नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा कि सार्वजनिक बैंकों के हजारों करोड़ रूपये का ऋण नहीं लौटाने और धन शोधन के आरोपी एवं शराब करोबारी विजय माल्या को देश में लाने के लिए अब आरोपपत्र दाखिल करने के बाद प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। जेटली ने बताया कि भारत को अब आरोपपत्र दाखिल कर माल्या के प्रत्यर्पण की प्रतिक्रिया को शुरू करना पड़ेगा। माल्या के ऊपर सार्वजनिक बैंकों का 9400 करोड़ रूपये का ऋण बकाया है तथा उन पर धन शोधन के आरोप भी लगे हैं। सदन के नेता ने शून्यकाल में कहा कि उनके पास उपलब्ध सूचना के अनुसार ब्रिटेन ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति ब्रिटेन में वैध पासपोर्ट के साथ प्रवेश करता है तथा बाद में पासपोर्ट रद्द कर दिया जाता है तो निर्वासन संभव नहीं है। माल्या दो मार्च को लंदन भाग गये थे और उसके एक दिन बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने कर्ज की वसूली के लिए उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटाया था। इसके कुछ हफ्ते बाद सरकार ने माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया। राज्यसभा का सदस्य होने के कारण माल्या के पास राजनयिक पासपोर्ट था। उन्होने इस माह के शुरू में उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया था। जेटली ने कहा कि ब्रिटेन का यह रूख है कि पासपोर्ट रद्द कर देने से स्वत: निर्वासन नहीं होता है। उसने पहले भी कुछ मामलों में यही रूख अपनाया था।उन्होंने कहा कि भारत को आरोपपत्र दाखिल होने के बाद ही प्रत्यर्पण की मांग करनी पड़ेगी।
जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण की वसूली के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं तथा जांच एजेंसी कानून के उल्लंघन की जांच कर रही हैं। इससे पहले जदयू के शरद यादव ने मीडिया में आयी खबरों का हवाला देते हुए यह मुद्दा उठाया और कहा कि ब्रिटेन ने भारत से कह दिया है कि कोई मामला नहीं बनता था, माल्या को निर्वासित नहीं किया जा सकता। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि आपने उसे शान से देश के बाहर जाने दिया। जब वह देश छोड़कर जा रहा था तो सरकार उस समय सो रही थी। यादव ने कहा कि सरकार ने दावा किया था कि वह माल्या को हर कीमत पर वापस लाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि अब वह क्या कदम उठाएगी।