By दिनेश शुक्ल | Apr 17, 2020
मध्य प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले शिवराज सिंह चौहान ने अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं किया है। 23 मार्च, 2020 को राजभवन में अकेले ही पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद से शिवराज सिंह चौहान वन मैन आर्मी की तरह कोरोना के खिलाफ अकेले ही मैदान में डटे हुए है। पहले ऐसा माना जा रहा था कि 14 अप्रैल, 2020 को लॉकडाउन समाप्त होने के बाद शिवराज मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा, लेकिन लॉकडाउन की अवधि 03 मई 2020 तक बढ जाने के बाद मामला खटाई में जाता दिख रहा है। वही इस बीच कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरूवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एक बार फिर शिवराज मंत्री गठन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
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वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शपथ लिए गुरूवार 16 अप्रैल, 2020 को 25 दिन पूरे हो गए है। सियासत में एक के बाद एक नए रिकॉर्ड बनाने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सर्वाधिक समय तक बगैर कैबिनेट के मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के 25 दिन पूरे होते ही उन्होंने बीजेपी शासित कर्नाटक के सीएम बी.एस. येदियुरप्पा के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है और शुक्रवार 17 अप्रैल, 2020 को उन्होनें येदियुरप्पा का रिकॉर्ड तोड़ दिया। हालांकि, येदियुरप्पा ने 26वें दिन मंत्रिमंडल का गठन कर लिया था, मगर शिवारज नया रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर हैं। देखा जाए तो शिवराज सिंह चौहान के खाते में सबसे बड़ा रिकॉर्ड चार बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का है। इसके आगे सारे रिकॉर्ड बौने हैं, लेकिन 25 दिन अकेले मुख्यमंत्री के तौर पर इतने बड़े प्रदेश का संचालन करना छोटी बात नहीं है। वह भी तब जबकि प्रदेश में कोरोना संक्रमण कहर बन कर टूट पड़ा हो।
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे प्रदेश में मंत्रिमंडल न होने के चलते विपक्ष भी लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमलावर तेवर अपना चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो यहां तक कह दिया था कि प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से जूझा रहा है लेकिन मध्य प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां न तो गृह मंत्री है और न ही कोई स्वास्थ्य मंत्री। पिछले रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऑनलाइन पत्रकार वार्ता में यह बता कही थी। जबकि प्रदेश भाजपा नेताओं द्वारा भी मंत्रिमंडल गठन को लेकर अंदरूनी तौर पर हवा देने का काम किया जा रहा है। जबकि गुरूवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया की केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात को मंत्रिमंडल गठन से जोड़कर देखा जा रहा है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले महीने मार्च में अपने समर्थकों से साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। हालंकि सिंधिया ने पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। वहीं प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद कमलनाथ सरकार में सिंधिया समर्थक 06 मंत्री रहे तथा कांग्रेस के बागी 22 विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ली है। सिंधिया अपने खेमे के छह पूर्व मंत्रियों तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी और प्रद्युम्न सिंह तोमर को एक साथ मंत्री बनवाना चाहते हैं, ताकि वे क्षेत्र में चुनाव के लिए जा सकें। इसके अलावा ऐंदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और बिसाहू लाल सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात हो रही है। तो दूसरी ओर यह कयास लगाए जा रहे है कि राज्य में एक-दो दिन में मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है। मंत्रिमंडल गठन की इसी कवायद के बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक और संभावित दावेदार भोपाल में जुट गए हैं। इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, विजय शाह और सिंधिया समर्थक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के नाम शामिल हैं।
इस दौरान शुक्रवार को सूत्रों के हवाले से खबर आई की स्टेट गैरेज को निर्देशित किया गया है कि वह 10-12 गाडियां तैयार रखें। ऐसे निर्देश तब ही दिए जाते है, जब मंत्रिमंडल गठन या विस्तार होने वाला होता है। इस दौरान मंत्रिमंडल गठन को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाते रहे है। दिल्ली के हवाले से मिल रही खबरों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया जंबो मंत्रिमंडल के पक्ष में है तो वही भाजपा कोरोना संकट से निपटने के बाद बड़ा मंत्रिमंडल बनाने के विचार में है। जबकि सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहली बार में वित्त, वाणिज्यिकर व आबकारी, कृषि, सहकारिता, खाद्य, गृह-परिवहन, पंचायत, राजस्व और स्वास्थ्य मंत्री बनाएंगे। इसमें से गृह, वित्त, परिवहन, स्वास्थ्य और सिंचाई को भाजपा अपने पास ही रख सकती है, बाकी विभागों में सिंधिया समर्थकों को तबज्जों मिल सकती है।
दूसरी ओर 26 दिनों से लगातार कोरोना के खिलाफ जंग के मैदान में अकेले जमे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल गठन का फैसला पार्टी पर छोड़ दिया है। जिसका सीधा सा मतलब यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के साथ अगर मंत्रिमंडल गठन होना है तो इसमें भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की बड़ी भूमिका होगी। सूत्र बताते है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं के नाम सीधे बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व ही तय करेगा और उन नामों पर प्रदेश सरकार में शामिल होने के लिए मोहर लग जाएगी। लेकिन जिस तरह कोरोना संक्रमण से जूझ रहा मध्य प्रदेश हॉट स्पाट बना हुआ है उसे देखते हुए शिवराज मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा 10 से 12 सदस्यों को ही जगह मिल सकती है। वही मीडिया ज्योतिरादित्य सिंधिया की केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के कुछ भी मायने निकाले जा रहे हो लेकिन मुख्यमंत्री सचिवालय और मुख्यमंत्री निवास पर खामोशी का महौल बना हुआ है।
- दिनेश शुक्ल