By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 09, 2021
नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियन ने मंगलवार को वित्तीय संस्थानों को नसीहत देते हुये कहा कि वह यारी- दोस्ती में कर्ज बांटने से बचें और कर्ज देते हुये उच्च गुणवत्ता मानकों पर ध्यान दें ताकि देश को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिल सके। उन्होंने माना कि 1990 के शुरुआती वर्षों में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर गुणवत्ता के कर्ज देने की समस्या से जूझना पड़ा।खासतौर से बड़ी राशि के कर्ज उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन किये बिना दिये गये। ये कर्ज पूंजीवादी मित्रों को दिये गये जिससे कि बैंकिंग क्षेत्र में समस्या बढ़ गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी वित्तीय क्षेत्र ऐसे किसी खास व्यक्ति को कर्ज देने का फैसला करता है जो कि कर्ज देने योग्य नहीं है लेकिन आपसे अधिक जुड़ा हुआ है, तो इसका सीधा सा मतलब है कि पूंजी उपलब्ध नहीं कराई जा रही। जब पूंजी अधिक पात्र कर्जदार को नहीं जाती है तो उस अवसर की एक लागत वहन करनी पड़ती है।’’ उन्होंने कहा कि वत्तीय क्षेत्र की यह ड्यूटी है कि अर्थव्यवस्था में पूंजी का उचित आवंटन हो। यह देखने की बात है कि बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या की बड़ी वजह यह रही कि बैंकों ने अवसंरचना क्षेत्र को अधिक कर्ज दिया।
इस क्षेत्र में कई बातों को लेकर समस्या खड़ी हो रही थी। उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र की बेहतरी की वकालत करते हुये कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह अब काफी महत्वपूर्ण है कि वित्तीय क्षेत्र ने उच्च गुणवत्ता मानकों पर कर्ज देने की जिम्मेदारी उठाई है। खासतौर से ढांचागत परियोजनाओं के मामले में वह इसका ध्यान रख रहा है और घनिष्ठ मित्रों को कर्ज देने से बच रहा है।मेरा मानना है कि वित्तीय क्षेत्र की बेहतरी का यही एकमात्र मंत्र है। ’’ सुब्रमणियन ने वित्तीय क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता का कर्ज दिये जाने को सुनिश्चित करने के वास्ते कार्पोरेट गवर्नेस को मजबूत बनाने का भी सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने उच्च गुणवत्ता के कर्ज वितरण को वरिष्ठ प्रबंधकों के प्रोत्साहन के साथ जोड़े जाने का भी सुझाव दिया। सुब्रमणियन ने कहा कि विकास वित्तीय संस्थान ढांचागत परियोजनाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि ऐसी परियोजनाओं के लिये खास तरह की विशेषज्ञता की जरूरत होती है। सरकार ने बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र की परियोजनाओं को वित्तपोषण उपलबध कराने के लिये एक विकास वितत संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। इस विकास वित्त संस्थान को राष्ट्रीय अवसंरचना एवं विकास वित्तपोषण बैंक का नाम दिया जा सकता है।
यह बैंक अवसंरचना परियोजनाओं के लिये तैयार की गई पाइपलाइन को अमल में लाने की दिशा में पहल करेगा।इस राष्ट्रीय पाइपलाइन परियोजना के तहत 7,000 परियोजनाओं की पहचान की गई है जिसमें2020- 25 तक 111 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। कार्यक्रम के दौरान दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरमैन एम एस साहू ने कहा की दिवाला प्रक्रिया के तहत दर्ज 4,000 कंपनियों में से 2,000 की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उनहोंने कहा कि खराब फंसी संपत्तियों का परिसमापन करने के बजाय उनके समाधान से अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है। कुछ कंपनियों के मामले में तो यह उनके परिसमापन मूल्य की तुलना में 300 प्रतिशत तक अधिक प्राप्त हुआ है।