By अंकित सिंह | Jul 09, 2024
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें पिछले साल फरवरी में एक नाबालिग लड़के के होठों पर चुंबन लेकर कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के मामले में दलाई लामा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। अदालत ने टिप्पणी की कि घटना के वीडियो से पता चलता है कि दलाई लामा बच्चे के साथ खेलने की कोशिश कर रहे थे और इस घटना को तिब्बती संस्कृति में देखा जाना चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह भी कहा कि दलाई लामा पहले ही उक्त वीडियो में अपने कृत्य से आहत लोगों से माफी मांग चुके हैं। अदालत ने आगे कहा कि उक्त घटना सार्वजनिक रूप से सामने आई और नाबालिग लड़के ने खुद दलाई लामा को गले लगाने की इच्छा व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मुद्दे की जांच कर सकती है और याचिका में कोई जनहित नहीं है जिस पर कोर्ट को गौर करना चाहिए। इसमें आगे कहा गया कि अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि दलाई लामा एक ऐसे धार्मिक संप्रदाय के प्रमुख हैं जिसके विदेशी ताकत के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं।
पीठ की राय थी कि इस विशेष याचिका पर जनहित याचिका के रूप में विचार नहीं किया जा सकता। यह जनहित याचिका बच्चों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने दायर की थी और उक्त घटना पर दलाई लामा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने चिंता जताई थी कि अक्सर आध्यात्मिक गुरु बच्चों का शोषण करने के लिए जनता के बीच उनके विश्वास का फायदा उठाते हैं। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से घटना का संज्ञान लेने और अधिकारियों को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दलाई लामा को फंसाने का निर्देश देने का आग्रह किया था।