By अभिनय आकाश | Oct 14, 2024
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, इजरायल और हमास के बीच गाजा में छिड़ी जंग, इजरायल और लेबनान के बीच का संघर्ष, ईरान और इजरायल के बीच टेंशन का माहौल, कुल मिलाकर कहे तो इस वक्त पूरी दुनिया में वॉर के कई फ्रंट खुले हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन अब एक नए जंग की आहट की सुगबुगाहट तेज हो चली है। जिसके बाद से कहा जा रहा है कि क्या वाकई चीन ताइवान पर जंग का आह्वान करने वाला है? ताइवान में चीनी सैनिक जो कह रहे हैं उसे सुनकर कोई भी हैरानी में पड़ जाएगा। ताइवान की तरफ से जारी किए गए वीडियो में दावा किया गया है कि चीन ताइवान पर हमले की तैयारियों में जुटा हुआ है। ताइवान ने अपने क्षेत्र में चीनी विमान वाहकों का एक समूह द्वीप के दक्षिण की ओर जाने की सूचना दी थी। चीन ने तेजी के साथ ताइवान के आस पास अपने रक्षा बेड़े को और ज्यादा मजबूत कर लिया है। ताइवान को घेरने के इरादे से चीन ने अपना रक्षा बेड़ा ताइवान के ईर्द गिर्द लगा दिया है। चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताता है जबकि ताइवान खुद को एक आजाद मुल्क।
चीन ने अभ्यासों के लिए अपने लियानिंग विमानवाहक पोत को भी तैनात किया और सरकारी प्रसारणकर्ता सीसीटीवी ने पोत से जे-15 लड़ाकू विमान को उड़ान भरते हुए दिखाया। चीन के पूर्वी थिएटर कमान के प्रवक्ता नेवी सीनियर कैप्टन ली शी ने कहा कि अभ्यासों में नौसेना, वायु सेना, मिसाइल कोर ने भाग लिया। ली ने एक बयान में कहा कि यह उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं और हमारी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। इसके साथ ही चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने सोमवार को घोषणा की कि वह ताइवान की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के काम के लिए ताइवान के दो लोगों पूमा शेन और रॉबर्ट त्साओ पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में 90 विमान देखे गए, जिनमें युद्धक विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि चीन ने ताइवान की आजादी के खिलाफ चेतावनी के तौर पर सोमवार को बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास शुरू किए। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में चीन के साथ एकीकृत होने से पहले ताइवान एक जापानी उपनिवेश था। 1949 में यह उससे अलग हो गया जब माओ त्से तुंग के कम्युनिस्टों के चीन में सत्ता में आने के बाद उनके विरोधी च्यांग काई-शेक के समर्थक भागकर ताइवान आ गए।