भारत का चुनाव परिणाम आने से पहले ही पीओके में चीन की तोप तैनात हो गई है। ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान में पीओके के लिए डर बढ़ गया है। शहबाज शरीफ को खुद अपनी सेना पर भी भरोसा नहीं है। इसलिए चीनी तोप लेकर पाकिस्तान की सरकार पीओके बचाने के सपने देख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस वक्त कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में मेडिटेशन करने पहुंचे हैं। ठीक उसी वक्त पीओके में बड़ा खेल हो गया है। भारत के दो सबसे बड़े दुश्मन चीन और पाकिस्तान पीओके ने वो हरकत ने भारत के लिए मौका खोल दिया है।
पीओके में चीन के बड़े बड़े हथियार पहुंच चुके हैं। चीनी सेना को भी पीओके में लाने की तैयारी की जा रही है। पाकिस्तान को डर है कि पीएम मोदी पीओके पर कोई बड़ा प्लान बना रहे हैं। इसीलिए भारत के एक्शन से पहले ही पाकिस्तान ने पीओके में चीन की बनी तोपें और रडार लगा दिए हैं। चीन में बनी 155 एमएम होवित्जर एसएच15 को एलओसी में कई जगह पर तैनात किया गया है। इसके अलावा चीन में बने रडार सिस्टम को भी पाकिस्तान ने एलओसी में तैनात कर दिया है। यानी चीन और पाकिस्तान को डर है कि भारत लैंड या एयरस्ट्राइक कर सकता है।
वैसे कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि पीओके में चीन और पाकिस्तान जो कर रहे हैं वो भारत का एक जाल हो सकता है। भारत पीओके पर लगातार बयान दे रहा है, ताकी चीन और पाकिस्तान से कोई बड़ी गलती हो जाए। पाकिस्तान से ज्यादा चीन का फंसना जरूरी है। पीओके में पाकिस्तान से ज्यादा चीन की साख और पैसा दोनों दांव पर लगा है। चीन का 60 अरब का निवेश पीओके में फंस गया है। चीन के सभी प्रोजेक्ट भी अटक गए हैं। भारत जानता है कि पीओके में एक्शन लेने का मतलब पाकिस्तान के साथ साथ चीन से लड़ना भी होगा। इसलिए पाकिस्तान के साथ साथ चीन को घेरने की जरूरत है। भारत की कूटनीति काम भी कर रही है। पीओके पर भारत के बयानों के बाद वहां की जनता चीनी प्रोजेक्ट का खुलकर विरोध कर रही है। चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने की भी खबर सामने आ रही है। इसी हड़बड़ी में चीन ने वो कर दिया जो भारत चाहता है। चीन पीओके में अपने प्रोजेक्ट को बताने के लिए पाकिस्तान के आसपास अपनी सेना को उतारना चाहता है। चीनी सैनिकों का वहां पकड़ा जाना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होगा। भारत को भी इससे कार्रवाई का मौका मिल जाएगा।