By अभिनय आकाश | Aug 29, 2023
मेरे चारो तरफ समुंदर था। पानी इतना ठंडा था कि उसे छूने ही मात्र से शरीर सिहर उठे। सुनामी की ताकत का अंदाजा लगाना मुश्किल है , जब कि आप खुद उसका अनुभव न कर लें। ये एक ऐसी खतरनाक शक्ति है जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को निगल जाती है। फुकुशिमा में रहने वाले केनिसी कुरोसावा ने सीएनएन को सुनाई अपनी कहानी में दर्द कुछ इस तरह बयां किया था। 11 मार्च 2011 को 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका सेंटर फुकुशिमा के पास ही था। इस नाम को अच्छे से याद रख लें क्योंकि आगे भी इसका जिक्र बारम बार होता रहेगा। भूकंप के बाद सुनामी भी आई। इस हादसे में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। एक लाख 20 हजार घर तबाह हो गए। इस हादसे की टीस अभी तक लोगों के जेहन में जिंदा है और साथ में जिंदा है न्यूक्लियर रिक्टर के लाखों लीटर पानी में रेडियोएक्टिविटी। 2011 के भूंकप के बाद फुकुशिमा का न्यूक्लियर प्लांट बंद हो गया। फिर इमरजेंसी जेनरेटर चालू किए गए। उनकी मदद से रिएक्टर को ठंडा रखा जा रहा था। लेकिन सुनामी की बाढ़ से जेनरेटर बंद हो गए। तीन रिएक्टर अंदर से पिघल गए। हवा और पानी में रेडिएशन फैला। हजारों लोगों को बाहर निकालना पड़ा। बाद में जापान सरकार ने न्यूक्लियर प्लांट को बंद कर दिया। लेकिन 2011 की सुनामी में तबाह हो चुका जापान का फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट अब पूरी दुनिया को डरा रहा है।
समुंदर में जापानी साइनाइड
सोचिए कि अगर न्यूक्लियर प्लांट से निकलने वाला कचरा या फिर पानी समुंदर में मिल जाए तो क्या होगा। अगर न्यूक्लियर प्लांट को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल पानी जिसमें रेडियोएक्टिव तत्व मिले होने की संभावना हो। उसे समुंदर में छोड़ने का फैसला किया जाए। तो अलग अलग देशों की क्या प्रतिक्रिया होगी। जापान का फैसला कुछ ऐसा ही है जो पूरी दुनिया की टेंशन को बढ़ा रहा है। चीनी गुस्से में हैं। पिछले हफ्ते जापान ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से पानी छोड़ना शुरू कर दिया। चीन ने कहा कि फुकुशिमा परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में बहाकर, जापान अपने परमाणु आघात के अवतार गॉडज़िला को दुनिया के सामने ला रहा है। राज्य से जुड़े आउटलेट्स ने काल्पनिक राक्षस गॉडज़िला से कनेक्ट करते हुए प्रशांत महासागर को प्रदूषित करने के लिए जापान की निंदा करते हुए एक कैंपेन सॉन्ग भी बनाया है। मछली व्यापारियों पर उनके उत्पादों की सुरक्षा को लेकर संदेह जताते हुए निशाने पर जापान है। जैसे-जैसे बीजिंग और टोक्यो के बीच राजनयिक विवाद गहराता जा रहा है, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं ने आग को और भड़का दिया है। पहले तो चीनियों ने इसे स्वार्थी कदम बताया। अब चीनी ट्रोल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से हमलावर हो गए हैं। जापानियों को धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं। स्कूल के छात्रों को भी निशाना बनाया जा रहा है। तमाम विवाद की वजह फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। ऐसे में आज एमआरआई में जानेंगे कि आखिर ये फुकुशिमा विवाद क्या है? इसका खाद्य सुरक्षा, पड़ोसी देश और समुद्री पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इससे आने वाली पीढ़ी पर क्या असर होगा। चीन इसको लेकर इतना तिलमिलाया हुआ क्यों हैं?
चीन ने कर दिया जापानी उत्पादों का बहिष्कार
जापान ने अपने प्रभावित फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर से उपचारित रेडियोधर्मी पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे चीन में गुस्सा बढ़ गया है। जापानी समुद्री खाद्य आयात पर बीजिंग के प्रतिबंध के बाद, चीनी नेटीजनों ने विभिन्न प्रकार के जापानी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करना शुरू कर दिया है, जबकि अन्य लोग महत्वपूर्ण आपूर्ति का स्टॉक कर रहे हैं। चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार, प्रतिबंध तत्काल शुरू होगा और समुद्री आहार सहित सभी जलीय उत्पादों के आयात पर लागू होगा। अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय परमाणु दूषित जल के चलते हमारे देश के लिए स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा संबंधी जोखिम को देखते हुए उठाया गया है।
भ्रामक पोस्ट
जापानी उत्पादों के बहिष्कार की मांग के अलावा, चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल वीडियो के माध्यम से चीनी नेटिज़न्स जापान के फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। एक वीडियो में, चीनी प्रांत गुइझोउ में एक जापानी रेस्तरां के मालिक ने राष्ट्रवादी भावना के कारण अपने प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचाया। प्रशांत क्षेत्र में परमाणु सामग्री के रिसाव को गलत तरीके से दर्शाने वाले एनिमेशन भी वायरल हो गए हैं। पूर्वी जापान से प्रशांत क्षेत्र में फैली गहरी बैंगनी और लाल धारियों को दिखाने वाली एक तस्वीर को चीनी सोशल मीडिया खातों पर लाखों अनुयायियों के साथ व्यापक रूप से पोस्ट किया गया था। एनीमेशन वास्तव में जर्मनी में GEOMAR हेल्महोल्त्ज़ सेंटर फॉर ओशन रिसर्च कील द्वारा 2012 के एक अध्ययन से उत्पन्न हुआ था और 2011 फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के बाद प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक सीज़ियम फैलाव का अनुकरण दिखाता है।
वेस्ट मैटिरियल काफी सालों से परेशानी बना हुआ
जापान के विदेश मंत्रालय के अनुसार पानी को महासागर में छोड़ने से पहले साफ कर दिया गया है। हालांकि, कई रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें अभी भी ट्रीटियम के कण हैं। ट्राइटियम एक रेडियोएक्टिव मैटेरियल है, जिसे पानी से अलग करना काफी मुश्किल होता है। ऐसे तो इससे कॉन्टैक्ट में आने पर ज्यादा नुकसान नहीं होता है, लेकिन अगर ये किसी के शरीर में काफी बड़ी मात्रा में चला जाए तो इससे कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जापान में न्यूक्लियर प्लांट का पानी और वेस्ट मैटिरियल काफी सालों से परेशानी बना हुआ है।