By अनन्या मिश्रा | Dec 06, 2024
आज ही के दिन यानी की 06 दिसंबर को वकील, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ के साथ समाज सुधारक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन हो गया था। भीमराव अंबेडकर को समाज में अनुसूचित वर्ग को समानता दिलाने के संघर्ष के लिए जाना जाता है। वहीं उनका बचपन भी आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के बीच गुजरा। इन सारी परेशानियों के बीच उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की और देश के पहले कानून मंत्री बनें। बाद में वह संविधान सभा के अध्यक्ष भी बने। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
मध्यप्रदेश के महू छावनी में 14 अप्रैल 1891 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था। पिताजी का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई मुरबादकर था। स्कूली दिनों में अंबेडकर को छुआछूत और जाति-पाति का भेदभाव झेलना पड़ा था। लेकिन विषम परिस्थितियों के बाद भी उन्होंने अपनी शिक्षा को पूरा किया और अपनी मेहनत व काबिलितयत के दम पर 32 डिग्री हासिल की। अंबेडकर ने डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की थी।
दलित समाज को समर्पित किया जीवन
बाबासाहेब ने अपना पूरा जीवन दलित समाज के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाए। वहीं जब वह मुंबई में सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर बने, तो वहां पर भी उनको भेदभाव का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उन्होंने समाज से छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के तमाम प्रयास किए।
संविधान सभा के अध्यक्ष
साल 1947 में डॉ अंबेडकर भारत के संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। संविधान को तैयार करने में अंबेडकर को 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। साल 1952 में उनको राज्यसभा के लिए नियुक्त किया गया और वह अपनी मृत्यु तक इस सदन के सदस्य रहे। बता दें कि डॉ भीमराव अंबेडकर समाजसेवक, पत्रकार, शिक्षक, पदाधिकारी, राजनेता, संविधान निर्माता, दार्शनिक, विचारक, वक्ता आदि के रूप में लंबे समय समाज औऱ देश की सेवा करते रहे।
मृत्यु
डॉ भीमराव अंबेडकर डायबिटीज़, ब्लडप्रेशर, न्यूराइटिस और आर्थराइटिस जैसी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित थे। वह 06 दिसंबर 1956 को नींद में उनकी मृत्यु हो गई थी।