दोस्तों, यह तो आपने बहुत बार देखा होगा कि आपको यदि काफी देर तक पानी में काम करना पड़े तो आपके हाथ व पैरों की अंगुलियों में सिलवटें पड़ जाती हैं। ये सिलवटें ऐसी दिखती हैं जैसे कि स्किन बूढ़ी हो गई हो और उस पर झुर्रियां पड़ गई हों। ये सिलवटें पानी से बाहर आने पर कुछ समय तक ही रहती हैं।
बच्चों, क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके कारणों को जानने के लिए अध्ययन किया। यूके की न्यूकेंसल यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च के मुताबिक देर तक पानी में रहने पर हमारी त्वचा में झुर्रियां पड़ने की वजह हमारे शरीर की एक व्यवस्था है जिससे हमारे काम आसान हो सकें।
वैज्ञानिकों के अनुसार दरअसल हमारी त्वचा के भीतर एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र काम करता है जो देर तक त्वचा के पानी के संपर्क में रहने पर नसों को सिकोड़ देता है जिससे त्वचा पर सिलवटें पड़ जाती हैं। यही स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र ही सांस, धड़कन और पसीने को भी नियंत्रित करता है। ऐसा ही पैरों में भी होता है। भीगे पैरों के तलवे भी लहरदार से हो जाते हैं। यह जिंदा रहने के लिए हमारे शरीर का जबरदस्त इंतजाम है। गीले हाथों में पड़ी सिलवटें हाथ के गीले होने के बावजूद हाथों की पकड़ को कमजोर नहीं होने देतीं और पैर इन्हीं सिलवटों की मदद से भीगे होने पर भी फिसलन से बचे रह पाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक माना जाता था कि हाथों के काफी देर तक गीले रहने से त्वचा के अंदर से पानी निकलने लगता है जिससे नमी की कमी हो जाती है और अंगुलियों के सिरों में सिलवटें आ जाती हैं। पर, ऐसा नहीं है इस नई रिसर्च में हमने साबित किया है कि सिलवटें हाथ व पैरों की पकड़ मजबूत रखती हैं।
इस रिसर्च के प्रमुख लेखक डॉक्टर टॉम श्मलडर्स का कहना है कि हाथ या पैर में पानी के कारण पड़ने वाली सिलवटें गीली परिस्थितियों में बेहतर ग्रिप देती हैं। यह कार के टायरों में बनी ग्रिप की तरह काम करती हैं, ताकि सड़क से ज्यादा से ज्यादा संपर्क रहे।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छात्रों की एक टीम को पानी में भीगे संगमरमर के टुकड़े दिये। छात्रों ने जब उन टुकड़ों को उठाने की कोशिश की तो उन्हें बड़ी मुश्किल हुई, टुकड़े बार बार फिसलते रहे। लेकिन बाद में जब इन छात्रों के हाथ आधे घंटे तक पानी में भिगो दिये गए और अंगुलियों में सिलवट आ गई तब गीले संगमरमर के टुकड़े आसानी से उनकी पकड़ में आने लगे।
न्यूकेंसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की यह रिसर्च ‘बायोलॉजी लेटर्स’ में प्रकाशित हुई है। डॉ. श्मलडर्स इसे हमारे क्रमिक विकास से जुड़ा बताते हैं उनके मुताबिक बहुत ही पुराने समय में जाएं तो हाथों की अंगुलियों की इन्हीं झुर्रियों ने शायद पानी और गीले इलाकों में खाना खोजने में हमारी मदद की थी और पानी के कारण पैरों पर बनी झुर्रियों की वजह से ही शायद हमारे पुरखे बारिश में भी आसानी से चल फिर सके।
अमृता गोस्वामी