इसे भी पढ़ें: अपने गलत काम को छिपाने के लिए धर्म की आड़ ना ले तबलीगी जमात

चीन वैसे ही वृद्ध जनसंख्या से पीड़ित हैं वहाँ मरने वाले भी ज्यादातर वृद्ध ही हैं। यदि किसी देश में इतनी संख्या में लोग मरेंगे तो वहाँ जश्न नहीं मनेगा लेकिन चीन ऐसा देश है, जहाँ पर कोरोना पर जीत का जश्न मनाया गया। ऐसी खबरें डेली मेल ने दी थीं और यह भी बताया गया था कि 28 मार्च को इस जश्न में बत्तख, खरगोश, कुत्ते और बिल्ली के मांस को खाकर इसकी शुरुआत की गई। यह भी हैरत अंगेज बात है कि अपने लोगों के मरने पर संवेदना तो दूर की बात है जश्नों का सिलसिला चालू हो गया। चमगादड़ का मांस फिर से बहुत तेजी से बिकना शुरू हो गया है। ऐसा लगता है कि यह किसी योजना के तहत अंजाम दिया गया। आखिर जिस चमगादड़ के मांस से तहलका मचा वह फिर कैसे शुरू हो गया ? यह भी समझ से परे है।


कुछ दिनों पहले की बात करें तो अमेरिका हो या भारत, दोनों देशों को वह अपने तेवर दिखा रहा था। इस मामले को वर्चस्व की लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा था, क्योंकि सभी देश अपनी ताकत बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। इस खतरनाक वायरस को छद्म युद्ध की लड़ाई में इस्तेमाल करने की भी बात समझी जा सकती है। वैसे पहले से ही अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार चल रहा था। कोरोना के फैलने के बाद अमेरिका और चीन में जुबानी जंग भी शुरु हो गई थी। दोनों देशों में आरोप और प्रत्यारोप भी चल रहा था लेकिन कहानी कुछ और ही बयां कर रही है। इस समय देखा जाये तो 199 देशों में इसका प्रकोप बहुत बुरी तरह देखा जा रहा है। इस समय तकरीबन पूरी दुनिया में 38 हजार के पार लोगों की मौत हो चुकी है और आठ लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका जैसे विकसित देशों का बुरा हाल है। अमेरिका हो या स्पेन, ब्रिटेन और इटली सभी देशों में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है और इस वायरस का कहर जारी है।


अगर हम सबसे पहली कोरोना पॉजिटिव मरीज चीन की 58 वर्षीय महिला की बात करें तो वह वुहान शहर की रहने वाली थी और उसका एक बयान आया था कि उसके साथ चीनी सरकार के लोगों ने उसके इस संक्रमण पर ध्यान नहीं दिया। उसका पूरा परिवार पॉजिटिव पाया गया था। सही इलाज नहीं हुआ, उन लोगों को अनदेखा किया गया। ऐसा प्रतीत होता कि यह योजना के तहत था इसी कारण इन प्रकरणों पर चीन की सरकार ने ध्यान नहीं दिया और इस मामले को भरपूर दबाने का प्रयास किया गया।


वर्तमान की बात की जाये तो चीनी मीडिया यह दिखा रही है कि चीन में कोरोना से निजात पा लिया गया है और वहाँ सब कुछ पहले की तरह ही फिर से शुरू कर दिया गया है। कुछ ऐसा मामला भी सामने आ रहा है कि चीन अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण सबसे अव्वल माना जा रहा है। कहीं यह सब उसने अपने वेंटिलेटर और चिकित्सीय सामग्री बेचने के लिए तो नहीं किया ? जिससे उसके यहाँ के सामानों की बिक्री तेज हो जाये और इकोनामी बढ़ाई जाये। इस समय वह अपनी इकोनामी बढ़ाने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रहा है।

 

इसे भी पढ़ें: देश पर संकट की हर घड़ी में संघ के कार्यकर्ता देवदूत की भाँति सेवा में लग जाते हैं

इसी सब के बीच इटली में ऐसी महामारी शुरू हुई तो वहाँ पर वेंटिलेटर और चिकित्सीय सामग्री की कमी होने लगी, वहाँ वृद्ध लोगों को वेंटिलेटर से हटाकर नौजवानों को रखा गया ताकि इन नौजवानों को सुरक्षित रखा जाये। मानों चीन ऐसा ही चाह रहा था क्योंकि वेंटिलेटर और चिकित्सीय सामग्री की पूर्ति इस समय चीन से बेहतर कोई नहीं कर सकता। वैसा ही हुआ इटली ने वेंटिलेटर और चिकित्सीय सामग्री के लिए चीन को ऑर्डर दे दिया। चीन ने सामग्री बनानी शुरू कर दी और सामानों की खेप भी भेज दी। अत: सारे पहलू चीन की ओर ही इशारा कर रहे हैं। इस समय सभी देशों को एक होकर चीन पर दबाव डाकर उसकी तह तक जाना चाहिए और इस मामले का सही पता लगाना चाहिए।


-रजनीश कुमार शुक्ल

सह-संपादक (अवधनामा ग्रुप)

 

 

प्रमुख खबरें

Prabhasakshi Exclusive: Sri Lankan President Anura Kumara Dissanayake की पहली भारत यात्रा से दोनों देशों को क्या लाभ हुआ?

समान नागरिक संहिता के लिए बीजेपी का नया प्लान, संसद से नहीं विधानसभा से होगा लागू

साधुराम की शिकायत पर मंत्री जी ने मथुरा का पूरा रजिस्ट्री ऑफिस किया सस्पेंड

शाहजहांपुर में हाईवे पर कार-ट्रक भिड़ंत में पांच की मौत, 6 घायल