जम्मू-कश्मीर में उप- राज्यपाल के माध्यम से जारी रहेगा केंद्र का शासन

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 31, 2019

नयी दिल्ली। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाए जाने के बाद अविभाजित जम्मू कश्मीर में लगा राष्ट्रपति शासन बृहस्पतिवार को हटा दिया गया। हालांकि केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में उप राज्यपाल के माध्यम से केंद्र का शासन अनिश्चितकाल तक लागू रहेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार सुबह दो अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी कीं। पहली, अविभाजित जम्मू-कश्मीर में लगा राष्ट्रपति शासन हटाने और केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के प्रशासन का नियंत्रण लेने से जुड़ी थी। अब यहां के प्रशासन का नियंत्रण उप राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के हाथों में होगा। पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्रदत्त विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने का फैसला किया था। इसके साथ ही 31 अक्टूबर को दो केंद्र शासित क्षेत्रों के गठन का निर्णय भी लिया गया था। जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र के रूप में आज यानी बृहस्पतिवार से अस्तित्व में आए हैं। 

इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे राज्यों में कोई फर्क नहीं रहा, घाटी में आज से सब कुछ बदल गया

आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है,‘‘संविधान के अनुच्छेद 356 की धारा 2,के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, मेरे द्वारा 19 दिसंबर, 2018 को जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में जारी की गई अपनी उद्घोषणा को रद्द करता हूं।’’ दूसरी अधिसूचना में राष्ट्रपति की ओर से कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 356, जिसके तहत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, केंद्र शासित क्षेत्रों पर लागू नहीं होता। यदि किसी परिस्थिति में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में संवैधानिक व्यवस्था विफल होती है तो वहां पर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 73 लागू होगी।

इसे भी पढ़ें: अनुच्छेद 370 और 35ए भारत में आतंकवाद का रास्ता थे : शाह

कानून की धारा 73 में कहा गया है कि किन्ही परिस्थितियों में संवैधानिक व्यवस्था के विफल होने पर- यदि राष्ट्रपति केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल से प्राप्त रिपोर्ट पर इस बात से संतुष्ट होते कि ऐसे हालात बन गए हैं जिसमें केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के शासन को इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जारी नहीं रखा जा सकता है या क्षेत्र के उचित शासन के लिए यह आवश्यक है तो राष्ट्रपति के आदेश से अधिनियम के सभी अथवा कुछ प्रावधानों को किसी भी अवधि के लिए निलंबित कर सकते हैं। वह क्षेत्र के शासन के लिए आवश्यक प्रासंगिक और अनुवर्ती प्रावधान बना सकते हैं। राष्ट्रपति ने अधिसूचना में कहा है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की ओर से रिपोर्ट प्राप्त हुई है कि केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को संविधान के प्रावधानों और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक जारी नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरह की संवैधानिक और प्रशासनिक शून्यता ना बने इसलिए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के उचित प्रशासन के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 73 को लागू करना आवश्यक है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल की ओर से प्राप्त रिपोर्ट और अन्य सूचनाओं पर विचार करने के बाद वह इस बात से संतुष्ट हैं कि ऐसे हालत बन गए हैं जिसमें केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक जारी नहीं रखा जा सकता है। इससे पहले राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जून 2018 में जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था और राज्यपाल शासन के छह महीने बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।संविधान का अनुच्छेद 356, जिसके तहत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, केंद्र शासित क्षेत्रों पर लागू नहीं होता। 

प्रमुख खबरें

बिहार सरकार क्रिकेट स्टेडियम के विकास के लिए BCCI के साथ समझौता करेगी

एमएनएफ ने Lengpui airport को भारतीय वायुसेना को सौंपने की योजना का किया विरोध

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024 के लिए नितीश कुमार रेड्डी को मिल सकता है मौका, चयनकर्ता कर रहे हैं बड़ा प्लान

Kazan ने खींचा दुनिया का ध्यान, गंगा के तट पर बसा ये शहर भारत के लिए क्यों है खास?