By अनन्या मिश्रा | Feb 13, 2025
सनातन धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन देवगुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि गुरुवार के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
ऐसे में अगर आप भी गुरुवार को श्रीहरि की पूजा करते हैं, तो आपको साथ ही भगवान विष्णु की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे आपके दुख दूर होगा और साथ ही आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भगवान विष्णु की आरती के बारे में बताने जा रहे हैं।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...