भारत के पास मौजूद सबसे खतरनाक हथियारों में से एक एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बड़ी खबर आई है। ऐसा लग रहा है कि भारत और रूस के बीच दरार डालने में चीन काफी आगे तक निकल गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दोस्ती की चर्चा दुनियाभर की हेडलाइन बनी हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अचानक से शांति का प्रस्ताव लिए रूस पहुंच गए। चीन और रूस ने अमेरिका के खिलाफ नया गठबंधन बनाने का ऐलान किया है। रूस ने भी चीन के साथ संबंधों को नए मुकाम पर पहुंचाने का ऐलान किया है। लेकिन इस पूरी घटना में भारत को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी नहीं होगी समय से पूरी
वैसे तो रूस और चीन पहले से ही पक्के दोस्त हैं, लेकिन इस बार इन दोनों बड़े नेताओं की मुलाकात ने भारत को भी परेशान कर दिया है। पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात के बाद अचानक खबर आई है कि भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के पांचों स्काडर्न की डिलीवरी समय पर पूरी नहीं हो पाएगी। रूस ने अब भारत को लिखित में बताया है कि वो 2024 तक सभी सिस्टम नहीं दे पाएगा। अभी तक भारत को एस-400 के तीन स्कावर्डन मिल चुके हैं।
भारतीय सेना ने क्या कहा?
महीनों से रूस द्वारा दिए गए कई आश्वासनों के बावजूद भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने अब एक बयान में कहा है कि मॉस्को यूक्रेन युद्ध के कारण भारत की सेना को आवश्यक रक्षा आपूर्ति प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर सकता है। नई दिल्ली को चिंता है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से भारत को सैन्य आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। आईएएफ का यह बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस बयान के कुछ महीनों बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका देश युद्ध प्रणाली का निर्यात करना जारी रखेगा और एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में सहयोगियों को सैन्य आपूर्ति प्रदान करेगा। रिपोर्ट में इस डिलीवरी की बारीकियों का जिक्र नहीं है। भारत ने 2018 में 5.4 बिलियन डॉलर में खरीदी गई S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी भी शामिल है। मास्को में आर्मी एक्सपो में बोलते हुए रूस के रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के सीईओ, अलेक्जेंडर मिखेयेव ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि वे 2023 के अंत तक भारत को सभी पांच एस-400 रेजिमेंट वितरित कर देंगे।